राजनीति का सीडी काल / मनु पंवार

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राजनीति के एक मंजे हुए खिलाड़ी, जिन्हें उनके गुरुकुल के प्रशिक्षु नेता गुरुजी कहकर संबोधित करते हैं, अपने एक बेहद क़रीबी चेले को कुछ लेक्चर टाइप दे रहे थे। वह राजनीति में टेक्नोलॉजी की बढ़ती घुसपैठ और सीडी के बढ़ते चलन के बारे में कुछ ज्ञान वगैरह बांट रहे थे। इसी मसले पर गुरु और चेले के बीच संवाद कुछ यूं हुआ-

प्रश्न- हे गुरुवर, ये सीडी क्या चीज़ है?

उत्तर- बेटा, सीडी एक तरह का चक्का है। जिसके चक्कर में बड़ी-बड़ी हस्तियां बर्बाद हो जाती हैं। इसकी कई मिसालें हैं। इसके ताज़ा शिकार मध्य प्रदेश के मंत्री राघवजी हुए हैं, जिनको सीडी ने अर्श से फर्श पर लाकर पटक दिया।

प्रश्न- गुरु जी! सीडी कब-कब जारी होती है? अर्थात इसके लिए क्या कोई ख़ास मुहूर्त होता है?

उत्तर- बेटा, राजनीति में जब-जब शत्रुपक्ष हावी होता दिखता है, तो अक्सर सीडी जारी हो जाया करती है। इसके अलावा जब-जब सरकारें संकट में घिरती हैं तो सीडी के रिलीज़ होने के लिए मौसम ज्यादा अनुकूल हो जाता है।

प्रश्न- हे गुरुश्रेष्ठ! सीडी को कौन जारी करता है?

उत्तर- बेटा, इसका अक्सर प्रोड्यूसर अदृश्य होता है, लेकिन बॉलीवुड की फ़िल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के नायक की तरह आप उसे एक खास चश्मे से देख सकते हैं। कई बार सीडी ऐसे लोग भी जारी कर डालते हैं जो आते तो सियासत की ‘एबीसीडी’ सीखने हैं, लेकिन सिर्फ ‘सीडी’ के बारे में ही जान और सीख पाते हैं।

प्रश्न- गुरुवर, सीडी के फायदे क्या हैं?

उत्तर- बेटा, राजनीति में सीडी आत्मसुख की सबसे बेहतर दवा मानी जाती है। सीडी जारी करके आप विरोधियों का जीना हराम कर सकते हैं। इससे वो आत्मसंतुष्टि मिलती है जो शाहरुख़ ख़ान या विजय माल्या आईपीएल की कितनी भी टीमें खरीदकर हासिल नहीं कर सकते।

प्रश्न- हे गुरुश्रेष्ठ! सीडी का मूल्य क्या होता है?

उत्तर- वत्स, सीडी आम तौर पर मार्केट में सस्ती दरों पर उपलब्ध हो जाया करती है। लेकिन जब सीडी के भीतर कुछ खास तरह के राजनीतिक और चारित्रिक तत्व समाहित हों अर्थात उसे किसी ख़ास मकसद से तैयार और जारी किया जा रहा हो तो सीडी अनमोल हो जाती है। वह उस दौरान दुर्लभ चीजों की श्रेणी में आ जाती है। ऐसी सीडी के जरिये प्राय: टीवी चैनलों को ‘भेज देने’ की धमकी के साथ ब्लैकमेलिंग का रास्ता बनता हैं। कई दफा ऐसी सीडी चैनलों के दफ्तरों में पहुंचा भी दी जाती हैं। अगर उस सीडी में कुछ ‘दर्शनीय’ तत्व हों तो अक्सर चैनलों के पराक्रमी लोग उसे डाउनलोड करके अपने-अपने मोबाइल फोन में सुरक्षित कर लेते हैं ताकि समय-समय पर उसमें निहित तत्व का ‘रस’ ले सकें। इस तरह सीडी दुर्लभ से सुलभ की ओर गमन करने लगती है और कई लोगों के लिए आनंद का विषय बन जाती है।

प्रश्न- तो गुरुवर, क्या सीडी के नुकसान भी होते हैं? उत्तर- बेटा, सीडी का सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि अगर आपकी खुद की सीडी जारी हो गई तो आपकी नींद उड़ जाएगी। ऐसे में आपका करियर तबाह हो सकता है और आपका चरित्र सवालों के घेरे में आ जाएगा। ऐसी सीडी का प्रसारण रुकवाने के लिए आपको खासे पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। खासी दौड़-धूप करनी पड़ेगी। कोर्ट तक का दरवाज़ा खटखटाना पड़ सकता है। यह बड़ा थकाऊ और काफी खर्चीला काम है।

उपसंहार- प्रस्तुत प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि राजनीति में जब-जब आपके विरोधी आपको संकट में डालें तो उनकी सीडी जारी कर दो। लेकिन इसका एक साइड इफेक्ट भी है। अगर किसी ने आपकी सीडी जारी करके आपको संकट में डाल दिया तो फिर आपके पास सीडी को फर्जी ठहराने और उसके साथ छेड़छाड़ होने की बात कहने के सिवाय कोई चारा नहीं है। हालांकि पब्लिक आपकी दलीलों को सच मान ही ले, इस बारे में कुछ पक्का नहीं कहा जा सकता। राजनीति में सीडी एक दोमुंहा चाकू है। आगे की ओर चलाया तो सामने वाला लहूलुहान, लेकिन अगर उल्टा चल गया तो अपनी मौत तय मानिए।