रोटी / शंकर पुण्तांबेकर
Gadya Kosh से
भगवान ने हमसे कहा, "हमारा यह मंदिर खोद डालो। यह मंदिर नहीं, साक्षात् भ्रष्टाचार खड़ा हुआ है।" हमने कहा, "हमारे पास सिर्फ कलम है। इससे जल्दी नहीं खोद पाएँगे। जिनके पास सही हथियार हैं, आप उनसे क्यों नहीं कहते? " इस पर हमने कहा, "आप उन्हें रोटी देकर ताकत क्यों नहीं देते? " भगवान बोले, "मैं उन्हें रोटी दे तो दूँ, पर वह उनके अधिकार की नहीं, भीख की चीज होगी। भीख की रोटी आदमी को काहिल बना देती है और काहिल लोग जड़ नहीं खोद सकते।"