रियासती जनता का संघर्ष / सहजानन्द सरस्वती
Gadya Kosh से
भारतीय जन समूह का तृतीयांश मुद्दत से रियासतों के द्वारा बलात उन पर लादे गए पिछड़ेपन के नीचे संघर्ष करता आ रहा है। देश में जनतंत्र के आंदोलन के फलस्वरूप और इधार आकर आमतौर से किसान-आंदोलन और विशेषत: किसानों के जागरण के चलते भी रियासतों की जनता में हाल में अपूर्व जागृति हुई है। रियासती जनता का संघर्ष भी अधिकांश में किसानों का ही संग्राम है। जो न सिर्फ नागरिक एवं राजनीतिक हकों तथा आजादियों के लिए किया जा रहा है, बल्कि आर्थिक छुटकारे-मुक्ति─के लिए भी। इसलिए इस बात का उल्लेख करने में खुशी होती है कि रियासतों की पीड़ित जनता भी अपने आप को समझने लगी है और इस प्रकार शेष भारत के साथ अपनी मैत्री की जबर्दस्त शृंखला जोड़ रही है। भारत की करोड़ों श्रमजीवी जनता के उध्दार के लिए जो संग्राम माथे पर मँडरा रहा है उसमें यह मैत्री एक निराला भाग लेगी।