रोडोपिस (अज्ञात) / कथा संस्कृति / कमलेश्वर
यह एक गणिका की सच्ची कथा है, जिसे मिस्रवासियों ने लिपिबद्ध करके रख लिया। गणिका रोडोपिस को लेकर पुरातन यूनानी साहित्य में बहुत-से प्रेम-गीत लिखे गये, जो आज भी पाये जाते हैं। प्रेम-व्यापार और प्रेमपिपासा के द्वन्द्वात्मक सन्तुलन का यह सम्भवतः सर्वप्रथम विवरण 1000 ई. पूर्व का है।
रोडोपिस ने अपना जीवन दासी के रूप में शुरू किया था। वह समोस के इआडमोन के यहाँ नौकरानी थी। रोडोपिस को उसके मालिक ने एक मिस्री धनिक के हाथों बेच दिया। वह उसे मिस्र ले आया। रोडोपिस अनिन्द्य सुन्दरी थी। नये मालिक ने चारों तरफ खबर फैला दी कि उसके पास एक अप्सरा है, जो कामकला में भी निपुण है। यह खबर फैलते ही रोडोपिस के सौन्दर्य का पान करने वालों का ताँता लग गया। मालिक ने रोडोपिस के यौवन का व्यापार करके बहुत धन कमाया।
सुन्दरी गणिका रोडोपिस के हजारों चाहने वालों में एक चारारक्सुस नाम का यूनानी युवक जहाजी भी था। वह रोडोपिस के प्रेम में बुरी तरह बिंध गया था। उसने रोडोपिस के मालिक को मुँह-माँगा धन देकर उसे मुक्त करा लिया। चारारक्सुस ने नौक्रेटिस में अपनी प्रेमिका के लिए निवास-स्थान की व्यवस्था की। सुन्दरी रोडोपिस वहाँ निश्चिन्त होकर रहने लगी।
जब भी युवक जहाजी यूनान से मिस्र आता, तो रोडोपिस के साथ सारा समय गुजारता। वे उन्मत्त होकर एक-दूसरे को प्यार करते। जब तक यूनानी जहाजी वहाँ रहता, रोडोपिस किसी भी और प्रेमी से कोई सम्बन्ध न रखती। यूनानी प्रेमी के जाने के बाद वह अपना प्रेम-व्यापार चालू कर देती थी।
हुआ यह कि एक बार जब यूनानी प्रेमी चला गया, तो सुन्दरी रोडोपिस नील नदी में नहाने गयी। उसने सब वस्त्र उतारकर नील नदी के तट पर रख दिये थे। तभी एक चील आयी और उसकी कंचुकी पंजों में दबाकर मेंफिस नगर की ओर उड़ गयी।
मेंफिस का राजा उस समय दरबारियों से घिरा बैठा था। जब चील उड़ती-उड़ती वहाँ पहुँची, वह कंचुकी उसके पंजों से छूटकर राजा के दरबार में गिर पड़ी। कंचुकी को देखकर राजा वासना से पीड़ित हो उठा। बस, फिर क्या था। दूत-दूतियाँ चारों तरफ दौड़ा दिये गये कि कंचुकीवाली को खोजकर लाया जाए ।
रोडोपिस को लगा कि यह क्षण उसके भाग्योदय का है। वह दूतों के साथ राजा से मिलने राजधानी पहुँची। उसे देखते ही राजा अपना होश खो बैठा। सुन्दरी रोडोपिस ने चतुराई से काम लिया और विवाह की शर्त रख दी। उसकी यह शर्त राजा ने मान ली। रोडोपिस महारानी बन गयी। तब भी वह अपने प्रेमी को दिल से नहीं निकाल पायी। वह हमेशा उससे भी मिलती रही और इस तरह प्रेम और कर्तव्य की यह कठिन भूमिका उसने अन्त तक निभायी।
यूनानी लौकिक काव्य में रोडोपिस की यह प्रेमगाथा अमर हो गयी... सदियों बाद तक कवि उसके इस कठिन प्रेम-प्रसंग को लेकर रसभीगे गीत लिखते रहे।