राखी गुलजार और स्वतंत्रता दिवस / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :19 अगस्त 2015
राखी गुलजार का जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ। जब उन्होंने होश सम्हाला तब अपने रिश्तेदारों से देश के विभाजन की दिल दहलानी वाली बातें सुनी थीं। उसी सुनी हुई त्रासदी के कारण उन्होंने कभी अपना जन्म दिन नहीं मनाया, क्योंकि स्वतंत्रता के आनंद के साथ जुड़ा था विभाजन का अवसाद और उनके व्यक्तित्व में आनंद तत्व से कहीं भारी रहा है अवसाद। कई बार अकारण उदासी की घटाएं भी घर आती हैं और बकौल शैलेन्द्र 'फूलों पर शबनम की नमी, सनम के साथ का समय, पर जीवन में क्या है कमी' राखी, मधुबाला और सुचित्रा सेन जैसी दिव्य सुंदरता की परम्परा में ढली थीं, जिनकी अगली कड़ी हमें कुछ हद तक माधुरी दीक्षित में देखने को मिली।
बहरहाल कम उम्र में उनका विवाह और तलाक भी हुआ तथा मुंबइया फिल्मों में उन्होंने धर्मेन्द्र के साथ राजश्री फिल्म्स की जीवन-मृत्यु से अभिनय यात्रा शुरू की और शर्मीली में डबल रोल किया। यशराज की 'दाग' में राखी एवं शर्मीला टैगोर दोनों ने काम किया और सुना जाता है कि दोनों बंगालनों में कोई मधुर सम्बध नहीं पनपे। बहरहाल अपने शिखर दिनों में उन्हें गुलजार से प्रेम हो गया और उन्होंने दूसरा विवाह भी कर लिया। अफवाह यह है कि विवाह के बाद अभिनय छोड़ देने वाली राखी गुलजार को उनके 'दाग' के फिल्मकार यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन अभिनीत 'कभी-कभी' के लिए मना लिया और इसी कारण पति-पत्नी में तनाव उत्पन्न हुआ। सच तो यह है कि पति-पत्नी के बीच क्या हुआ, उन दोनों के अतिरिक्त तीसरा नहीं जानता। बकौल शैलेन्द्र 'प्रेम की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समाते हैं, गैर तो क्या वहां अपनों के साएं भी नहीं आने पाते, यह धरती हैं इंसानों की, कुछ और नहीं इंसान है।'
गुलजार और राखी का तलाक नहीं हुआ परंतु वे अरसे से अलग-अलग रहते हैं और व्यावहारिक संपर्क बना हुआ है। दोनों ही अपनी बेटी बोस्की को बहुत प्यार करते हैं। राखी ने बंगले की जगह बनाए बहुमंजिला में एक तल बोस्की व उसके पति को दिया है और ऊपरी मंजिल उनकी अपनी है परंतु वे अधिकांश समय पनवेल के अपने फार्महाऊस में गुजारती हैं जो सलीम खान के फार्म हाउस के निकट ही है। राखी ने अमिताभ बच्चन की नायिका के रूप में अनेक फिल्में अभिनीत की और बाद में सलीम-जावेद की 'शक्ति' में उसकी मां की भूमिका भी अभिनीत की। 'राम लखन' और 'करण अर्जुन' में भी मां की केंद्रीय भूमिका का निर्वाह किया। सच तो यह है कि 'करण अर्जुन' में उनका विश्वास कि 'मेरे पुत्र लौटेंगे' ही फिल्म की भावना का आधार है और उनके अभिनय की गहराई और प्रभाव यह है कि हाल ही में प्रदर्शित 'बाहुबली' में एक मां का चरित्र और विश्वास वही है कि 'पुत्र लौटेगा' और फिल्मकार ने राखी से कुछ समानता वाली कलाकार से वह भूमिका करवाई है और लांग शाट्स में तो भ्रम होता है कि यह राखी ही है।
राखी ने अपनी निजता की रक्षा उतनी ही दृढ़ता से की है जितनी संन्यास के बाद सुचित्रा सेन ने की थी। राखी मेल मुलाकात, दावतें और जश्न से दूर एकांत को साधती हैं। वे कभी-कभी सलीम साहब से बातें करती हैं और उनके फार्महाऊस के रखरखाव की समस्याएं भी सलीम साहब ही ठीक कराते हैं। दरअसल, सलीम साहब का व्यक्तित्व कुछ ऐसा है कि राखी, वहीदा रहमान, शम्मी, आशा पारेख आदि महिलाएं उन पर विश्वास करती हैं। बहरहाल 'राखी' ने मेरी अधूरी रही 'वापसी' में नायिका की भूमिका की थी। उनका नौकर मेरे स्टाफ से रोज तमाकू और सुपारी का एक डिब्बा शूटिंग के दिनों में लेता या उसके एवज का धन लेता था। प्राय: निर्माता किसी सितारे के किसी भी प्रकार के खर्च पर कोई आपत्ति नहीं लेते परंतु मैंने राखी से पूछा कि क्या इतनी तमाकू का सेवन आप प्रतिदिन करती हैं? उन्होंने न केवल इनकार किया वरन् उनके नाम पर जो सेवक यह धन उगाता था, उसे दंडित भी किया। राखीजी प्राय: लंबे आउटडोर में अपनी यूनिट के लिए मछली भी पकाती थीं।
संभवत: सलीम साहब के इकरार के कारण इस 15 अगस्त को उन्होंने 'बजरंगी भाईजान' देखी और फिल्म से बहुत खुश हैं। उनका कहना है कि विभाजन की सरहद राजनीतिक षड्यंत्र है। दोनों ओर मनुष्य एक से हैं और एक ही सांस्कृतिक विरासत के धनी हैं। उनका कहना है कि मासूम व्यक्ति की भूमिका सलमान ने जीवंत की है औ बालिका दर्शील तो अत्यंत स्वाभाविक है। अपने अड़सठ वर्ष के गरिमामय जीवन में कम से कम एक जन्मदिन तो उन्होंने मनाया। ज्ञातव्य है कि राखी ने 'मेरे बाद' नामक फिल्म में केंद्रीय भूमिका की थी और संभवत: उस फिल्म में वे निर्देशक की निर्देशक भी थीं।