लव एंड शादी.कॉम / रिशी कटियार
“हेलो,गुड इवनिंग सर,”
“गुड इवनिंग,”
“चिंटू शर्माजी बात कर रहे हैं सर?”
“यस”
“सर,मैं चिंकी बोल रही हूँ,शादी.कॉम से.सर अभी सही टाइम है कॉल करने का”
“अरे बिलकुल है,मुझे कौन सा स्वेटर बुनना हैं जाकर”
सर,आपने शादी.कॉम पर प्रोफाइल बनाई है,तो चिंटू जी कैसे रिस्पांस आ रहे हैं उस पर..
फ़ोन से आती हुई मधुर, मगर अधीर आवाज़ अच्छी लग रही थी उसे.आज ऑफिस में ज्यादा काम नही था,खाली था वह,नही तो अब तक फ़ोन काट चुका होता
“अच्छे आ रहे हैं,बढ़िया,”शून्य में ताकते हुए,पेंसिल नाचते हुए बोला वो
“वो तो आयेंगे न सर,आपका प्रोफाइल बहुत बढ़िया है.तो सर,बात कर पा रहे हैं उन लोगों से”,बहुत ही नपे तुले,रेट रटाये शब्द मशीन की तरह आ रहे थे फ़ोन के दूसरे छोर से
“नही”, यही उम्मीद करती है,किसी भी matrimony वेबसाइट की कर्मचारी,अपने नॉन-पेड कस्टमर से.अगले कुछ मिनट्स पेड-कस्टमर के फायदों और ‘सिर्फ आप’ को दिए जाने वाले बहुत ही सीमित समयवधि के स्पेशल ऑफर पे केन्द्रित होते हैं.पर चिंटू थोडा होशियार था.वो पहले फोटो और प्रोफाइल पढने के बाद फेसबुक और गूगल के अनंत महासागर से उस प्रोफाइल से रिलेटेड जानकारी ढूंढ निकालता था और फ़ोन नंबर,ईमेल-आईडी,या फेसबुक पे मेसेज ही कर देता था,ऐसा कई बार कर चुका था वह और देख चुका था शादी.कॉम पे और प्रोफाइल में ‘फोटोशॉप की हुई पिक्चर और टैग की हुई फोटोज में अंतर
“हाँ,हो जाती है,”मन ही मन मुस्कुराते हुए बोला वो
“हो जाती है,कैसे सर? चौंकने की बारी चिंकी की थी...
“बस,ऐसे ही,अपने सीक्रेट है,आप को बता दूंगा तो आप फ्री अकाउंट से वो फैसिलिटी भी बंद कर देंगी “
“नही सर ,पर अगर आप पेड सर्विस लेते हैं तो और अच्छे से बात हो पायेगी आपकी, हम recommend करेंगे आपकी प्रोफाइल,हमारे एक्सपर्ट्स की टीम आपको बेस्ट मैच provide कराएगी और प्रोफाइल हाईलाइट भी की जाएगी,”बिना रुके अपना पूरा वाक्य ‘ your call may be recorded for further training ’ के डर से, खीझ को दबाते हुए बोली होगी वो
“नो थैंक यू,अगर मुझे लगेगा,तो बता दूंगा आपको…..”और इसके साथ ही उसने फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया.
