लाभ रतन धन पायो / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :14 अक्तूबर 2015
बिहार चुनाव के नतीजे 8 नवंबर को घोषित होंगे और विजयी दल के लिए वही दिन दिवाली की तरह होगा, जबकि सबसे बड़ा पावन त्योहार दिवाली 11 नवंबर को है। मनोरंजन जगत की दिवाली 12 नवंबर को मानी जा सकती है, क्योंकि उसी दिन सूरज बड़जात्या की सलमान खान अभिनीत 'प्रेम रतन धन पायो' का प्रदर्शन होगा। हमारी मान्यता है कि हर व्यक्ति पावन त्योहार पर लाभ का सौदा करना चाहता है, इसलिए पूरे भारत के प्रदर्शक दिवाली पर सूरज की फिल्म लगाना चाहते हैं और इसके लिए जद्दोजहद अभी से प्रारंभ हो गई।
दिवाली के पहले वाले महीने में तमाम हिंदू घरों में रंगाई-पुताई साफ-सफाई और नया फर्नीचर इत्यादि लगाया जाता है। अत: इस महीने में सारे कामगारों को पैसा कमाने का अवसर मिलता है। दिवाली के त्योहार पर खेतों में फसल लहलहाने के कारण किसान वर्ग भी खुशी के मूड में रहता है। छात्र जगत में दिवाली की छुटि्टयों के कारण आनंद की लहर चलती है। सारांश यह है कि समाज के सभी वर्गों के पास पैसा होता है और समय भी होता है और मन में आनंद भी होता है। इसका लाभ मनोरंजन जगत को भरपूर मिलता है। विगत कुछ सालों में दिवाली पर प्राय: शाहरुख खान की फिल्में लगती रही हैं। सलमान के लंबे कॅरिअर में यह दूसरा अवसर है, जब दिवाली पर उसकी फिल्म लग रही है। इसके पहले शिरीश कुंदर की निर्देशित फिल्म 'जानेमन' लगी थी परंतु वह फिल्म नहीं चल पाई। अत: दिवाली पर सलमान के लिए पहला ही अवसर है। यह अजीबोगरीब बात है कि सितारों ने त्योहारों को बांट लिया है। किसी सितारे की फिल्म दिवाली पर लगती है, किसी की ईद पर और किसी की क्रिसमस में लगती है। हम कुछ ऐेसे समय में आ गए हैं जब बरसते पानी की बूंदों को भी काटा जाएगा।
सूरज की फिल्म का नाम मीरा के एक पद से लिया गया है। अभी तक फिल्म के दो गीतों की झलक टेलीविजन पर बतौर प्रचार दिखाई जा रही है और माधुर्य के साथ भव्यता स्पष्ट नज़र आ रही है। सूरज विशुद्ध भारतीय ठाठ की देशी फिल्में बनाते हैं, क्योंकि यही ताराचंद बड़जात्या की कंपनी राजश्री का हमेशा प्रयास रहा है। वे इस कदर अपनी बात पर डटे रहते हैं कि एक बार एक सफल उड़िया फिल्म के हिंदी संस्करण में उन्होंने निर्देशक से कहा कि वे जाल में आई मछलियों का शॉट नहीं दिखा सकते, जबकि वह कहानी ही मछुआरों की थी।
सूरज बड़जात्या पारिवारिक फिल्में बनाते रहे हैं, जिनमें प्रेम कहानी होती है। सूरज की फिल्म 'विवाह' कमाल की प्रेम-कहानी थी, जिसमें दुल्हन अपनी सौतेली बहन के षड्यंत्र से झुलस जाती है परंतु नायक का प्रेम इतना शुद्ध है कि वह मधुरात्रि का सारा समय अधजली पत्नी की पटि्टयां बदलने और उसकी सेवा में बिताता है। सूरज की पहली फिल्म 'मैंने प्यार किया' 31 दिसंबर 1989 को प्रदर्शित हुई थी और अत्यंत सफल रही थी। इस फिल्म में सलमान दोहरी भूमिकाओं में हैं। वे एक रियासत के राजकुमार हैं और उनकी रियाया में उनका हमशक्ल आम इनसान भी है गोयाकि फिल्म की पृष्ठभूमि सामंतवाद की है परंतु दूसरे नायक का आम आदमी होना एक तरह से सामंतवाद और कम्यूनिज्म का विरोधाभासी-सा दिखने वाला घोल भी है और सच तो यह है कि भारत की डेमोक्रेसी में कुछ तत्व सामंतवाद के भी हैं और यह संसार की अपने ढंग की एक अजीबोगरीब डेमोक्रेसी है।
दरअसल, सूरज के सिनेमाई स्कूल में पॉलिटिक्स के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उनका मंत्र भी वही है, जो 'द डर्टी पिक्चर' का संवाद है कि सिनेमा यानी मनोरंजन! मनोरंजन! मनोरंजन! इस समय सलमान खान अपने कॅरिअर के शिखर पर हैं, जो उन्होंने सूरज के साथ 1989 में शुरू किया था और अब सूरज-सलमान की जोड़ी मणिकांचन संयोग की तरह है। बिहार में दिवाली 8 नवंबर से ही प्रारंभ हो जाएगी। चुनाव उन त्योहारों की तरह है, जो बार-बार होते हैं परंतु इस चुनाव को कुछ लोग ऐतिहासिक इसलिए मानते हैं क्योंकि यह चुनाव मूलत: भारतीय संस्कृति के गुण सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता का है। इसमें एक पक्ष की जीत सत्ता को निरंकुश बना सकती है और दूसरे पक्ष की जीत वह अंकुश होगी, जो मदमस्त हाथी पर नियंत्रण रखता है।