लालच रो फल / धनन्जय मिश्र
अंग प्रदेशोॅ रोॅ गाँव घरोॅ में आय भी हिन्हें-हुन्हे एतना किस्सा-कहानी बिखरलों छै, जेना सरंगो में तारा। हर गामों मेंएक-दू बुढ़ा-बुढ़ी आय भी खिस्सा बाजोॅ रोॅ रूपों में मिली जाय छै जिनका आदरोॅ सें बैठालॉ पर खिस्सा रोॅ क्रम खुलै लागै छै, आरोॅ सुनबैया आश्चयोॅ सें भरी जाय छै। मतलब है साफ छै कि ई मिट्टी में खाली अनाजे नै उपजै छै, खिस्सों भी उपजै छै। ज़रूरत छै हौ सिनी खिस्सा-कहानी कॉ जोगी कॉ राखै लॉ कैन्है कि खिस्सा-कहानी तॉ अंग जीवन रोॅ अंग छेकै।
यही क्रम में अंग प्रदेश रोॅ एक राजा छेलै। हुनकॉ राजों में एक टा बूढ़ी माय आपनोॅ एक मात्र बेटा रोॅ साथे रहै छेलै। हुनी खुब्बे गरीब छेली। हुनका पास एक्को कट्ठा जमीन नै रहै। जेकरा सें हुनको जीवन कष्टकारक छेलै। दोसरा रोॅ यहाँ कुटौनोॅ-पिसैनोॅ करी कॉ बेटा कॉ पोसी रहली रहै। दिन खाय छेलै तॉ रात नै आरोॅ रात खाय छेलै तॉ दिन नै रोॅ स्थिति छेलै। मतुर बूढ़ी माय बड़ी संतोषी छेलै आरोॅ हुनी शिव शंकर महादेव रोॅ उपासक छेली। भुखलोॅ रही कॉ भी बेटा कॉ खिलाय कॉ शिव शंकर कॉ भजते रहै छेलै। यानी हुनकोॅ सब कुछ शिव शंकर महादेव ही गुरु छेलै।
समय बीती रहलो रहै। समय रोॅ साथ हुनकोॅ बेटा भी बड़ो होय रहलो रहै। आवेॅ बेटा रोॅ समझ भी बढ़ी रहलो रहै आरोॅ माय रोॅ गरीबी से हौ परेशान आरोॅ चिन्तित रहै। बेटा सोचैल नै पारै छेलै कि माय केॅ सुखी केना राखलोॅ जाय। वहीं बीचों में है होलै कि गामों रोॅ एक टा छोटो मंदिर में माय-बेटा रोॅ रहै केॅ व्यवस्था होय गेलै जेकरा सें दोनों केॅ समस्या जे भोजन केॅ रहै हौ दुर होय गेलै आरोॅ बदला में मंदिर रोॅ साफ-सफाई साथे फूल बेलपत्र रोॅ व्यवस्था माय-बेटा रोॅ जिम्मा मिली गेलै। आवे होकरोॅ माय भी खुश रहै कि शिव शंकर रोॅ पूजा अर्चना रोॅ भरपुर लाभ मिललोॅ। माय-बेटा रोॅ समय सुखोॅ से बीती रहलो रहै। पुरानोॅ एक ठो कहावत छै नी कि जबॉ बड़ी मुश्किलों से थोड़ोॅ टा जग्घो बैठैल मिलै छै तॉ हुनी कुछछु देरो रोॅ बाद टांग फैलाय लागै छै आरोॅ जबेॅ टांग फैलाय लै छै तॉ हुनी सुतैला चाहेॅ छै यानी लोभ बढ़ले ही जाय छै, आरोॅ हेकरोॅ नतीजा ई होय छै कि हुनका हौ जग्घो ही छोड़ै ला लागी जाय छै। यहा बात यहाँ बूढ़ी माय साथे भी होलै। आबेॅ वहीं समय में बूढ़ी माय रोॅ नजरोॅ में बेटा रोॅ बियाह रोॅ बात घुमै