रूनू को मत रुलाना / मोहम्मद अरशद ख़ान
और रूनू रो पड़ी।
रोती रही, रोती रही।
रोती रही, रोती रही।
इतना रोई कि उसके आँसू गिरकर कमरे में फैलने लगे। हर ओर पानी ही पानी हो गया। पहले तो पानी दरवाज़े की दराजों से भागा। पर पतली-सी दराज से पानी कहाँ तक निकल पाता? जल्दी ही कमरा लबालब हो गया और पानी खिड़कियों से झरने की तरह गिरने लगा।
दरवाज़े दबाव न सह पाए तो एकाएक खुल गए और पानी हिलकोरे लेकर सड़क पर बह चला। पानी में रूनू की ‘चर्र-चूँ’ करनेवाली पीली बतख भी तैर गई।
बाहर सड़क पर जा रही दो भैंसे घबराकर किनारे की ओर भागीं। लेकिन बाढ़ के रेले की तरह दौड़े आ रहे पानी से वे न बच सकीं। पर जल्दी ही तैरकर उन्होंने अपना सिर बाहर निकाल लिया।
पानी की मोटी-सी धार आते देख कुत्ते भौंकने लगे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि वे किधर भागें। पानी में घिरकर वे भी हाथ-पैर मारने लगे। एक मेंढक भी उसी पानी में तैर रहा था। वह घबराकर एक भैंस की पीठ पर सवार हो गया।
बगीचे में लगे गुलाब डूब गए। बोगनवेलिया ने डर के मारे फूलों से लदी घाघरेदार डालें ऊपर कर लीं। मालती की नन्हीं लता ने अपने पंजों पर उठकर बचने की कोशिश की, पर वह तो पूरा ही डूब गई।
पानी आगे चलकर चौराहे तक पहुँचा तो अफरा-तफरी मच गई। ट्रैफिक जाम हो गया। लोग अपनी-अपनी गाड़ियों से निकलकर भागे। पानी एक मोटी दीवार की तरह चला आ रहा था। लोग डर के मारे गाड़ियों की छत पर चढ़ गए। कुछ लोग बिजली के खंभों पर जा चढ़े। दूकानें फटाफट बंद होने लगीं। जो लोग घरों में थे वे छत पर चढ़ गए।
सरकार को पता चला तो उसने समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों का दल बुलाया। सफेद दाढ़ी-मूछों और मोटे-मोटे चश्मोंवाले विशेषज्ञ आ जुटे। मक्के की तरह सफेद बालोंवाले सबसे बूढ़े विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘हम यह तो जानते हैं नदी कैसे जन्म लेती है और सागर में जाकर कैसे मिलती है। पर इस नदी के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते। हमारे पास इसे रोकने का कोई तरीक़ा नहीं।’’
सबने सिर में सिर हिलाकर जोर-जोर से हामी भरी।
जब सब विशेषज्ञ आपस में बहस कर रहे थे तो कहीं से एक चिड़िया वहाँ आकर बैठ गई और कहने लगी, ‘‘मैं जानती हूँ यह नदी कहाँ से निकली है और इसे कैसे रोका जा सकता है?’’
सब हैरानी से उसकी ओर देखने लगे। वे चाहते थे कि नन्ही-सी चिड़िया की बात हँसी में उड़ा दें। पर उनके पास चिड़िया की बात मान लेने के अलावा कोई चारा नहीं था।
‘‘ठीक है, तुम ही कोशिश करो।’’ विशेषज्ञों ने सिर झुकाकर कहा।
चिड़िया उड़ चली पर झरोखे तक जाते-जाते ठहरकर बोली, ‘‘लेकिन ध्यान रहे, अब आगे से रूनू को कभी मत रुलाना।’’