रिजर्वेशन / विनीत कुमार

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"नीलिमा!"

"हां निखिल"

"तुमने सुना आज एनडीटीवी पर रामविलास ने क्या कहा?"

"क्या कहा?"

"कहा कि जो अन्तर्जातीय विवाह करते हैं, उनके बच्चे को रिजर्वेशन मिलता है तो उससे जाति टूट जाएगी... तो मतलब ये कि लोग बच्चों का भविष्य बेहतर करने के लिए प्रेम करने लगेंगे?"

"प्रेम का इतना खूबसूरत निवेश निखिल...मतलब हमारे बच्चे भी?"

"लेकिन हमने ये सोचकर तो प्रेम नहीं किया न नीलिमा. हमने तो बस इसलिए प्रेम किया क्योंकि हमदोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं. हमारी सोच मिलती है. हमने तो कभी ये दावा नहीं किया कि हम प्रेम करके जाति व्यवस्था तोड़ रहे हैं... हम तो बस प्रेम कर रहे थे.अब पीछे क्या टूट रहा है क्या बन रहा है इसकी व्याख्या का काम तो सत्ता में बैठे लोगों का है न."

"लेकिन तुम बताओ निखिल, अगर सचमुच ऐसा हो जाए तो तुम उसे कैसे लोगे? मेरा मतलब है उर्मि और अव्यव को इसका लाभ लेने दोगे? आखिर जाति के बंधन तोड़कर प्रेम और शादी करने में भी तो हमें उतनी ही तकलीफ हुई और आगे होगी न जितनी कि एक दलित को दलित बच्चे को जन्म देने और परवरिश करने में होती है? हम ऐसा करते हुए उंची जाति के होकर भी तो उसी तरह बहिष्कृत कर दिए जाएंगे न, अपने समाज से काट दिए जाएंगे? उर्मि और अव्यव को कितनी जिल्लत उठानी होगी? नाना, दादा सब किताबों तक होंगे."

"नीलिमा, क्या हमारा प्रेम इतना सियासी हो जाएगा कि समाजशास्त्र के सारे पाठ इसी से खुलेंगे और लिखे जाएंगे? तुम कैसी-कैसी बातें कर रही हो? फॉर गॉड सेक, तुम उसमें अभी के लिए कुछ ग्राम छायावाद के नहीं डाल सकती? तुमने बाबा नागार्जुन की सिंदूर तिलकित भाल कविता तो पढ़ी होगी, उसे याद नहीं कर सकती? हमने जो फैसला अपनी खुशी के लिए लिया, वो आनेवाली पीढ़ी के लिए निहायत एक स्वार्थ में लिया गया फैसला समझा जाएगा? मुझे डर लग रहा है नीलिमा, हमारे इस खूबसूरत संबंधों के बीच समाज की दीवारें तो आएगी, ये जानता था लेकिन उन दीवारों में संसद की ईंटें भी चुनवायी जाएगी, सपने में भी नहीं सोचा था... उर्मि, तुम जब भी इस दुनिया में आना, सिर्फ प्रेम करना, अपने उस प्रेम को संसद के गलियारों की गूंज न बनने देना. अवयव, तुम यकीन तो कर सकोगे न कि हमने एक औलाद की सुविधाएं जुटाने के लिए प्रेम नहीं किया था ? प्रेम किया था क्योंकि ये दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है."