लागलै। पोता-पोती रोॅ देखै रोॅ लालसा आबै लागलै। जे स्वाभाविके छेलै। बेटा माय कॉ कत्ते नी समझैलकै कि माय तोहे हमरोॅ बिहा ऐखनी नै करे। हौल सकै छो बिहा होतै हमरा सबके मंदिर सें निकाली देतौ। मतुर विधि रोॅ विधान के टारै ला पारे। बेटा रोॅ बिहा होतै मंदिर रोॅ व्यवस्थापक ने दोनों माय-बेटा कॉ मंदिर सें बाहर करी कॉ पुतोहु रोॅ साथे हुनका घोॅर पहुंचाय देलकै। आवे छिन्न-भिन्न घोॅर आरोॅ तीन जनोॅ रोॅ भोजन रोॅ समस्या फेरु वहा रं मुहवैनै खाड़ोॅ रहै, मतुर माय रोॅ दिनचर्या मेंकोनोॅ ज़्यादा बदलाव नै होलै। वहाँ रं शिव शंकर गुरु रोॅ नाम जाप जारी रहै।
आवेॅ है गरीबी देखी कॉ बेटा ने माय सें कहलकै कि "माय है रं शिव शंकर गुरु रोॅ भक्ति से की लाभ। खाली शिव शंकर-शिव शंकर भजतेॅ की पेट भरतौ। जत्ते दिनों सें महादेवोॅ रोॅ नाम लै रहली छै कि अगर हुनी तोरोॅ नाम जपते सुनतियौ तॉ की आभी तॉय तोरोॅ दिन नै फिरतियौ। है सब खाली बकवास छेकै।" बेटा गोस्सा सें बोललो रहै। यै पर होकरोॅ कनियैनी भी सुर में सुर मिलैने रहै। है सुनी कॉ माय खाली कॉनी कॉ रही गेलै। माय रोॅ कानबोॅ देखी कॉ बेटा बोललै-"माय तोहे काने नै। तोहे आपनोॅ पुतोहु साथे रहो, हम्में कमाय लॉ यहाँ से दूर दोसरो नगरोॅ में जाय छियौ। यहाँ काम-धाम रोॅ अकाल छै। आपनोॅ कनियैनी कॉ भी हेदायत देलकै कि तोहे हमरी माय कॉ नीकोॅ सें राखियौ। हम्में कमॉय कॉ ढे़र सिनी पैसा लैकॉ ऐभौ।" है कहीं कॉ बेटा कमाय लेली दोसरोॅ नगरोॅ मेंचल्लों गेलै। बेटा रोॅ जैतै होकरो कनियैन असली रंगोॅ में आबी कॉ सासु माय कॉ दुःख देना शुरू करलकै। कैन्हें कि होकरोॅ कनियैन बदमास आरोॅ लोभी रहै। कोनोॅ न कोनोॅ बातोॅ पर सासु माय कॉ दुःख देना होकरोॅ स्वभाव बनी गेलै। बूढ़ी माय रोॅ पास एक कुत्ता (भैरव) रहै। हौ कुत्ता में ही हुनी शिव गुरु महादेव रोॅ रूप देखै छेलै। कुत्ता भी हुनका छोड़ी कॉ कॉहु नै भागै छेलै। कैहियो-कैहियो तॉ हौ कुत्ता भुखलो-प्यासलो भी रही कॉ हुनके डेढ़िया पर बैठलो रहै छेलै। बेटा गेला रोॅ पहलोॅ राती बूढ़ी माय कॉ खाय लॉ चार रोटी हुनकोॅ पुतोहु ने देने रहै। वै में दू रोटी बूढ़ी माय ने आपने खैलकै आरोॅ दू रोटी हो भैरो रूपी कुत्ता कॉ खिलाय देलकै। है देखी कॉ पुतोहु ने गोस्सा सें दोसरोॅ राती बूढ़ी माय कॉ खाय लॉ दुअे रोटी देलकै वै में एक रोटी बूढ़ी माय ने आपने खैलकै आरो फेरू एक रोटी कुतबा का खिलाय देलकै। है देखी कॉ हुनकॉ पुतोहु आरोॅ कुढ़ी गेलै। जेकरो नतीजा ई होलै कि तेसरोॅ राती हुनकोॅ पुतोहु ने खाय लॉ एक्के रोटी देलकै। होकराय में आधो रोटी आपने खाय कॉ आधो रोटी कुतवा कॉ खिलाय देलकै।
