रोबो बरक्स मानव युद्ध संभावना / जयप्रकाश चौकसे

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रोबो बरक्स मानव युद्ध संभावना
प्रकाशन तिथि : 17 जुलाई 2020


खबर है कि कोविड कालखंड में कुछ विवाह हुए हैं। दूल्हा-दुल्हन ने संक्रमण से बचने, ऐसे वस्त्र पहने कि वे अंतरिक्ष यात्री लग रहे थे। यह मनुष्य की जिजीविषा है कि वह प्रतिकूलता में भी सामान्य होने की चेष्टा करता है। उत्सव मनाता रहता है। अपने लैपटॉप से दुनिया घूमता है, जैसे कि ‘अलादीन’ नामक फंतासी में उड़ने वाले कालीन का आकल्पन प्रस्तुत है। गौरतलब है कि वह जिन्न जो मनुष्य की सारी इच्छाएं पूरी कर सकता है, स्वयं ही एक चिराग में कैद है। सवाल है कि क्या सचमुच कोई भी स्वतंत्र हैं? हुक्मरान भी अपनी महत्वाकांक्षा के पिंजरे में कैद हैं व उसके अनुयाई भी अंधविश्वास व कुरीतियों से शासित हैं। निदा फाजली ने कहा है कि ‘जंजीरों की लंबाई तक है, मनुष्य का सारा सैर-सपाटा।’

दशकों पूर्व, लंदन की एक अदालत ने एक जोड़े को इस आधार पर तलाक की आज्ञा दी कि पति ने साइबर संसार में अपने रचित पात्र को अन्य पात्र संग प्रेम करते हुए प्रस्तुत किया था। यह अन्य पात्र उसकी पत्नी नहीं है। क्या आभासी संसार में किए गए व्यभिचार के लिए यथार्थ अदालत दंडित कर सकती है? दूसरी ओर तथ्य है कि कोई व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में किए अपराध के लिए वर्तमान में दंडित नहीं हो सकता, क्योंकि कानून पूर्व जन्म अवधारणा नहीं स्वीकारता। संभव है कि अंग्रेजों द्वारा भारत में स्थापित अदालत में पवित्र गीता को अपने छोटे आकार के कारण सुविधाजनक माना गया हो। विष्णु के अवतार कृष्ण की गीता की ही शपथ लेकर पुनर्जन्म अवधारणा को अस्वीकारा जाता है। जर्मन दार्शनिक वीज ने पुनर्जन्म पर बहुत से ग्रंथ लिखे हैं। चेतन आनंद की ‘कुदरत’ और सुभाष घई की ‘कर्ज’।

एच.जी वेल्स ने 1833 से ही विज्ञान फंतासी लिखना शुरू कीं। मशीन मानव, रोबो भी वेल्स का आकल्पन हैं। उनकी एक रचना में वैज्ञानिक का बनाया रोबो अपने निकट आए व्यक्ति पर अपने लोहे जैसे हाथ से आक्रमण करता है। वैज्ञानिक की पुत्री अपनेे पिता से कहती है कि रोबो उससे प्रेम निवेदन कर उसे गीत सुनाता है। पिता चेतावनी देता है कि रोबो से दूर रहे। एक दिन पुत्री रोबो की बांह में कुचली हुई मिलती है। वैज्ञानिक रोबो के सारे पुर्जे खोलकर रोबो की मैमोरी की जांच करता है। वैज्ञानिक की प्रयोगशाला की एक खिड़की सार्वजनिक बगीचे की ओर खुलती है। युवा प्रेमियों की बात लोगों ने रिकॉर्ड कर ली है।

फिल्म ‘बाईसेंटनियल मैन’ में वैज्ञानिक की पुत्री रोबो से प्रेम करती है। रोबो व प्रेमिका चर्च में अपने विवाह का आवेदन भेजते हैं। अस्वीकृती पर वे अदालत में अर्जी लगाते हैं। लंबी कर्रवाई के बाद अदालत का सकारात्मक फैसला तब आता है, जब रोबो की एक्सपायरी डेट है। हर दवा की तरह मशीन के काम की भी मियाद होती है। सृजन शक्ति एक्सपायरी डेट के बाद भी काम करती है।

स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ में एक अधेड़ विधवा एक छोटा रोबो बनवाती है। वह उसके सारे काम करता है, वह भी रोबो को दुलारने लगती है। विधवा के बीमार होने व उसे कैंसर होने के बारे में जान, रोबो की आंख में आंसू आ जाते हैं। स्पीलबर्ग मशीनी मानव में मानवीय संवेदना की बात प्रस्तुत करके संवेदनहीन मनुष्य की संभावना का संकेत देते हैं। कॉफ्का अपनी कथा ‘आउटसाइडर’ में संवेदनविहीन पात्र प्रस्तुत करते हैं, यूं मनुष्य में मशीन मानव का प्रवेश होता है। संवेदना समाप्त होने की प्रक्रिया में ही निहित है कि तर्क को अस्वीकार करें। इसका अर्थ है कि तर्कहीनता की मॉयथोलॉजी का निर्माण हो रहा है व मिथ मेकर्स राजनीतिक सत्ता हथिया रहे है। मॉयथोलॉजी के मोहपाश में जकड़े हुए आम आदमी ने तर्क व न्याय में विश्वास खो दिया है। मानवाधिकार का हनन हो रहा है। यूं मॉयथोलॉजी का पुनरागमन हो रहा है। एस.एस राजामौली की ‘बाहुबली’ की सफलता को अवाम द्वारा अनुमोदन माना जा सकता है। आम आदमी ने मुखौटा गिरा दिया है और अपने आदिम स्वरूप में सामने आ गया है।