काफी दिनों तक झक(?) मराने के बाद चिंटू ने शादी.कॉम पे प्रोफाइल बनाई थी....जिन्दगी के हर साल एक ख़ास दिन वो अब तक 27 बार मोमबत्तियां फूंक चूका है,और कॉलेज से लेकर अब तक कम से कम 8 बार लातें खा चुका है,जिसे दोस्त लोग मोहब्बत से GPL कहते हैं.घर वालों को,दोस्तों को और अब खुद उसको लगता है उसकी शादी की उम्र की एक्सपायरी डेट नजदीक आ चुकी है
वैसे तो कहने को चिंटू को लगभग सभी कुछ मिला है,और कभी अहसास ही नही हुआ कि वो गाँव के गरीब किसान का बेटा है.90 के दशक में जब विकास की रौशनी सिर्फ कस्बों तक ही पहुँच पाई थी और गाँव अभी भी १०वीं पास और १२वीं पास लोगों के ज्ञान के प्रकाश से ही संसार देखता था,उसके माँ बाप ने उसे एक इंजिनियर बनाने की ठानी थी.शायद वो अपने सपने अपने बच्चों के माध्यम से साकार करना चाहते थे,चिंटू बचपन से जहीन था और घर वालों को निराश नही किया.IIT से बी.टेक करने के बाद जब एक बड़ी कंपनी में गुडगाँव में उसकी नौकरी लगी थी तो पड़ोस के कई घरों में चूल्हा नही जला था और रोटियां सुलगते कलेजो पर ही सिंक गयी थी.कई ने तो IIT और ITI को एक ही तराजू में तौल कर बराबर भी कर दिया था.दो साल के बाद जब वो IIM में MBA के लिय सेलेक्ट हो गया तो फिर से एक बार पास के तालाब के सांप सभी के सीनों पर लोट के लौट गये थे.
जब वो IIT के बाद जॉब पर गया था,घर वालों की खुशी का कोई ठिकाना न रहा,और साथ ही खुश हुए वो जान पहचान वाले जिनकी बेटियां थीं.माँ ने भी सोच लिया की अब अपनी पसंद से शादी करेगी अपने चिंटू की धूम धाम से, तगड़ा दहेज़ लेकर.फिर IIM के बाद लड़की वालों ने किनारा कर लिया,लड़का अब उनके बजट से बाहर निकल गया था.आमिर और सलमान की नब्बे के दशक की फिल्मों में कॉलेज में जहाँ पढाई के अलावा सब कुछ होता है,देख देख के घर वालों ने भी सोच लिया की अब चिंटू वहीँ कहीं इलू इलू करेगा और एक दिन सीधे आशीर्वाद मांगने आएगा.
पर चिंटू ने ध्यान सिर्फ पढाई पे ही लगाया था,कभी प्यार नाम की चिड़िया उससे फंसी ही नही...शकल सूरत से सामान्य था पर स्वभाव से एकदम खिलंदड,हंसमुख और मिलनसार.कॉलेज में एक दो लड़कियों से बात भी बढ़ी थी इस दिशा में,पर वो प्यार को ज्यादा ही सीरियसली लेता था .गाँव का था ना ! eat, drink and be merry के ज़माने में वो be MARRY की बात कर बैठता था,जिससे “रात गयी बात गयी” को आत्मसात करने वाली मॉडर्न लड़कियां उसे लल्लू समझ के किनारा कर लेती थी.ऐसे ही एक-दो एकतरफा true love पे धोखा खाने के बाद और एक-दो साल तन्हाई और अकेलेपन के कोपभवन में बिताने के बाद अब वो भी stud हो गया था,जैसे चेचक होने के बाद दोबारा नही होता,वैसे ही अब वो भी प्यार की इस बीमारी के प्रति IMMUNE हो गया था.घंटो किसी से रात-रात भर बात करके भी वो Infatuation और affection को दोस्ती के दायरे में बांधना सीख गया था.
हर माँ बाप के कुछ सपने होते है,आशाएँ होती है,पर उनमे सबसे बड़ी होती है अपने बेटे/बेटी की धूमधाम से शादी की.यही उनके ढलते जीवन में खुशी का अवलम्ब होता है.पर अब असली समस्या यहीं शुरू हुई.घर वाले जो अपनी पसंद का रिश्ता देखते,वो चिंटू के लेवल का नही होता और चिंटू जो देखता ,वो न घर वालों के लेवल का होता और न बिरादरी का.शिक्षा और वैश्वीकरण का हवाला देके घर वालों को तो गैर-बिरादरी में शादी के लिए मनाया तो जा सकता है,पर एक God-FEARING (not GOD-LOVING) और रिवाजों को कानून समझने वाले समाज के ढकोसलों,पड़ोसिनो के हाथ नचा-नचा के,मुंह बिदका के टेढ़ी नजर से देखने का डर बेटे की ख़ुशी पर हावी हो जाता था. और इस तरह से दिन निकलते रहे,बात टलती रही.
