लब्बो हवा / धनन्जय मिश्र

Gadya Kosh से
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भयंकर रेल दुर्घटना छेलै...

सौ सें कम आदमी नै मरलोॅ छेलै। चारो तरफ हाहाकार मची रहलो छेलै। कोय केकरौह ना पहचानी रहलोॅ छेलै। सब आपनोॅ-आपनोॅ जान बचाय लेली बदहवास आरू चिन्तित रहै।

खून सें सौंसे पटरी आरो प्लेटफार्म रंगी के भरी गेलो छेलै। बचाय वाला में जत्ते आदमी नै होतै, ओकरा से ज़्यादा देखवैया के भीड़ लागी गेलोॅ छेलै।

ट्रेन दुर्घटना पर बहस छिड़लोॅ छेलै। सभ्भैं आपनोॅ-आपनोॅ वक्तव्य दै रहलोॅ छेलै। जत्ते मुँह ओत्ते बात। बादोॅ में मालुम होलो छेलै कि ट्रेन ड्राइवर नेॅ सिग्नल पर ध्यान नै देलें छेलै आरो निसांब में आवी केॅ दूसरोॅ पटरी पर ट्रेन हाँकी देलेॅ रहै, जे कारण वही पटरी पर आवी रहलोॅ एक दोसरोॅ एक्सप्रेस ट्रेन सें हौ ट्रेन टकराय गेलोॅ छेलै। है विशुद्ध मानवीय लापरवाही वाला भूल छेलै। होकरो जत्ते भयंकर डंड होयल पारेॅ ओतना कम छै।

यमलोक में यम के नींद हराम होय गेलै। नै जानौ आवें कत्ते-कत्ते पुण्यात्मा आरो दुरात्मा के एक्के साथे व्यवस्था करै लें लागतै। यम चिन्तित छेलै।

जे भी हुऐॅ, कुछ न कुछ ताॅ करै लेॅ पड़तै-यमराज जी सोचलकै आरो आपनो दस चुनलोॅ न्यायी दूत केॅ बोलैलकै। बोलाय केॅ कहलकै, "जा तोहे सिनि रेल दुर्घटना मंे मृतक सिनि के जीव केॅ उठाय लानो।"

दसो दूत खोजते-खोजते प्लेटफार्म पहुँचलै।

ऐत्ते भीड़ देखी के दूतो के मोॅन चकराय लागलै। भीड़ में घुसना मुश्किल छेलै। तभियो ठोला-ठोली करी केॅ दसो यमदूत भीड़ों में घुसलै। यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ भीड़ों में जीव सिनि केॅ खोजते रहलै, मतरकि एक्को जीव नै मिललै। यहाँ तक की पाँच घंटा तक निष्पंद काया केॅ घूमते जीव सिनी केॅ आरू खोजते-खोजते थकी के चूर होय केॅ फेरू सांझ होते-होतें यमराज के दरबार में सभ्भें दूत उपस्थित होय गेलै।

"तोरा सिनि के साथ जीव नै दिखाय रहलोॅ छौ?" यमराज ने आश्चर्य सें पुछलकै।

"एक्को जीव नै मिललै।" सभ्भें दूत्ते एक्के साथ कहलकै "आखिर ई केना हुऐॅ पारेॅ। जीव सब गेलै कहाँ?" "ई बातोॅ पर हमरो सिनि केॅ आचरज छै।"

"कि धरती पर सभ्भें जग्घा में तोरा सिनि खोज करी लेलौ?"

"हों, कोय जग्घा एसनो नै बचलो छै जहाँ हमरा सिनि नै खोजने छियै, यहाँ तक की दारू, ताड़ी खाना, मैखाना तक देखी लेलियै मतुर काहीं नै जीव मिललै।"

दसो दूत के गेला पर यमराज एकदम उदास होय गेलै। सोचलकै-ई केन्हौ केॅ नै हुऐॅ पारेॅ। आवे हमरा चली केॅ हेड दूत से यै सम्बंधोॅ में मंत्राणा करना चाहियोॅ आरोॅ यमराज वहाँ सें उठी केॅ हेड दूत के पास चली पड़लै। आरोॅ धड़पड़ैलो हेड दूत केॅ घोॅर घुसी गेलै।

आरो वहाँ केरोॅ दृश्य देखी के यमराज के होश फाटी गेलै। देखलकै-दसो दूत साथेॅ हेड दूत सोना-चाँदी के आभूषण, कीमती घड़ी, इलेक्ट्रोनिक्स सामान रोॅ बाँट-बखरा करै में भिड़लोॅ छेलै, ओकरा वास्ते भारी नोक-झोंक भी होय रहलोॅ छेलै। सब सामान पर खूब के ताजा छींटा लागलोॅ रहै।

है देखी के कुछ नै बोलै पारले यमराज। पथ्थर बनी के खाड़ो होय गेलै।