रिश्वत की महामारी काकोई वैक्सीन नहीं / जयप्रकाश चौकसे

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रिश्वत की महामारी काकोई वैक्सीन नहीं
प्रकाशन तिथि : 16 अप्रैल 2021

महामारी के वैक्सीन और प्रतिरोधक दवा के वितरण में कुछ गड़बड़ी गैर इरादतन हो रही है। कोई जानकर नहीं कर रहा है, परंतु गफलत हो रही है। कुछ संक्रमित लोगों की जांच में उन्हें संक्रमित नहीं पाया जा रहा है । कुछ ही दिनों में उन्हें संक्रमण हो रहा है। आपाधापी हो रही है। बेरोजगार लोग अपने जन्म स्थान वाले क्षेत्र में जाने लगे हैं। व्यवस्था ने धारा 144 और कर्फ्यू भी लगाया है। दिहाड़ी मजदूर संक्रमण से भले ही ना मरें परंतु भूख उन्हें मार रही है।

कुछ इस तरह की खबर भी है कि दवा और वैक्सीन में रिश्वत ली जा रही है। सत्य जानने का प्रयास भी असफल हो रहा है। गंगा के तट पर कुछ संतों को भी संक्रमण हो गया। इतने भयावह संकट के समय भी कुछ पुरानी प्रवृत्तियां जाग गई हैं। संभवत: वे भी सोने का अभिनय कर रही थीं। व्यवस्था और सामाजिक संस्थाओं द्वारा प्रयास हो रहे हैं, परंतु संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। रिश्वत लेना और देना कम या अधिक प्रमाण में जारी है।

फिल्मकार वी शांताराम ने कभी रिश्वत नहीं दी। वे नैतिक मूल्यों को समर्पित रहे। उनके स्टूडियो में मंगेश देसाई फिल्म ध्वनि के मिक्सिंग विभाग का काम करते थे। उन्हें माहवारी वेतन मिलता था। वे हर निर्माता से 5 हजार रु. की रिश्वत लेते थे। शांताराम यह जानते थे, परंतु उन्होंने इसे अनदेखा किया। महान सत्यजीत रे भी अपनी फिल्मों की मिक्सिंग के लिए मंगेश देसाई के पास आते थे।

प्राचीन कथा है कि राजा दुष्यंत आखेट के लिए जंगल गए, जहां उन्हें शकुंतला से प्रेम हो गया। उन्होंने शकुंतला को राजमुद्रा वाली अंगूठी दी कि इसे दिखाते ही उन्हें राज महल में प्रवेश मिलेगा। कुछ समय बाद नदी में स्नान करते समय अंगूठी गिर गई, जिसे एक मछली ने निगल लिया। मछुआरे के जाल में मछली फंसी। मछुआरा मछली बेचने के लिए, राजा की रसोई में सामान खरीदने वाले अधिकारी से मिला। रिश्वत देकर मछली बेची गई। भोजन पकाने वाले ने मछली काटी तो उसे राजमुद्रा वाली अंगूठी मिली। दुष्यंत को अंगूठी मिलते ही शकुंतला की याद आई। दुष्यंत शकुंतला का मिलन हुआ। पुत्र का नाम भरत रखा गया। संभवत: हम भारतीय इसीलिए कहलाए। मुद्दे की बात यह कि रिश्वत हमारी सामूहिक जीवनधारा का अंग रही है, जो कभी सतह के ऊपर कभी नीचे प्रवाहित होती रहती है।

माला सिन्हा के पिता रॉबर्ट सिन्हा को रमी खेलने का शौक था। खाकसार की ‘हरजाई’ में माला सिन्हा काम कर रही थीं। उनका समय लेने के लिए घर गया। रॉबर्ट सिन्हा के साथ रमी के खेल में जानबूझकर 100 रु. हार गया। उन्हें बताया कि शूटिंग रुक जाने के कारण वेतन नहीं मिलेगा। रॉबर्ट सिन्हा ने तुरंत शूटिंग के लिए समय दे दिया। हमारे रोज के सामान्य काम में यह लेन-देन सबके लिए सुविधाजनक है। रिश्वत की पतली गलियां राजमार्ग तक जाती हैं। सितारों के ड्राइवर पैसा मांगते हैं। नहीं देने पर वे उस समय वॉशरूम चले जाते हैं, तब जबकि सितारा शूटिंग पर जाने के लिए तैयार है। सितारा कार की पिछली सीट पर संवाद पढ़ रहा है और ड्राइवर लंबे रास्ते से उसे स्टूडियो लाता है। ड्राइवर हेयर ड्रेसर, तरह-तरह से अपने वेतन के अतिरिक्त पैसा लेते हैं। रिश्वत के रूप अनेक हैं।

रेस्तरां में वेटर को टिप देना पड़ती है। पंकज कपूर अभिनीत टेलीविजन शो ‘ऑफिस-ऑफिस’ में हर व्यक्ति रिश्वत लेता है। ‘साराभाई बनाम साराभाई’ में घर का नौकर परिवार के सदस्य से रिश्वत लेता है। रिश्वत देने पर ही सरकारी दफ्तर में फाइल आगे बढ़ाई जाती है। राज कपूर ने ‘रिश्वत’ नामक कथा लिखी थी। विजय तेंदुलकर ने पटकथा लिखना स्वीकार किया था। राज कपूर की मृत्यु के कारण वह फिल्म बन नहीं पाई। बहरहाल, रिश्वत नामक बीमारी की प्रतिरोधक दवा नहीं बन पाई और ना ही वैक्सीन बना है। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘गब्बर’ भी रिश्वत व भ्रष्टाचार के खिलाफ बनी रोचक फिल्म है।