अब ऑफिस में अपनी सहकर्मियों पर कभी उसका मन आसक्त हो भी जाता था तो भी वो विश्वास के उस टूट गये धागे से आतंकित जीवन भर किसी से बंधने से पहले कई सारी प्रैक्टिकल बातों पर विचार करना चाहता,और जहाँ दिमाग Equation में आ जाता है, तो प्यार domain से बाहर हो जाता है.कभी too स्मार्ट to हैंडल,कभी देसी गर्ल,too short,too short टेम्पर्ड और कभी कभी खूबी सी लगने वाली अदाएं आइडियल वाइफ की इमेज से contradict करने लगती.कभी खुद का मन राज़ी नही होता,तो कभी घर वालों का .
आखिर उसने पारंपरिक तरीकों से लड़की ढूंढने के तरीके को तिलांजलि देके, उस के हवाले कर दिया जिसका वह एक्सपर्ट था-टेक्नोलॉजी.जोड़ियाँ आसमां में बनती है,तब बनती है जब “शिष्टा”(?) होती है,पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना होता है-मैरिज ऑफिस में या शादी.कॉम पे(या ऐसी ही कई सारी चिरकुट साइट्स पे ).उसने अपना प्रोफाइल बना के डाल दिया,एक चमकदार फोटो के साथ,जिसमे सूट पहन के खड़ा था वो किसी इंटरव्यू के लिए.सोचा चलो कोई सही मिलता है तो ठीक है,नही तो फिर टाइम पास ही होगा.पर टाइम पास के लिए भी पास में टाइम होना चाहिए,वक़्त के साथ ऑफिस में responsibility बढती गयी और टाइम घटता गया.शुरू के कुछ दिन तो जोश के साथ जो भी खुबसूरत फोटो दिखती,उसकी जन्मपत्री पढ़ डालता और इंटरेस्ट भेज देता,पर यह इंटरेस्ट भी अपोजिट to फाइनेंसियल interest,टाइम के साथ कम होता गया.साईट के भेजे maximum matches आईपीएल के मैच से भी ज्यादा absurd और irrelevent होते थे और बीच बीच में आने वाले ‘पेड सर्विस’ के कॉल से उकता गया था वो..........
फिर एक दिन अचानक एक कॉल आता है,जो उसे शादी और प्यार के दोराहे पे खड़ा कर देती है........
“हेलो सर,चिंटू जी बात कर रहे हैं न सर,”
“यस”,फिर वही मधुर आवाज़,ऐसी खुबसूरत आवाज़ में तो सिर्फ लोन के या insurence के फ़ोन आते हैं.....पर इस बार आवाज़ कुछ जानी पहचानी लग रही थी....
“सर,मैं चिंकी बात कर रही हूँ,शादी.कॉम से”
अचानक कुहासा छंट गया..”हाँ याद आया चिंकी ,आपसे बात हुई थी मेरी पिछले हफ्ते....यार अभी इस बारे में सोचा नही है”.... आज सोचूंगा,फिर देखो,शाम तक बताता हूँ.....
फिर अचानक उसके सामने तस्वीर एक उभरी,एक सीधी सी लड़की,दिल्ली के किसी कोने में एक सस्ते(?) से फ्लैट में रहने वाली,रोज मेट्रो से 15 km दूर ऑफिस आने वाली,धक्के खाती,दिन भर गन्दी नज़रों को झेलती,फब्तियां सुनती,खुद को rape होने से बचाती....अपने गाँव/शहर से,घर से अलग,अकेले रहने वाली, अपनी 20000 की पगार में हर महीने पैसे बचा के घर भेजती एक लड़की का,जो अपनी सारी चिंता और परेशानियों को भुलाकर,मुस्कुराकर सबसे दिन भर फ़ोन पे “हेल्लो सर” बोलती,और मौज लेने वालों और टाइमपास वाले कस्टमर्स की गंदगी झेलती.....उसका मन भारी हो गया,खुद से थोड़ी कोफ़्त हुई....
“यार सच बताऊँ तो मैं पेड अकाउंट नही बनवाना चाहता,और मैं नही चाहता की आप फालतू में अपना टाइम ख़राब करें....सॉरी”...आवाज़ थोड़ी दब गयी थी उसकी....अपने ही ग्लानि भाव से.
