राजा का आदेश / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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बहुत पुरानी बात है। चंदनपुर में राजा तेज प्रताप सिंह का राज्य था। वे बहुत दयालु एवं परोपकारी थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत खुश थी। सभी लोग धनवान थे। किसी को किसी वास्तु की कमी नहीं थी। सभी मिलजुलकर रहते थे।

एक बार राजा तेज प्रताप सिंह जंगल में घूने गये। वहां उन्होंने तरह तरह के जानवर देखे। शेर, चीते, भालू, हिरन और खरगोश देखने में बहुत सुन्दर लग रहे थे। राजा ने सोचा --इतने सुन्दर जानवरों को चंदनपुर के लोग देखेंगे तो बहुत खुश होंगे। इसलिए राजा ने जानवरों से कहा कि वे चंदनपुर चलें। चंदनपुर में उनका विशेष ध्यान रखा जायेगा।

हिरन और खरगोश दर के कारण चंदनपुर नहीं आये। शेर, चीते और भालू चंदनपुर आ गये। लोगों ने उन्हें देखा तो बहुत अच्छा लगा। बच्चे उन्हें देखर खुश भी हुए किन्तु उनको थोड़ा थोड़ा डर भी लगा।

रात को जब सभी लोग सो जाते तब शेर, चीते और भालू किसी की गाय, किसी की भैंस और किसी की बकरी को खा जाते। जब लोगों को मालूम हुआ तो उन्होंने राजा से शेर , चीते और भालू की शिकायत की। राजा ने कहा जो मिलजुलकर नहीं रहे और दूसरों का नुकसान करे उसको दूर भगा देना ही ठीक रहता है। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि वे शेर, चीते और भालू को जंगल की और भगा दें। सैनिकों ने तीर मारकर शेर, चीते और भालू को जंगल की और भागने के लिए मजबूर कर दिया। जो दूसरों का नुकसान करे, उसको अपने साथ कोई भी नहीं रखना चाहेगा। शेर, चीते और भालू अब जंगल में ही रहते हैं। उनके जाने के बाद चंदनपुर के लोग फिर से सुख से रहने लगे।