रिटायरमेंट / सपना मांगलिक
मोहनलाल जी की पत्नी को अपने पति के साथ घूमना-फिरना बेहद पसंद था। मोहनलाल खुद भी बहुत शौक़ीन थे। पति पत्नी दोनों की एक जैसी पसंद होने के बावजूद वह कहीं भी नहीं आते जाते थे। वजह थी मोहनलाल की खूब सरे पैसे कमाने की ललक वह सुबह दस बजे अपने ऑफिस जाते और रात नौ बजे थके मादें लौटकर आते। जब कभी भी पत्नी उन्हें समय ना देने की शिकायत करती तो वह उसे प्रेम से समझाते – "बस कुछ वर्ष और बच्चों की ब्याह-शादी, पढाई-लिखाई निपट जाए उनके बेहतर भविष्य के लिए कुछ बेंक बेलेंस बना लूँ फिर तो सिर्फ हम ही हम हैं अपने बुढापे का खूब आनंद लेंगे"। पत्नी बेचारी रिटायरमेंट के बाद के सुख की कल्पनाओं में ही संतुष्ट हो जाती। वर्ष बीते बच्चों के ब्याह हुए, बढ़िया नौकरी भी लगीं। कुछ दिनों बाद जब मोहनलाल को रिटायरमेंट लेटर मिला तो वह ख़ुशी-ख़ुशी अपना पी ऍफ़ लेने पहुंचे। लौटते समय ना जाने क्यों उनकी सांस फूलने लगी और सीने में एक तीव्र दर्द की लहर-सी उठी और मोहनलाल जमीन पर गिर गए। राहगीरों ने उन्हें सड़क से उठाया और अस्पताल में भरती करने ले गए। उनके घर भी सूचना भिजवा दी गयी।