“नही सर ,कोई बात नही.actually हमारे एक पेड कस्टमर ने आपकी प्रोफाइल पे इंटरेस्ट भेजा है.मैं आपको ID मैसेज कर रही हूँ आप प्रोफाइल देख लीजिये फिर रिस्पांस बता दीजिये.....मैं आपको परेशान नही करुँगी,आप प्रोफाइल चेक कर लीजिये,मैं आपसे कल फ़ोन कर के पूछ लूंगी”
उसे दया सी आई इस चिंकी पे......खैर कुछ आधा घंटे में उसके पास एक मैसेज भी आ गया ID वाला.उसने PC on किया और प्रोफाइल देखी,लड़की का नाम निधि था,कानपुर से,दिल्ली में जॉब,सैलरी 2-3 लाख,1 भाई छोटा,पेरेंट्स गाँव में,पिताजी किसी प्राइमरी स्कूल के टीचर,लड़की सुन्दर लग रही थी एक सादे सलवार सूट में,बड़ी बड़ी मासूम आँखे,लम्बा चेहरा,हाथ को एक ख़ास कोने में मुड़ाये खड़ी थी कहीं, जिसके पीछे झरने,सूरज,कुँए,पेड़ और फूल वाला एक पर्दा टंगा हुआ था.प्रोफाइल अच्छी थी,पढाई भी ok,उसे अगर कुछ विशेष नही लगा,तो कुछ गलत भी नही ढूंढ पाया उसमे.मगर शादी की फोटो में तो कोई भी शरीफ लग सकता है,उसने गूगल बाबा की शरण ली और की-वर्ड्स की हेल्प से fb प्रोफाइल भी निकाल ली.
fb पे भी वही था,photos में कोई खास अंतर नही था,शायद फोटोशाप आता नही होगा,पर सादगी भरी उन तस्वीरों में एक कमिटमेंट था खुद से ,दृढ़ता थी,विश्वास था खुद पर..पसंद में कुछ खास नही -टीवी देखना,नार्मल हिंदी इंग्लिश मूवीज और बुक्स पढना...दोस्त सीमित थे,ज्यादातर हंसी मजाक वाले पेज उसकी लाइक्स थे.इस आपाधापी भरी जिन्दगी में,ऑफिस में,कॉलोनी में ,नकली चेहरों,मुखौटो वाली,अल्ट्रा-मॉडर्न लड़कियों के बीच उसे इस computer स्क्रीन से उस की ओर निहारते हुए इस चेहरे से सुकून मिला.उसने सोच लिया अगर दोबारा फ़ोन आता है तो वो हाँ बोल देगा
अगले दिन वादे के अनुसार फ़ोन आ गया था
“हाँ सर,कैसी लगी आपको प्रोफाइल”
“बढ़िया है,मुझे तो अच्छी लगी,आप बताओ आप को कैसी लगी?”
“सर,मुझे तो बढ़िया लगेगी ही,सर,तो बताइए उनके पिताजी को नम्बर दे देती हूँ आपका,वो आपको कॉल कर लेंगे”
ठीक है,दे दीजिये,पर आप बहुत खुश लग रही है,ओह शायद आपका परफॉरमेंस रिकॉर्ड थोडा और चमक जायेगा एक सफल क्लाइंट से....”
“आँ !! हाँ हाँ...सही कह रहे है आप....ठीक है फिर,आपको कॉल आएगा उनके पिताजी का,थैंक यू सर”
शाम को कॉल आई थी उसके पापा की,बातचीत से सज्जन लग रहे थे,वही बातें,अपने परिवार के बारे में बताया,लड़की के गुण बताये,तारीफों के पुल-पुलिया बांधे;घर के सारे काम जानती है,मॉडर्न आउटलुक रखती है,शहर में रहती है,फिर भी संस्कारी है,बड़ों की इज्जत करती है,पढाई में अव्वल,दिखने में खूबसूरत आदि आदि...फिर चिंटू के परिवार के बारे में पूछा, फिर घर के लोगो के बारे में,पापा की जॉब,चिंटू की जॉब,सैलरी,ऑफिस और फिर बोरिंग बातें....पापा का नंबर माँगा,तो चिंटू ने कहा कि वो बात कर ले घर पे, फिर बता देगा.....
