राखी सावंत का स्वयंवर / जयप्रकाश चौकसे

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राखी सावंत का स्‍वयंवर

प्रकाशन तिथि : 14 अप्रैल 2009


राखी सावंत के रिएलिटी शो स्‍वयंवर के 14 एपिसोडस प्रसारित होने जा रहे हैं और दावा किया गया है कि वह अंतिम एपिसोड में सचमुच विजेता से शादी करने जा रही हैं। राखी सावंत ने स्‍पष्‍ट किया है कि यह मामला झूठे प्रचार का नहीं वरन वह सचमुच टीवी देखने वाले असंख्‍य लोगों के सामने विवाह करने जा रही हैं। उनका कहना है कि टेलीविजन ने उन्‍हें लोकप्रियता, धन और पहचान दी है। कुछ दिन पूर्व जेड गुडी अपनी मृत्‍यु के दृश्‍य दिखाने के अधिकार बेच चुकी हैं और अब एक विवाह प्रचारित किया जा रहा है। राखी सावंत ज्‍यादा शिक्षित नहीं हैं, सुदंर भी नहीं हैं और अभिनय में भी उन्‍हें कोई महारत हासिल नहीं हैं। इन सब कमियों के बावजूद वह एक ब्रांड बन चुकी हैं। भारत में रंगीन टेलीविजन और प्राईवेट चैनलों के आगमन के बाद कुछ अजूबे प्रायोजित हुए हैं जिनमें से एक राखी सावंत हैं। राखी की शैली में चौंका देना और अप्रत्‍याशित बात कहने का महत्‍व रहा है, मसलन एक नृत्‍य प्रतियोगिता में भाग लेने के पहले उन्‍होनें अपने डॉक्‍टर से इंप्‍लांट (वक्ष बढाने का नकली साधन) निकलवा दिया और खुलेआम कहा कि नृत्‍य में इस अतिरिक्‍त भार से असुविधा हो सकती थी। प्राय: महिलाऐं इंप्‍लांट की बात को गोपनीय रखती हैं, परंतु उजागर होना राखी की लोकप्रियता को हमशा बढाता रहा है। उसने सरेआम कैमरे के सामने अपने प्रेमी अभिषेक को थप्‍पड मारा है और कुछ दिन बाद कैमरे के सामने ही उससे अपने पैरों में नाक रगडाई है। एक दावत में कैमरे के सामने जबरन चुबंन लिए जाने के प्रकरण को भी उन्‍होनें खूब भुनाया है, वह जानती हैं कि इस तरह की ‘साहसी’ बातें उसका बाजार मूल्‍य बढाती हैं। सांस्‍कृतिक शून्‍य के कारण समाज में सनसनी की भूख बढी है और राखी सावंत इसी से जुडे अपच का नाम है। पारपंरिक शालीनता के तहत कुछ चीजें अनकही ही शोभनीय रहती है परंतु राखी ने बाजार के मूड के अनुरूप खूब उजागर होकर सनसनी फैलाई है। अत: उनका ट्रेक रिकार्ड देखकर विश्‍वास किया जा सकता है कि वे कैमरे के सामने स्‍वंयवर रचाकर विवाह कर सकती हैं जिसके लिए चैनल ‘दहेज’ को मेहनताने के रूप में प्रदान करेगा।

समाज में अभद्र बातें हमेशा पब्लिक टॉयलेट की दीवारों पर लिखी जाती रही हैं जिसे ‘ग्रेफेटी’ कहते हैं। राखी अपनी ग्रेफेटी परदे पर रचती हैं। राखी नामक तमाशा बाजार और समाज ने रचा है और मूल्‍यों की गिरावट को रेखांकित करता है। सिनेमा में विवाह को खूब भुनाया गया है, अत: राखी को अपने विवाह को भुनाना कैसे अनुचित माना जा सकता है। वह अपनी जगह सही काम कर रही हैं। इस प्रकरण में गौरतलब है स्‍वंयवर में भाग लेने वाले पुरूषों का दृष्टिकोण मालूम करना। विवाह की एकमात्र शर्त प्रेम ही होना चाहिए परंतु ये पुरूष एक सनसनी को वर रहे हैं। आज समाज में टेलीविजन के माध्‍यम से सर्वत्र पहचान पाना क्‍यों महत्‍वपूर्ण हो गया है। आम आदमी की सहज और गुमनाम सी जिदंगी की निरंतर अवहेलना के कारण्‍ सनसनी का बाजार पनपा है। साधारण, सहज और सामान्‍य होना हाशिए में फैंक दिया गया है। गिरीश कर्नाड के नाटक ‘हयवदन’ में प्रकरण है कि एक स्‍वंयवर में राजकन्‍या ने भाग लेने वाले किसी भी राजकुमार को पसंद नहीं किया और वरमाला एक घोडे के गले में डाल दी। वह घोडा एक शापित यक्ष था और सुहागरात के दिन अपने असली स्‍वरूप में प्रकट हुआ। बतौर इसी किवदंती के राखी सावंत अंतिम एपिसोड में वरमाला कैमरे के गले में डाल सकती हैं, इस आशा में कि सुहागरात के प्रथम चुबंन से वह राजकुमार के रूप में प्रकट होगा। राखी सावंत को हमेशा ही कैमरे से प्‍यार रहा है।