रहमान की फिल्म निर्माण योजना / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 13 अगस्त 2013
एआर रहमान अमेरिकी तकनीशियनों के सहयोग से एक फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं और यह प्रस्तावित फिल्म तमिल में न बनकर हिंदुस्तानी जुबान में बनने जा रही है। आप डेविड धवन या इम्तियाज अली की घोषणा होने पर फिल्म की कथा का अनुमान लगा सकते हैं, क्योंकि ब्रांड और शैली उनका परिचय है। एआर रहमान ऑस्कर विजेता संगीतकार हैं, अत: यह अनुमान लगाया जा सकता है कि फिल्म का केन्द्र संगीत होगा और वह संगीतमय प्रेम-कथा हो सकती है।
एआर रहमान को पश्चिम के शास्त्रीय संगीत की गहरी जानकारी है और उनके हिंदुस्तानी फिल्मी गीतों में भी पश्चिमी ध्वनियां और स्वर लहरी सुनाई देती है। अधिकांश भारतीय फिल्म संगीतकारों को मोजार्ट और बीथोफेन की महान रचनाओं की जानकारी है। संगीतकार प्यारेलाल को तो यूरोप से सिम्फनी कंडक्ट करने के निमंत्रण भी मिले थे।
फिल्म विधा से जुड़े संगीतकार को कथा समझकर ही संगीत बनाना होता है और पश्चिम के शास्त्रीय संगीतकार भी अपने ऑपेरा के लिए उचित कथानक चुनते हैं और कथा के मिजाज के अनुरूप रचना बनाते हैं। पश्चिम मेें एक जग प्रसिद्ध किंवदंती पर 'ब्लैक स्वान' नामक महान फिल्म बनाई गई है।
हंस के विषय में कहा जाता है कि वह मृत्यु के पूर्व अपना मधुरतम गाता है, इसीलिए अंग्रेजी भाषा में किसी भी व्यक्ति की श्रेष्ठ रचना को उसका 'स्वान सॉन्ग' कहते हैं। उपरोक्त फिल्म में सफेद रंग की हंसिनी शापित है और प्रेम पाने पर मुक्ति होगी। तभी एक राजकुमार हृदय में प्रेम लिए आता है, परंतु काली हंसिनी उसे भरमाकर ठग लेती है, जिसे जानकर सफेद हंसिनी की मृत्यु हो जाती है। इसका एक अर्थ यह भी है कि प्रेम के अभाव में पवित्रता निष्क्रिय और निरर्थक है। इसे रोज के जीवन में इस तरह कह सकते हैं कि आपके पास आदर्श और अध्यात्म है, परंतु प्रेम के अभाव में वह निष्फल है या मात्र पवित्र, विचार साधने से काम नहीं होता वरन परिश्रम भी करना होता है।
बहरहाल, 'ब्लैक स्वान' नामक फिल्म में अर्थ की अनेक परतें हैं। एक ही कलाकार ऑपेरा में ब्लैक तथा सफेद हंसिनी है। निर्देशक उसकी अनगिनत रिहर्सल देखकर कहता है कि नायिका के पास प्रतिभा, अनुशासन और संयम है, परंतु इन्हीं सद्गुणों के कारण वह स्वयं को पूरी तरह भूमिका में नहीं झोंक पा रही है अर्थात कुछ सद्गुण संपूर्णता के मार्ग मेें बाधक हो सकते हैं।
भूमिका को आत्मसात करने की प्रक्रिया में अपना निजत्व नष्ट करना पड़ता है और एक कलाकार के लिए यह परम साधना का अत्यंत कठिन कार्य हो सकता है।
बहरहाल, रहमान साहब ने शेखर कपूर की 'तारा रम पम' के लिए 12 गाने बनाए थे, जिन्हें वे अपना श्रेष्ठ मानते हैं। वह फिल्म तो बनी ही नहीं, अत: उनका उपयोग भी हो सकता है। हमारे फिल्म उद्योग में केवल संगीतकार हेमंत कुमार ने बतौर निर्माता अनेक फिल्में रची हैं, वहीदा रहमान अभिनीत 'खामोशी' कमाल की फिल्म थी। उसके सारे गाने मधुर थे। किशोर कुमार का 'वो शाम कुछ अजीब थी, ये शाम भी अजीब है...' अत्यंत मधुर था। मन्ना डे का 'दोस्त कहां कोई तुमसा ...' भी मधुर गीत था।