शाम जब वो बैडमिंटन खेल कर लौटा तो उसके मोबाइल पर किसी नए नम्बर से एक मिस कॉल पड़ी थी,काल करने पे किसी लड़की ने उठाया था..
“कौन?”
“ओह,सर,चिंकी बोल रही हूँ, मैंने मिलाया था,बात हुई आपकी?”
“हाँ हुई थी,सही लग रहे थे”,और अभी तो तुम यह सर बोलना छोड़ सकती हो,मैं भी शायद तुम्हारी एज का ही होऊंगा” उसने आवाज़ से अंदाज़ लगते हुए कहा
ओह ,sorry,मैं भूल गयी थी की मैं ऑफिस में नही हूँ.आदत पड़ गयी है फर्जी मुस्कुराने की,सर बोलने की.....कुछ कुछ रिलैक्स हो रही थी अब वो
“कोई नही होता है मेरे साथ भी....घर पे बात करते समय कभी कभी “it’s nice talking to u sir’,और फ्रेंड्स को मैसेज में with regards लिख के भेज देता हूँ
एक मुक्त हँसी बिखर गयी थी,जिसकी महक ने औपचारिकता के कसैलेपन को सोख लिया था लिया था
“खैर यह बताओ,कितनी शादियाँ करवाई हैं आपने ?”
“पता नही पर,10-15 तो हो गयी होंगी अब तक”
“और खुद की हुई की नही,मुझे लगता नही की हुई है,सही है न”
“सही है,पर आपको ऐसा क्यों लगता है ?”
“बस पता चल जाता है,तुम्हारी आवाज़ से लग रहा है....
“और क्या क्या पता लग जाता है,हम्म.......एक बात पूछनी थी तुम कांटेक्ट कैसे करते थे बिना पेड-अकाउंट के,या ऐसे ही टोपी पहना रहे थे?
चिंटू के खुराफाती तरीकों को सुन कर देर तक हंसी थी वो.एक खनकती हुई सी हंसी,निश्छल,निष्कपट.दोनों में से कोई भी ध्यान भी नही दे पाया की कब वो दोनों आप से तुम पर आ गये थे.दूरियां मिट रही थी,औपचारिकता का सिलसिला गर्मजोशी में बदल गया था.उसे याद नही उसने कितनी देर बात की...कब सो गया.....
दिन में फिर फ़ोन आया था,निधि के पिताजी का,बोल रहे थे,पापा से बात हुई थी उनकी,अब दोनों परिवार मिलने का प्लान बना रहे थे,और शायद अगले हफ्ते वो चिंटू के घर भी जा रहे थे....घर देखने....वर के लिए उन्होंने फैसला अपनी बेटी पे छोड़ रखा था और कहा था की वो नंबर दे देंगे अपनी लड़की का और वो दोनों वहीँ मिल लें दिल्ली में.उसने अगले संडे के लिए बोल दिया था...
हम छोटे से छोटे फैसले पे भी काफी सोच विचार करते हैं,पर इस मामले में जीवन की बागडोर सौंप देते हैं,एक अनिश्चित भविष्य के हाथों....सिर्फ एक मुलाकात के आधार पे,या ग्रहों की दशा और दिशा पे.... शादी एक संभावनाओ से भरे अँधेरी सुरंग जैसी लग रही थी उसे,जिसके छोर पे प्रकाश तो है पर वो सूरज की रौशनी है या आनेवाली ट्रेन की light?कौन जाने....प्यार के कई रूप देख चुका था वो,,इसलिए इस बार संभल के,सावधानी से कदम बढ़ाना चाहता था वो..
