रूप बाजार का नया स्वांग / जयप्रकाश चौकसे
रूप बाजार का नया स्वांग
प्रकाशन तिथि : 09 जनवरी 2009
अमीर और प्रसिद्ध लोगों के जलसाघर में नित नए तमाशे होते रहते हैं, क्योंकि सफलता ने उन्हें भोग के लिए असीमित समय और सुविधा दी है। गुजरे जमाने के राजा-जमींदार शास्त्रीय संगीत की महफिलें सजाते थे, साथ ही ठुमरी भी सुनते थे आज के रईसों के पास किसी भी शास्त्रीय कला के लिए अभिरूचि नहीं है और उनका मनोरंजन हल्की-फुल्की चीजों से हो जाता है। मुम्बई में हाल में "दि मोस्ट डिजायरेबल वुमन" का तमाशा रचा गया, जिसमें शामिल पचास सुन्दर औरतों में कुछ फिल्मी महिलाऐं भी थी। इच्छा जगाने वाली महिला के चुनाव के मापदण्ड न आयोजकों ने स्पष्ट किए, ना ही भाग लेने वाली महिलाओं को पता थे। यह तय है कि बॉक्स ऑफिस पर सफलता ने निर्णय में सबसे ज्यादा असर पैदा किया है। विगत वर्ष इसी तरह के आयोजन की विजेता प्रियंका चोपडा थीं और "दोस्ताना" के लिए पहनी सुनहरी बिकनी ने उन्हें जिताया था। इस वर्ष का ताज कैटरीना कैफ के सिर रखा गया। करीना कपूर, दीपिका पादुकोण और बिपाशा बसू बाद के पायदानों पर रहीं और कुछ समय पूर्व की ऐश्वर्या राय को शायद पैंतीस वर्षीय बहू होने के कारण शूमार नहीं किया गया। मुददा यह है कि इच्छा जगाने का कोई सर्वमान्य मानदंड नहीं हो सकता। कुछ लोगों के लिए जो सहज उपलब्ध है, अर्थात इच्छाओं के घोडे की दौड उपलब्ध होने की ओर होती है। कुछ परिष्क़त रूचि वालों की इच्छाऐं बुद्धिमान स्त्रियाँ ही जगाती हैं। आम आदमी हमेशा डिजायर (इच्छा) और डिनायल (इनकार) की दुविधा में फंसा रहता है और नेता तथा गुरु लोग हमेशा अपनी इच्छा को दबाए रखने के लिए बाध्य होते हैं। शिखर के लोग हमेशा अपने सख्त सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहते हैं और किसी भी किस्म का कातिल, छुरी वाला या नयन कटारवाला उन तक नहीं पहुँच सकता। बकौल लापतागंज के कछुआ महाराज के कुछ पहुँच भी जाते हैं।
दरअसल डिजायर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है। वह प्रेरणा भी दे सकती है और पाप कि और धकेल भी सकती है। मनुष्य की केंद्रीय उर्जा का सञ्चालन भी डिजायर ही करती है। डिजायर और डिनायल एक ही तराजू के दो पलड़े हैं और उनका झुकाव पैदाइशी गुण-अवगुण के साथ ही लालन-पालन और विकसित अभिरुचियों के अनुसार होता है।
कैटरीना कैफ कि बॉक्स ऑफिस सफलता, सौंदर्य और मांसलता के साथ मासूमियत ने संभवत: उन्हें डिजायर जगाने वाली महिलाओं का सरताज बनाया। वह मासूम सुन्दरी लगती है। करीना कपूर उनसे ज्यादा सुन्दर हैं और उनका फिगर भी निर्दोष है, परन्तु मासूमियत के अभाव और अहंकार के भाव के सदैव चस्पा रहने के कारण वह मात्र रूपगर्विता हैं। दीपिका पादुकोण अपनी सुंदरता और सुडौलता के बावजूद अपने चालक होने को नहीं छुपा पाती। वह एक अदा मात्र रहते हुए उमराव नहीं बन पाई। बिपाशा बसु कि सेक्सुएलिटी पुरुषों में भय पैदा करती है और वह बीड़ी जलाते-जलाते अग्निगर्भा होने का भाव पैदा करती है