राष्ट्रपति भवन में 'सरकार' / जयप्रकाश चौकसे

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राष्ट्रपति भवन में 'सरकार'
प्रकाशन तिथि :16 मई 2017


राम गोपाल वर्मा की अमिताभ बच्चन अभिनीत 'सरकार' को देखने बहुत कम दर्शक आए। वर्मा और बच्चन ने अपना ऐसा स्थान बनाया है कि असफलता से उनका मेहनताना नहीं घटता। अमिताभ बच्चन को अनकरीब आधी सदी हो गई है। राम गोपाल वर्मा फिल्म वीडियो बेचने और किराये पर देने के व्यवसाय में थे और उन्होंने 'शोले' अनेक बार देखी। इसी अनुभव ने उन्हें फिल्मकार बनने के लिए प्रेरित किया। इस तरह से एक प्रशंसक अपने प्रिय सितारे के साथ कुछ फिल्में बनाने में सफल हुआ। राम गोपाल वर्मा ने छात्र आंदोलन व आक्रोश की पृष्ठभूमि पर एक फिल्म बनाई, जिसका नाम था 'शिवा'। यह सफल रही थी।

'दक्षिण मुखी' बोनी कपूर ने वर्मा और उर्मिला मातोंडकर के साथ 'द्रोही' नामक थ्रिलर बनाई और वर्मा को मुंबई आने का निमंत्रण दिया। वर्मा ने मुंबई में अपने दफ्तर का नाम रखा 'फैक्टरी'। उन्हें यह तथ्य नहीं मालूम था कि फिल्म उद्योग के प्रारंभिक दशक में स्टूडियो को फैक्टरी ही कहा जाता था। वर्मा की विचार प्रक्रिया में स्थापित 'फैक्टरी' शब्द ही उनकी असफलता को भी समझने में मदद करता है। फिल्में 'फैक्टरी' की तरह नहीं बनाई जा सकतीं, आप अपनी विचार प्रक्रिया को साइज नौ के जूते निर्माण की तरह नहीं रच सकते। मशीन एक-सा काम करती है, परंतु फिल्मों में विविधता आवश्यक होती है।

राम गोपाल वर्मा ने अपने दफ्तर को एक अंधेरी गुफा की तरह बनाया था। काली दीवारें, काली छत व चहुंओर भयावह आकृतियां। एक पतले गलियारे से गुजरकर आपको वर्मा के कक्ष में ले जाया जाता था, जहां एक मात्र रोशनी उनका टेबल लैम्प होता था। आप केवल वर्मा के हिलते हुए ओंठ ही देख पाते थे, उनका शरीर अंधेरे में होता था। राम गोपाल वर्मा के व्यक्तित्व और विचार प्रक्रिया पर 'शोले' के बाद सबसे बड़ा प्रभाव अमेरिकन फिल्म 'गॉडफादर' का रहा। उन्होंने अपना कक्ष एक अपराध सरगना के कक्ष की तरह सजाया था।

उर्मिला मातोंडकर शेखर कपूर की 'मासूम' में बाल कलाकार के रूप में अभिनय कर चुकी थीं और फकीरचंद मेहरा द्वारा निर्मित एक फिल्म में शाहरुख खान के साथ काम कर चुकी थीं। बोनी कपूर ने ही उर्मिला का परिचय वर्मा से कराया था। राम गोपाल वर्मा ने उर्मिला मातोंडकर की मनमोहक छवि 'रंगीला' के लिए गढ़ी थी और उस छवि से चकित एवं मंत्रमुग्ध उर्मिला मातोंडकर ने राम गोपाल वर्मा की अनेक फिल्मों में अभिनय किया, जिस कारण अन्य फिल्मकारों को यह लगा कि उनका समय केवल वर्मा के लिए आरक्षित है। इस धारणा के कारण उर्मिला मातोंडकर की प्रतिभा पूरी तरह उजागर नहीं हो पाई। राम गोपाल वर्मा फिल्म उद्योग में आने से पहले ही विवाहित थे और पिता भी थे, परंतु उन्होंने इन तथ्यों को गोपनीय ही रखा। कई हुक्मरान भी स्वयं के विवाहित होने को रहस्य के आवरण में छुपाकर रखते थे। इतना ही नहीं, वरन् एक बार इस तरह का प्रसंग उजागर हुआ तो वह महिला अब कहां है- यह कोई नहीं बता सकता। संभवत: वह एक करोड़ चालीस लाख अप्रवासी भारतीयों की किसी बस्ती में गुमनाम रहने की शर्त पर ही जीवित हों। जिसे सरगना के भव्य निवास में होना था, वह कहीं गुमनाम जीवन जी रही है और जाने कैसे सनसनीखेज पत्रकारिता के दायरे के बाहर वह कहीं महफूज है।

आजकल राजधानी के गलियारों में देश के भावी राष्ट्रपति को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो चुका है। कल के बुजुर्ग नेता आडवाणी को इस कदर अलग-थलग किया है कि उनके नाम पर विचार ही नहीं हो रहा है। गैर भाजपाई दल इस पद के नामांकन को लेकर एकजुट होने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कॉलम में राष्ट्रपति पद के लिए अमिताभ भच्चन के नाम का सुझाव दिया गया था। अमिताभ बच्चन के अवचेतन में राजनीतिक महत्व का पद प्राप्त करने की इच्छा कुलबुलाती है, परंतु उन्होंने इसे कभी जाहिर नहीं होने दिया है। उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय उनके अपने जीवन में कभी भी देखा जा सकता है। अमिताभ बच्चन की गांधी-नेहरू परिवार से निकटता और अलगाव खूब चर्चित रहा है। मोदी के गुजरात के वे टूरिज़्म प्रतिनिधि भी रहे हैं। उन्हें राष्ट्रपति बनाने से नरेंद्र मोदी को अतिरिक्त प्रचार भी मिलेगा, परंतु अमिताभ बच्चन कभी नेहरू-गांधी परिवार के निकटरहे हैं ये बात शंकालू नरेंद्र मोदी को आसानी से हजम नहीं होगी। राष्ट्र में कभी भी ऐसा संकट आ सकता है जब राष्ट्रपति निर्णायक की भूमिका का निर्वाह कर सकता है। नरेंद्र मोदी को केवल अमित शाह पर संपूर्ण विश्वास है, परंतु उन्हें राष्ट्रपति बनाने पर उनकी सियासत कौन चलाएगा। सारी राजनीतिक हेरा-फेरी कौन करेगा? विरोधियों में फूट डालने का अहम काम कौन करेगा? बहरहाल हरिवंश राय बच्चन ने अमिताभ के जन्म पर कविता लिखी थी-

फुल्ल कमल, गोद नवल, मोद नवल,

गेह में विनोद नवल, बाल नवल,

लाल नवल, दीपक में ज्वाल नवल,

दूध नवल, पूत नवल, वंश में विभूति नवल,

नवल दृश्य, नवल दृष्टि

जीवन का नवभविष्य

जीवन की नवल सृष्टि।