मन में कई उमड़ते-घुमड़ते सवालो के बादल थे,किस से पूछे ?आखिर शाम को उसने नंबर मिला दिया था चिंकी का .....क्यों?उसे खुद को नही पता.....शायद उसे लगा वो समझ सकती है उसकी उलझन,आखिर उसका काम ही है ये....वही गर्मजोशी से जवाब दिया उसने,सुना ज्यादा,बोला कम और शायद यही चाहिए था,अपना गुबार खाली कर दिया उसने....... फिर एक सिलसिला चल पड़ा था बातों का और फिर कुछ ही दिनों में टॉपिक बदलते बदलते एक दूसरे की जॉब की कठिनाइयों,बॉस की बुराई,देश की हालत,अन्ना के आन्दोलन,दिल्ली के rape,ब्लैक मनी से होते होते एक दूसरे की दिनचर्या,परिवार,खाना खाया या नही?शादी क्यों नही की,कभी प्यार हुआ या नही?तक पहुँच गया था.उसके सामने वो खुद को खोल के रख देता था,कोई दुराव छिपाव नही,कोई डर नही भला या बुरा लगने का.सब बता देता था अब वो कौन सी लड़की देखी,क्या देखा.अपने पुराने एकतरफा प्यार की छुपी हुई टीस के बारे में भी बताया उसने.... क्यों,पता नही ,पर काफी दिनों बाद खुद को हल्का महसूस कर रहा था ,जैसे कोई मवाद निकल गया हो जो धीरे धीरे शरीर को गला रहा था अब तक,अन्दर ही अन्दर......
पर कुछ और भी हो रहा साथ साथ...जो वो समझ नही पा रहा था.....कि क्यों जब पापा बोल रहे थे कि निधि का परिवार उन्हें अच्छा लगा,लड़की भी अच्छी लगी,तब उसे कोई विशेष खुशी नही हुई,क्यों जब उसने निधि से बात की थी तो उसकी आवाज़ में वो चिंकी को ढूंढ रहा था,बस औपचारिक बातें ही की उसने निधि से,लग रहा था जैसे कोई नोट्स मांग रहा हो बस,लगा ही नही कि यह दोनों शादी करने वाले हैं,क्यों उसके पास निधि से बोलने को कुछ नही होता और क्यों चिंकी से उसकी बातें ख़त्म ही नही होती,क्यों जब चिंकी उसकी शादी की बात करती है तो वो कहीं खो जाता है .....
कुछ और भी फील किया था उसने, कभी कभी चिंकी उससे पूछती है की कहाँ तक पहुंची बात शादी की,तो उसका सवाल में ज्यादा इंटरेस्ट रहता है और जवाब सुन के बस वो,थोड़े ठहराव के बाद, धीरे से “अच्छा है,”बढ़िया “,सही है “,इसके आगे कुछ नही बोलती.अब कभी कभी फ़्लर्ट करने पर पहले की तरह हँसती नही है..उसे कुछ कुछ महसूस हो रहा था,और इसलिए साथ साथ उसकी बेचैनी भी बढ़ रही थी...बंधन शिथिल हो रहे थे,चीजे बिखर रही थी,दोस्ती के बंधन को तोड़ देने की हद तक...
कल ही तो जाना था उसे निधि के घर,आज रात उसने जब उसने बात की,तो चिंकी कुछ ज्यादा ही सीरियस लग रही थी,जब चिंटू मजाक में हँस के बोला था,”लगता है तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है?”तब वो हमेशा की तरह ये नही बोली “तुम न, बहुत बड़े फ़्लर्ट हो “ ऐसा कई बार पहले भी बोल चुका था वो बिना किसी फीलिंग के...आज जब उसने हँस के कहा था”अब मेरी बीवी तो तुमसे बात करना न देगी,तुम कैसे रहोगी मेरे बिना,तुम्हे तो कीड़ा है मुझसे बात करने के”...तब उसने जो जवाब दिया था,उसे सुन के हँस नही पाया था वो,उसका गला सूख गया था अचानक... उसने बहुत धीरे से कहा था “यह मेरी प्रॉब्लम है,मैं तुम्हे परेशान नही करुँगी......”
