रोहित शेट्‌टी और फराह खान लामबद्ध / जयप्रकाश चौकसे

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रोहित शेट्‌टी और फराह खान लामबद्ध
प्रकाशन तिथि : 12 फरवरी 2019


ताजा खबर है कि 'सिम्बा' की सफलता के पश्चात रोहित शेट्‌टी ने फराह खान को अपनी फिल्म निर्देशित करने के लिए अनुबंधित किया है। ज्ञातव्य है कि फराह खान के पास कोई काम नहीं था। कुछ समय फराह खान, उनके भाई साजिद खान और पति शिरीष कुंदर ने असफल फिल्में बनाई और ऐसा आभास हुआ मानो उन तीनों की बीच अघोषित प्रतियोगिता थी कि कौन अधिक फूहड़ और उबाऊ फिल्म बनाता है। रोहित शेट्‌टी ने बेरोजगार बैठी फराह को अवसर दिया, क्योंकि बेरोजगार व्यक्ति को काम मिलता है तो वह दुगुने जोश के साथ काम करता है। सफलता के लिए उसमें एक तड़प रहती है। वह स्वयं को सफल लोगों की जमात में शामिल करने के लिए बेकरार होता है। केवल एक ही श्रेणी भेद असरदार है और वह है सफल लोगों की जमात तथा असफल लोगों की भीड़।

यह कई तरह से जाहिर होता है कि असफल व्यक्ति को दावत में शरीक होने के निमंत्रण मिलने कम हो जाते हैं और निमंत्रण मिल भी जाए तो वेटर तक उन्हें कुछ देने की तत्परता नहीं दिखाता। वेटर जानते हैं कि किस ओर त्वरित गति से जाकर पेय और स्नैक्स देने हैं। प्रवेश द्वार पर ही चौकीदार बड़े बेमन से स्वागत करता है। उसका रस्मी सलाम भी बड़ा ढीला होता है। रोहित शेट्‌टी ने सही दांव खेला है। फराह खान सफल जमात में दूसरी बार प्रवेश के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। ज्ञातव्य है कि स्टंट फिल्म कलाकार कामरान की बेटी है फराह खान। मंसूर खान की आमिर अभिनीत फिल्म में फराह को नृत्य निर्देशन का पहला अवसर मिला। सलमान खान को भी फराह खान ने नृत्य का अभ्यास कराया था, जब सूरज बड़जात्या उनके साथ 'मैंने प्यार किया' बनाने वाले थे। ये तमाम फिल्में बनाने वाले बांद्रा में ही रहते हैं और एक दूसरे को बचपन से जानते हैं, साथ खेले-कूदे और लड़े-झगड़े हैं। फराह खान ने बतौर निर्देशक स्वयं को स्थापित करने के बाद बिमल रॉय की जन्म जन्मांतर की प्रेम कथा 'मधुमति' का चरबा 'ओम शांति ओम' के नाम से शाहरुख खान के साथ बनाई। फिल्म के टाइटल का सांस्कृतिक अर्थ नहीं लिया बस नायक का नाम 'ओम' और नायिका का नाम 'शांति' है। इसका श्रेय फराह खान को जाता है कि उसने दीपिका पादुकोण को पहला अवसर दिया। फिल्म को बस इतनी सफलता मिली कि उसकी ध्वजा बनाकर फिल्म बाजार में बड़ी सफलता का प्रभाव बनाया जा सके। प्रचार माध्यम इस तरह का झंडावंदन करने में सहायता देता है।

फराह खान ने तुरंत अपने भाई साजिद खान के लिए निर्देशन का अवसर जुटाया। साजिद खान को भी पुरानी सफल फिल्मों का नया स्वरूप बनाने का चस्का लगा, परंतु जितेंद्र-श्रीदेवी अभिनीत 'हिम्मतवाला' को उन्होंने इतनी फूहड़ता से प्रस्तुत किया कि दर्शक नाराज हो गया। तुनकमिजाज दर्शक फूहड़ता को सहते हुए उससे ऊबकर पल्ला झाड़ लेता है। फराह के पति कुंदर ने भी एक असफल फिल्म निर्देशित की, जिसमें अनुपम खेर ने एक बोने का किरदार अभिनीत किया था। सलमान खान की मौजूदगी भी इस फिल्म को बचा नहीं पाई। इस तरह से एक बंद हुई दुकान दोबारा सक्रिय करने की पहल रोहित शेट्‌टी ने की है। रोहित शेट्‌टी के मसाले में प्रमुख तत्व एक्शन होता है और फराह खान नृत्य गीत पर जोर देती हैं। इस तरह मसाले के युगल स्वरूप से मनोरंजन गढ़े जाने की संभावना है।

ज्ञातव्य है कि रोहित शेट्‌टी को पहला अवसर अजय देवगन ने दिया था परंतु शाहरुख खान के साथ वे 'चेन्नई एक्सप्रेस' बना चुके हैं। यह संभव है कि दीपिका पादुकोण ने रोहित शेट्‌टी को फराह खान का नाम सुझाया हो। इस तरह शायद वे 'ओम शांति ओम' में लिए जाने का शुक्राना अदा कर रही हों। सितारों को शुक्राना अदा करने के लिए अपनी जेब से कुछ नहीं देना पड़ता। न ही शब्दों द्वारा धन्यवाद दिया जाता है। इशारों ही इशारों में बात हो जाती है। कभी-कभी निगाहें कहीं और निशाना कुछ और होता है। यह भी मुमकिन है कि रोहित शेट्‌‌टी, फराह खान के माध्यम से सलमान खान को साधना चाहते हैं। अधिकतर कमाई के लोभ में पुरानी वजेदारियां हाशिए पर डाल दी जाती हैं। रोहित शेट्‌टी की इन सरगर्मियों से अजय देवगन अकेले पड़ गए हैं परंतु वे स्वयं ही निर्देशन क्षेत्र में आ चुके हैं। करण जौहर, काजोल के माध्यम से अजय को साधने का प्रयास कर रहे हैं। अधिकतम लाभ का लोभ फिल्म जगत में आए दिन नए समीकरण बैठाता है।