राजस्थान में महाराष्ट्र : फिल्मी भूगोल / जयप्रकाश चौकसे

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राजस्थान में महाराष्ट्र : फिल्मी भूगोल
प्रकाशन तिथि : 07 जुलाई 2018


करण जौहर ने मराठी भाषा में बनी फिल्म 'सैराट' के अधिकार खरीदकर उसे हिन्दी भाषा में बनाया। 'सैराट' की पृष्ठभूमि महाराष्ट्र और बेंगलुरू का सरहदी इलाका है, जहां ऑनर किलिंग होती रहती है। विजातीय शादी करने वालों को दोनों कौम के सरगना जान से मार देते हैं। यह कुप्रथा हरियाणा और राजस्थान में भी जारी है। यह सारा मामला प्रेम के विरुद्ध है, क्योंकि प्रेम प्रकाश है और स्वतंत्र विचार शैली को भी जन्म देता है तो अंधकार को बनाए रखने के हिमायती उन्हें मार देते हैं। करण जौहर ने 'सैराट' की पृष्ठभूमि को बदलकर फिल्म को राजस्थान में रोपा ताकि उन्हें रंग और ध्वनि से खेलने की स्वतंत्रता मिले परंतु उन्होंने 'सैराट' का एक पारम्परिक मराठी भाषा का गीत इस फिल्म में डाल दिया। उन्होंने इसकी चिंता भी नहीं की कि राजस्थान की पृष्ठभूमि में यह गीत सार्थक सिनेमा देखने वाले दर्शकों को कितना अटपटा लगेगा। करण जौहर को केवल धन कमाना है तथा कोई कालजयी क्लासिक की रचना उनका मन्तव्य कभी नहीं रहा।

उनकी 'कुछ कुछ होता है' में एक आठ वर्षीय अबोध बालिका एक जानकारी प्राप्त करने के लिए एक मुस्लिम परिवार में स्वयं को इस्लाम का अनुयायी बताकर न केवल प्रवेश करती है वरन् वहां नमाज भी अदा करती है। इस तरह उन्होंने एक अबोध बालिका के पात्र से उसकी मासूमियत ही हर ली। इस तरह की बारीकियों पर वे अपना कीमती वक्त बर्बाद नहीं करते। राजस्थान के कुछ अंश वे यूरोप में भी शूट कर सकते हैं परंतु उन्हें विश्वास है कि पूरा विश्व ही एक कुटुम्ब है। इस तरह वे अनंत भारत से अपना रिश्ता भी जोड़ लेते हैं। हिन्दुस्तानी भाषा के फिल्मकार का भूगोल और इतिहास बोध अधूरा है। शायद इसीलिए वे भारतीय पृष्ठभूमि पर बनने वाली फिल्म लिखने के लिए लंदन जाते हैं।

सुखद आश्चर्य है कि आचार्य रजनीश की पुस्तक '…संभोग से समाधि की ओर' उनके हाथ नहीं लगी, अन्यथा वे उस पर भी फिल्म बना देते। देखना यह है कि विचारक रजनीश कब तक उनसे बचते रहेंगे। इस विषय पर महेश भट्‌ट विश्वसनीय फिल्म बना सकते हैं, क्योंकि उन्होंने रजनीश को खूब सुना और समझा है। आजकल वे दुविधा में हैं, क्योंकि उनकी पिछली कुछ फिल्में चली नहीं, यहां तक कि 'बेगमजान' भी उन्हें राहत नहीं दे पाई। अब वे विशुद्ध प्रेम-कथा बनाना चाहते हैं। उनकी सुपुत्री आलिया भट्‌ट बड़ी सितारा बन गई हैं परंतु संभवत: उन्हें अपनी पुत्री का सहारा लेना रास नहीं आ रहा है अन्यथा वे आलिया और उसके सखा रणबीर कपूर के साथ खूब धन कमाने वाली फिल्म भी बना सकते हैं। आत्म-सम्मान का मिथ्या बोध उन्हें रोक रहा है। 'संजू' की सफलता पर सवार 35 वर्ष के रणबीर कपूर अब बॉक्स ऑफिस पर भरोसेमंद सितारे हो चुके हैं।

करण जौहर के पिता यश जौहर दक्षिण मुंबई में रहते थे, जो श्रेष्ठि वर्ग की रिहाइश का क्षेत्र है। करण जौहर की शिक्षा भी दक्षिण मुंबई के एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई। वे अपने पिता के साथ यशराज स्टूडियो गए जहां आदित्य चोपड़ा अपनी फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया' बना रहे थे। करण जौहर को स्टूडियो में इतना अच्छा लगा कि वे आदित्य के सहायक बन गए। तब साफ-सुथरे कपड़े पहनने वाले करण अंग्रेजी भी ठीक-ठाक बोल लेते थे। उनके व्यवहार से प्रभावित शाहरुख खान और काजोल ने उन्हें फिल्मकार बनने की प्रेरणा दी और उनकी 'कुछ कुछ होता है' में अभिनय भी किया। उन दिनों करण जौहर इस कदर शाहरुखमय हो गए कि उन्होंने कहा कि वे बिना शाहरुख खान के किसी फिल्म का आकल्पन भी नहीं कर सकते परंतु कुछ ही समय बाद उन्होंने अन्य सितारों के साथ फिल्में बनाना प्रारंभ कर दिया, क्योंकि उन्हें फिल्म बनाने का चस्का लग चुका था।

कुछ समय बाद करण जौहर ने मराठी शौर्य की एक फिल्म की घोषणा की। इस विषय पर अजय देवगन वर्षों से तैयारी कर रहे थे परंतु काजोल इस विवाद से दूर ही रहीं, क्योंकि वे जानती थीं कि उनके पति अजय देवगन इसे पसंद नहीं करेंगे। अजय देवगन की तैयारी जारी है परंतु करण जौहर ने उस विषय को छोड़ दिया, क्योंकि सलमान खान को वे राजी नहीं कर पाए। सलमान खान और अजय देवगन के रिश्ते इतने गहरे हैं कि कोई भी लालच लोभ उन्हें इस रिश्ते पर आंच लाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। करण जौहर और शाहरुख खान के बीच अब 'सदियों का फासला' बन चुका है। अत: मराठा शौर्य की यह कथा अभी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। मनुष्यों की तरह कहानियों का भी भाग्य होता है। जाने कौन-सी कहानी किसके भाग्य में लिखी हो।

एक कहावत है कि बगल में बच्चा और नगर में ढिंढोरा। इस तरह एक प्रेम कथा करण जौहर के अपने जन्म से जुड़ी है। यश जौहर ने लंबे समय तक विवाह नहीं किया। परिवार के दबाव में लड़की देखने के लिए तैयार हुए। दिल्ली से कन्या अपनी सहेली हीरू के साथ आई। दोपहर के भोज पर मुलाकात हुई। यश जौहर ने परिवार को बताया कि कन्या के साथ आई सहेली हीरू उन्हें पसंद है। इस तरह यश जौहर का विवाह उम्र के 42वें वर्ष में हुआ। करण उनका एकमात्र पुत्र है। करण अपनी हर फिल्म में बतौर सह-निर्माता अपनी माता हीरू का नाम जोड़ते हैं। महाभारत के पात्र कर्ण का जन्म भी उस रोचक कथा के प्रवाह को प्रभावित करता है। यह फिल्म वालों की माया है कि कर्ण को करण लिखते हैं।