रोज रो काम रोज / नीरज दइया
अजीत नै बड़ी मैडम बुलावै। बाई क्लास मांय आ’र बोली तो अजीत ऊभो हुयग्यो। बीं रै च्यारूंमेर डर चिपग्यो। बड़ी मैडम क्यूं बुलावै है? सगळा छोरा-छोरियां री आंख्यां में ओ सवाल आ’र जमग्यो। काम पूरो नीं हुवैला का फेर कवर नीं चढायो हुवैला। आ भी तो हुय सकै है- कापी चैक ई नीं कराई हुवैला। गोळ चीकणो डंडो जिकै जिकै नै याद आयो बीं रा रूं-रूं खड़ा हुयग्या।
‘सर!’ अजीत रो इत्तो कैवणो हुयो कै सर आपरै हाथ सूं सैन कर दी- जा!
‘मे आई कम इन, मैडम! अजीत धूजतो-धूजतो बोल्यो।
‘यस।’ बड़ी मैडम चस्मै रै हाथ लगा’र बोली।
अजीत बड़ी मैडम री मेज कन्नै जा’र ऊभग्यो।
‘क्यों रे! काम पूरो कियां कोनी.......’
अजीत चुप। अेकदम चुप। जाणै गूंगो हुवै।
‘म्हैं कांई पूछूं हूं, काम पूरो कियां कोनी......?’ बड़ी मैडम तीन-च्यार पानां पलटिया। बोली-‘अरे अै साईन...... किण रा है ........?‘
‘सु....सु....सुधा मैडम रा.....।’
अजीत री टूटती-जुड़ती आवाज निकळी।
‘जा, सुधा मैडम नै बुला’र ला।’
‘मैडम......।’
‘हांऽ....बोल बोल। अेकदम साची बता दे, कीं नीं कैवूंला, अर नीं तो.....।’ बड़ी मैडम मेज माथै पड़ियै डंडै कानी देख्यो।
‘मैडम म्हैं....।‘
‘तो आ थारी कुचमाद है! साइन मैडम रा कोनी नीं...... बोल, जल्दी बोल.... तूं करिया है नीं?‘
‘हां ऽ.... पण मैडम...., अबै कदैई कोनी करूं। मैडम, अबकी बार छोड़ दो। मैडम, अबकी बार माफ कर दो!‘ अजीत रोवणखळो हुयग्यो। अेक-दो आंसुड़ा तो आंख्यां बारै आ‘र ई रैया।
‘देख, म्हैं थनै पैली ई कैयो हो। साची-साची बता देसी तो कीं नीं कैवूंला अर नीं तो डंडो देख ले।’
‘मैडम काम पूरो कोनी हो...।’ अजीत रोवण लाग्यो। ‘देख रोवण री कोई बात कोनी।’
‘मैडम, म्हैं सोच्यो मैडम मारसी इण खातर म्हैं....। अबै कदैई कोनी करूं.... हां मैडम, साची कैवूं अबै कदैई कोनी करूं.....।‘
इत्तै में सुधा मैडम आफिस में आयगी।
‘देखो इन्नै...आ कापी थारै विषय री है। चेक ई हुई है, पण काम पूरो कोनी।’
‘दिखाओ देखाण....।’ सुधा मैडम बोली।
‘आ कांई है....हूंऽ ...आ थारी कापी है? अै साईन तो म्हारा कोनी। क्यूं रे जेळ जावण रा लखण करै है। जे म्हैं पुलिस में रिपोर्ट लिखा दूं तो जेळ हुय जावैला।’ अजीत सामीं आंख्यां काढती मैडम सूं बोली-‘मैडम, सागीड़ी पिटाई लगाओ। आगै सारू अै धंधा नीं करैला।’
‘छोड़ो, अबकी बार तो ओ माफी मांग ली है। क्यूं रे, च्यार दिनां में दूजी कापी बणा‘र काम पूरो कर‘र दिखा देसी नीं?
‘हां, मैडम! म्हैं काम पूरो कर लासूं....।’
‘तो जा! और हां, सुणो मैडम बी कैयरफुल, इण छोरै रो ध्यान राख्या। क्लास में इण नै कीं कैवण री दरकार नीं है। च्यार दिनां पछै देखसां।‘
‘साची मैडम, काम पूरो कर‘र दिखा देसूं.....।’ अजीत कापियां उठावतो बोल्यो।
बो आफिस सूं बारै आय‘र आपरा आंसू पूंछ लिया। बड़ी मैडम री बात माथै काम पूरो करण री तेवड़ ली। अेकदम पक्की धार ली। हर हाल में काम पूरो करणो है। साचाणी अजीत च्यार दिनां में ई काम पूरो कर’र मैडम नै दिखा दियो अर भळै रोज रो काम रोज करण लाग्यो।
आदत बदळण सूं अजीत चोखै नम्बरां सूं पास हुयो अर बीं नै इण सारू इनाम पण मिल्यो।