रिवाज़ों की गुफा में ढाई आखर प्रेम का / जयप्रकाश चौकसे

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रिवाज़ों की गुफा में ढाई आखर प्रेम का
प्रकाशन तिथि : 21 जनवरी 2021


शेखर कपूर लंदन में इंटरनेट पर प्रदर्शन के लिए फिल्म बना रहे हैं जिसका नाम है,‘व्हाट्स लव गॉट टू डू विद इट’। शबाना आज़मी इस फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका अभिनीत कर रही हंै। शेखर कपूर की पहली फिल्म ‘मासूम’ में शबाना आज़मी ने अभिनय किया था। अब लगभग 40 वर्ष बाद शेखर कपूर और शबाना आज़मी फिर एक बार साथ-साथ काम कर रहे हैं। ‘मासूम’ की शूटिंग के समय शेखर कपूर मन ही मन शबाना आजमी से प्रेम करने लगे थे परंतु यह भावना कभी अभिव्यक्त नहीं की। ज्ञातव्य है कि विश्व में जितने प्रेम निवेदन अभिव्यक्त हुए हैं उनसे कई गुना अधिक अनअभिव्यक्त रहे हैं। बहरहाल उनकी फिल्म में वर, दक्षिण एशिया में जन्मा और लंदन में बसा ब्रिटिश नागरिक है और वधू प्रवासी इंग्लैंड नागरिक की पुत्री है। वर-वधू के पारंपरिक विवाह रीति-रिवाज जुदा हैं। अब यह प्रश्न उठता है कि विवाह में किन रिवाज़ों का पालन किया जाए। बीच का रास्ता है कि दोनों ही परंपराओं का निर्वाह कर 14 फेरे लिए जाएं। विवाह स्थल चर्च भी हो सकता है और 5 सितारा होटल भी हो सकती है। सड़क के नुक्कड़ पर भी विचार किया जा सकता है।

गौरतलब है कि जनजातियों में विवाह बड़ी सादगी से होते हैं। साधनहीन वर और वधू एक-दूसरे के सिर पर 5 कटोरी शराब डालकर भी विवाह संपन्न कर सकते हैं। ज्ञातव्य है कि कुछ जनजातियों में वर को वधू के माता-पिता को कुछ रकम अदा करनी पड़ती है। अगर वर के पास कुछ भी नहीं है तो वह वधू के घर 1 वर्ष तक सेवा करके भी कन्या से विवाह कर सकता है। एक कथा इस तरह है कि वधू का पिता वर से इतना परिश्रम कराता है कि वह मर जाए। अपने पिता की इस क्रूरता की जानकारी मिलते ही वधू, वर के साथ भाग जाती है। जनजातियों में विवाह के पश्चात वर-वधू को पीठ पर लादे एक स्थान से दूसरे स्थान तक दौड़कर जाता है। इस दौड़ में वधू की छोटी बहनें और सखियां प्रयास करती हैं कि वर, वधू को गिरा दे यह दम गुर्दे का इम्तिहान है। आर बाल्की की अमिताभ बच्चन और तब्बू अभिनीत फिल्म में भी तब्बू अमिताभ बच्चन से निवेदन करती है कि वह दौड़ कर दिखाएं। ज्ञातव्य है कि शेखर कपूर देवानंद की बहन के पुत्र हैं। वे लंदन में चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। अपने काम में प्रवीण थे और कंपनी के अध्यक्ष बनाए जाने वाले थे। वर्षों से फिल्म बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा को दबाए रखे थे परंतु एक दिन लंदन की नौकरी और अपना मकान छोड़कर वे मुंबई आए। उन दिनों एक लोकप्रिय उपन्यास प्रकाशित हुआ था, ‘मैन, वुमन एंड चाइल्ड’। इसी से प्रेरित पटकथा ‘मासूम’ उन्होंने लिखी थी। शबाना के सहयोग से यह फिल्म बनी और सराही गई। शबाना आज़मी की सिफारिश पर बोनी कपूर ने ‘मिस्टर इंडिया’ का निर्देशन शेखर कपूर को दिया। शेखर कपूर ने फूलन देवी के जीवन से प्रेरित फिल्म बनाई। इस तरह ‘मासूम’ ‘मिस्टर इंडिया’ और ‘फूलन देवी’ की सफलता के बाद वे ‘पानी’ नामक फिल्म बनाना चाहते थे। ‘पानी’ का कथा, विचार शेखर कपूर के पास था परंतु उन्होंने लिखी नहीं थी। कभी-कभी मस्तिष्क से कागज पर लाने में समय लगता है। मनोज रूपड़ा की नई कथा ‘आखिरी सीन’ एक फ़िल्मकार उसके इसी स्वप्न की कथा है। कल्पना करें कि ‘कागज के फूल’ का निर्देशक नायक उम्रदराज होकर समुद्र तट पर एक फ्लैट में रहता है और एक पुराना सेवक उसकी देखभाल करता है। मनोज की कथा में अनेक परते हैं जिन्हें सराहने के लिए समय लग सकता है। बहरहाल शेखर कपूर की शबाना आज़मी अभिनीत फिल्म इंटरनेट पर शीघ्र ही प्रदर्शित होगी।