और तब से ही वो परेशान है,अचानक उससे हुई सारी बातों के मतलब बदलने लगे,रात भर पता नही क्या क्या सोचता रहा...उसे लगा जैसे लाइफ ने एक सर्किल पूरा कर लिया है वो फिर वहीँ आ गया है,जहाँ से वो शुरू हुआ था ,बस इस बार वो दूसरे छोर पे था.....उसे कोई अंतर नही लगा खुद में और उनमे जिनसे वो प्यार और फिर नफरत कर के अब धीरे धीरे भूल रहा था.....वो भी तो आज वही कर रहा था,जिसके लिए उन लड़कियों को गालियाँ देता था...अब उसकी लड़ाई सिर्फ खुद से ही रह गयी थी..
सुबह बेमन से तैयार हुआ वो,उसे छोड़ के सब खुश लग रहे थे,जैसे कोई exam देने जा रहा हो जिसका उसे सिलेबस भी न पता हो....हाँ सही ही तो है...वो जानता ही क्या है,निधि के बारे में?बस यह एक समझौता ही तो है यह सब....बिना जाने एक दुसरे से बंध जाना और फिर जीवन भर एक दूसरे को समझने की कोशिश करना,और फिर अंत में थक हार के एक दूसरे को उस हद तक change कर लेना जहाँ दोनों खुद से भी अलग हो जाते है
दोपहर में पहुंचे थे वो निधि के घर.दोनों परिवार हँस हँस के मिल रहे थे जैसे के दुसरे को न जाने कब से जानते हो...निधि भी आई थी सामने बैठी थी,हल्का हलका मुस्कुराती हुई....आज यह हँसी बुरी लग रही थी उसे....आखिर उसने सोच लिया वो बोल देगा निधि से....घर वालों को बाद में भी समझा लिया जायेगा...बहुत ड्रामा होगा,पर वो लाइफ से ड्रामा नही कर सकता...
1-2 घंटे सब लोग साथ ही बैठे रहे ,फिर दोनों को कुछ देर अकेले के लिए थोडा टाइम मिला,
चिंटू “निधि, मैं तुमसे कुछ कहना चाह रहा था”
निधि ने धीरे से हाँ में सर हिलाया था “ह्म्म्म “
चिंटू”तुम बहुत अच्छी हो,और तुम मुझे पसंद भी हो ,पर एक बात है .जब तुमने पूछा था कि तुम्हारी लाइफ में कोई है क्या,तब कोई नही था,पर अब मुझे लग रहा है,की शायद कुछ है,
निधि ने देखा था,पता नही उन आँखों में क्या था,चिंटू को लगा जैसे वो हँस रही है पर ऐसा नही हो सकता ,शायद यह व्यंग हो,
चिंटू “मैं मजाक नही कर रहा हूँ. वो चिंकी याद है न,जिसने शादी.कॉम वाली जिसके बारे में मैंने तुम्हे बताया था,कल उसने कुछ ऐसा कहा,जिससे मुझे लग रहा है की मैं तुमसे शादी करके उसके साथ गलत कर रहा हूँ,तुम ही बताओ अब मुझे क्या करना चाहिए
निधि”सर,ये सही टाइम है बात करने का,ऐसे मैं आपको चिंकी से ही शादी करनी चाहिए सर”
और फिर जोर से हँस पड़ी थी वो,वही जानी पहचानी उन्मुक्त,निश्छल हंसी जो वो पहले भी सुन चुका था फ़ोन पे कई बार....चौंकने की बारी अब चिंटू की थी....... “चिंकी तुम”,....”तुम निधि ?“एक साथ कई सारे भाव एक साथ उसके चेहरे पे छा गये थे....पर फाइनली वो बस बदहवास ही नजर आ रहा था.....” पर तुम कैसे “
निधि”याद है जब मैंने तुम्हे बताया था की एक प्रोफाइल का इंटरेस्ट आया है,तब मैं सही थी....फिर तुमसे बात करके लगा की तुम्हे जाने नही दिया जा सकता,किसी और के लिए.मेरे घर वाले भी ढूंढ रहे थे मेरे लिए,फिर मैंने तुम्हे अपनी ही ID बता दी थी,और बस फिर आगे तो तुम जानते ही हो.......”
चिंटू फिर बेवकूफ बन गया था लाइफ में....एक लड़की के हाथों..... पर हार के इतना खुश वो कभी नही हुआ था.....