रोग और इलाज / अशोक भाटिया
देश के कुछ राज्यों में स्वाइन फ्लू फ़ैल गया था। एक दिन खबर आई कि स्वाइन फ्लू के एक हजार से ज्यादा टेस्ट पॉजिटिव पाए गए। लोगों को चिंता होने लगी।
सरकार से पूछा तो जवाब मिला – सभी हस्पतालों में एक कोना ऐसे मरीजों के लिए बना दिया गया है।
कुछ दिन बाद मीडिया ने बताया कि स्वाइन फ्लू से चार दिन में चौंतीस लोगों की जान चली गई है। लोगों में डर फ़ैल गया।
तब सरकार ने कहा – बाज़ार में दवाओं की कमी नहीं है।
फिर कुछ दिन बाद खबर मिली कि इस रोग से मरने वालों की संख्या सौ से अधिक हो गई है। सुनकर लोगों की दहशत बढ़ गई। उन्हें लगा कि इस बीमारी की ठीक दवा नहीं मिलती, तभी इतने लोग मर गए हैं।
सरकार बोली कि वह रोग की निगरानी कर रही है।
इसके कुछ ही दिन बाद इस रोग से दो सौ से भी अधिक लोगों के दम तोड़ने का समाचार आया। सुनकर लोगों में बदहवासी फ़ैल गई। उन्हें सूझ नहीं रहा था कि कहाँ जाएँ, क्या करें।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने फौरन बयान दिया – इलाज करना मेरे बस की बात नहीं है। लोग मंत्री की इस बात का अर्थ अभी समझ ही रहे थे कि इस रोग से मरने वाले तीन सौ से भी अधिक हो गए।
तब स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आपात बैठक बुलाई गई है।
लेकिन लोगों में भगदड़ मच गई। उन्हें इस फ्लू के लक्षण भी नहीं पता थे। अगर किसी को जरा-सी भी खांसी हो जाती तो कलेजा मुंह को आने लगता। मिश्री, चीनी, मुलठी, सौंफ या गुड़ फौरन आजमाया जाता। साथ में सरकार पर गुस्सा आने लगता।
स्वास्थ्य मंत्री ने जनता की नाराज़गी को देखते हुए प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर कहा - सरकार ने आदेश दिए हैं कि हर शहर में इसकी दवा मिले।’ जनता दवा की खोज में निकल पड़ी। शायद हमारे शहर में भी दवा आ गई हो।
अगले चौबीस घंटों में ही मृतकों की संख्या पांच सौ के पार हो गई।
तब स्वास्थ्य मंत्री ने अधिक मौतें होने की स्थिति में बचाकर रखे गए रहस्य को उद्घाटित किया – कई हस्पतालों में दवा का मुफ़्त इंतजाम भी है।’ गरीब जनता पता करने में जुट गई कि उनके या उनके साथ लगते शहर में भी ऐसा इंतजाम हुआ है कि नहीं।
कुछ दिन बाद सभी खबरिया चैनलों पर स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या सात सौ तीन होने की खबर दिन-भर चलती रही। खबर देख-सुनकर लोगों के हाथ-पैर ढीले पड़ गए ।उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।
तभी स्वास्थ्य मंत्री का निडर बयान आया – एक डर पैदा हुआ है, जो बेबुनियाद है।’
इस बीच सर्दी जा रही थी कि जाते-जाते फिर लौट आई थी। इस बीच स्वाइन फ्लू के मृतकों की कुल संख्या आठ सौ के पार जा चुकी थी। अबकी बार सरकार ने कोई बयान नहीं दिया। उसका बयान-कोष खाली हो चुका था। उसने सोचा कि जैसे सर्दियों में स्वाइन फ्लू से लोग खत्म हुए, ऐसे ही गर्मियां आने पर स्वाइन फ्लू भी खत्म हो जायेगा।