राजधानी / मनोहर चमोली 'मनु'

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सब दिल्ली जा रहे थे। एक ने पूछा,‘‘आप कौन?’’ दूसरा बोला-‘‘मैं तमिलनाडु हूँ। भरत नाट्यम मेरे यहाँ फलता-फूलता है।’’ तीसरे ने बताया-‘‘मैं पंजाब हूँ। गुरुनानक की जन्मभूमि।’’ वह चलने लगे। चौथे ने पुकारा-‘‘इधर आओ। मैं केरल हूँ। चाय, काफी, जूट, रबर और काजू की फसलें उगाता हूँ।’’ पाँचवा क्यों चुप रहता,‘‘मुझे कबीर, राम और कृष्ण के लिए जाना जाता है। ताजमहल भी मेरे यहाँ है।’’ तभी बर्फीली हवा चलने लगी। सब चौंक गए। छठा कहने लगा-‘‘चौंक गए न! मैं हिमालय की गोद में बसा हूँ। बर्फ से ढकी चोटियाँ मुझ पर ही टिकी हैं। मुझे उत्तराखण्ड कहते हैं। मेरे साथ हिमाचल भी है।’’

जो भी मिलता, अपनी शान में कुछ न कुछ कहता। ख़ुद को बड़ा और दूसरे को छोटा बताने की होड़ मचने लगी। कई राज्य एक-दूसरे से मिल रहे थे। अचानक सातवाँ बोला,‘‘मेरे जैसा कोई नहीं। मेरी शान के क्या कहने! मुंबई मेरी राजधानी है।’’ उत्तर प्रदेश बीच में बोल पड़ा,‘‘सबसे अधिक आबादी का भार मैं उठाता हूँ। अब्दुल हमीद की जनमभूमि हूँ।’’ राजस्थान ने टोका,‘‘सबसे अधिक भूमि मेरे पास है। मीरा और राणा प्रताप जैसे कई वीर मेरी पहचान हैं। साहस, बलिदान और वीरता से भरा हूँ।’’ केरल हंसने लगा,‘‘ मेरी भूमि का आम जन पढ़ा-लिखा है। सौ फीसदी।’’

बढ़ा हुआ शोर थम गया। सामने एक छोटा-सा राज्य था। किसी ने पूछा तो वह बोला-‘‘मैं दिल्ली हूँ। तुम सब की राजधानी।’’ कोई चिल्लाया-‘‘हमारी तो अपनी राजधानी है।’’ दिल्ली बोला-‘‘पहले पास तो आओ।’’ पूरब से आए राज्य एक ओर इकट्ठा होने लगे। पश्चिम से आए राज्यों ने भी ऐसा ही किया। उत्तर और दक्षिण के राज्य भी नज़दीक आने लगे। मध्य प्रदेश ख़ुशी से चिल्लाया-‘‘मेरे चारों ओर आओ।’’ सब मध्य प्रदेश की ओर बढ़ने लगे। सबने एक नया आकार बना लिया। सब ख़ुश हो गए। दिल्ली ने कहा-‘‘यह हुई न बात। आप सब ने मिलकर जो बनाया है यही भारत है।’’ जम्मू और कशमीर एक साथ बोल पड़े,‘‘अच्छा। हम सबकी राजधानी दिल्ली तुम हो!’’ सब देशगान गाने लगे।