रिश्तों की कड़वाहट के डॉक्टर? / जयप्रकाश चौकसे

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रिश्तों की कड़वाहट के डॉक्टर?
प्रकाशन तिथि : 18 सितम्बर 2014


मुबई में रिश्तों के डॉक्टर हैं जिनका संबंध शारीरिक रोगों से नहीं है और मानसिक चिकित्सा के भी विशेषज्ञ नहीं हैं, वरन् ये मानवीय रिश्तों में आई दरारों के डॉक्टर हैं। आज के दौर में शायद ही कोई विषय या क्षेत्र ऐसा हो जिसके विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हैं। हमारे इस दौर में विशेषज्ञाें की भरमार है और वे स्वयं ही एक रोग हैं, यह कैसे समझाया जाए। फिल्म उद्योग में कॉजोल एवं आदित्य चोपड़ा तथा करण जौहर गहरे मित्र रहे हैं। उन्होंने अनेक सुपरहिट फिल्में साथ की हैं तथा कॉजोल उसी स्कूल में पढ़ी है जिसमें जिसमें करण जौहर भी उनके सहपाठियों में एक थे।

कुछ समय पूर्व आदित्य चोपड़ा और अजय देवगन की फिल्में टकराईं और हाल ही में करण जौहर ने अजय देवगन पर कोई टिप्पणी की तो इन रिश्तों में तनाव गया। कॉजोल के मन में कभी कोई दुविधा नहीं रही, वह अपने पति के पक्ष में है। कॉजोल की विचार प्रणाली इतनी सरल और स्पष्ट है कि वह अनावश्यक दुविधाओं की शिकार नहीं होती और अजय देवगन भी अपने चुनाव और फैसलों में हमेशा स्पष्ट रहे हैं।

कॉजोल, आदित्य एवं करण जौहर की मित्रता का आधार साझा सफल फिल्में थीं तथा व्यापारिक लाभ हमेशा रिश्तों की ऊपरी सतह पर जमी मलाई की तरह होता है। जिस दिन लाभकारी साझेदारी में साथ छूटता है, उसी दिन यह मलाई वाली सतह गायब हो जाती है तथा इस प्रक्रिया में भीतर की तह में बसी कड़वाहट सतह पर जाती है। लाभ और लोभ केंद्रित सारे काम ऐसे ही होते हैं। उनके द्वारा जन्मी मिठास दरअसल, कड़वाहट पर पड़ा आवरण है। अब कॉजोल पैंतीस पार की अभिनेत्री है और उसके नाम पर फिल्म बेचनेवालों को उनकी आवश्यकता नहीं है। फिल्म उद्योग के अधिकांश रिश्ते महज बॉक्स ऑफिस आधारित हैं। जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी बॉक्स ऑफिस मौजूद है। परंतु उसका नाम बदल जाता है। राजनीति में जब तक मिलकर चुनाव जीते जाते हैं तब तक वैचारिक समानता का ढोल पीटा जाता है। पराजय होते ही अपने आपसी टुच्चेपन को वैचारिक मतभेद का नाम दिया जाता है। राजनीति में सबसे भारी-भरकम क्लिष्ट शब्द बोले जाते हैं। क्योंकि खोखलापन छुपाने का यही भाषाई वस्त्र बड़े काम की चीज है। भाषाई वस्त्र ही भीतरी नंगेपन को छुपा रहे हैं। बहरहाल, मुंबई के एक चतुर और सफलता को साधने का प्रयास करने वाले पत्रकार ने उपरोक्त रिश्तों की अब उजागर कड़वाहट के भीतरी कारण को जानने के लिए रिश्तों के डॉक्टरों से राय ली और अन्य विशेषज्ञों की तरह उन्होंने भी मामूली सी समस्या को बड़ा बना दिया। मोटी फीस के लिए मोटे रोग का बखान जरूरी है। सीधी सी बात है कि आदित्य चोपड़ा का फोकस हमेशा अपनी फिल्मों पर होता है और वह कभी कोई बयानबाजी नहीं करता। कभी साक्षात्कार नहीं देता। करण जौहर को उजागर होने का जुनून है और हर विषय पर राय जाहिर करना आवश्यक है। दरअसल, अपने बचपन और कमसिन उम्र में अपने मोटापे और अन्य कारणों से वह मिलनसार नहीं रहा। उसने कभी उस उम्र में सोचा भी नहीं था कि वह सफल फिल्मकार होगा।

उसकी सफलता की कहानी परियों की तरह है। अत: अब वह खूब बोलता है। एक दशक की खामोशी का ढक्कन खुल गया है। दरअसल, वह भी सरल व्यक्ति है परंतु अपनी सफलता को वस्त्र की तरह पहने कर उसके व्यवहार में अंतर गया है। उसके लिए मित्रता, विशेषकर पुरानी मित्रता ऑक्सीजन की तरह है क्योंकि वह एकाकीपन को सहन नहीं कर सकता। उसके घर में रोज दावतें होती हैं। संभवत: उसके पास इन दावतों के आयोजन के लिए एक अलग विभाग भी होगा, जहां कोई विशेषज्ञ काम करता हो। अजय देवगन, कॉजोल और आदित्य चोपड़ा तन्हाई को सहेजना और एकाकीपन को शक्ति बनाना जानते हैं। अत: रिश्तों की दरारें उन्हें विचलित नहीं करतीं। कुछ लोग हमेशा अपने किए को सही घोषित करने वालों की तलाश में रहते हैं। उन्हें बार-बार सही करार दिए जाने की लत पड़ जाती है। भीतरी शक्ति वाले लोग अपने फैसलों पर किसी की मोहर लगे इसकी तलाश में नहीं भटकते। तालियों या गालियों से परे अपने संसार में रहना सबके बस की बात नहीं।