है देखी कॉ आय भोरै सें पुतोहु ने बुढ़ी माय सें झगड़ा शुरू करने रहै है कही कॉ कि हमरा खाय लॉ नै मिलै छै आरोॅ तोहेॅ खाना कॉ हौ कुतवा कॉ कैन्हें खिलाय छौ। है सब नै चलतौ। यै बातोॅ पर बूढ़ी माय शान्ति से बोललो रहै-"कि बहुरिया तोहेॅ हमरा खायलोॅ जतना टा दै छौ, होकराय में नी हम्में कुत्ता कॉ खिलाय छियै, तॉ यै में तोरोॅ की घटै छौ।" है बोली कॉ हुनी कानते जाय आरोॅ शिव गुरु रोॅ नाम जपतेॅ जाय। हेकरोॅ नतीजा तॉ बूढ़ी माय कॉ ही भुगतना छेलै, जेकरा से कोनो-कोनों दिन आरोॅ कोनो-कोनों रात तॉ हुनी खाड़े उपवासे में बिताय छेली तैयो पुतोहु हुनका सें कचकचों करते ही रहै छेलै।
आबेॅ बूढ़ी माय कमजोरी रोॅ चलते उठै-बैठे में असमर्थ रहै छेलै। आय भोरै सें हुनी खटिया पर ही पड़ली छेली आरोॅ बेटा रोॅ लेली लोर बहाय रहलो छेली की तखनियें हुनको बेटा घोॅर आबी गेलै, आरोॅ माय कॉ खोजै लागलै। पति रोॅ आवाज सुनतै कनियैनी झट सें सामने आवी कॉ एक लोटा पानी लानी कॉ गोड़ धुए ला दै कॉ बोललो रहै कि पहिने तोहें आपनोॅ गोड़ धुओ. माय तोरोॅ आभी तक खटिया सें नै उठली छौ। हुनी आराम करी रहली छौ। हुनका तॉ यहाँ आरामें काम छै नी। मतुर बेटा मने-मन है जानी गेलै कि माय कॉ ज़रूरे कोनो दुःख छै जेकरा सें माय आभी तॉय नै उठली छै। बेटा माय लॉ आवी कॉ माय सें पुछलकै-माय आभी तॉय तोहे खटिया सें कहिने नै उठली छै आरो तोरा की दुःख छौ? हमरोॅ कनियैनी तोरा नीको सें राखै छेलौ नी? माय सुतले-सुतले बेटा सें बोललो रहै, होॅ बेटा! तोरोॅ कनियैनी हमरा का खुब नीकोॅ संे राखै छेलौ आरोॅ हमरा साथे कुतबो कॉ खाना दै छेलौ। हौ बोली कॉ हुनी शिव गुरू, शिव गुरु रोॅ नाम लेते-लेते कपसे लागलै। है सुनतै होकरो कनियैनी कॉनी-कॉनी कॉ आपनोॅ तिरिया चरित्रर दिखाय लागलै आरोॅ बोलना शुरू करलकै-"आवेॅ तोरो माय साथे हमरोॅ गुजर नै छै। हुनका जत्ते हम्में खाय लॉ दै छेलियै, होकरा में आधोॅ हुनी कुतवा कॉ खिलाय दै छेलै आरोॅ हरदम हमरा से लड़ाय-झगड़ा ही करते रहै छेलौ। है घरोॅ में आबे हम्मी रहबौ या की तोरे माय रहतौ। हेकरोॅ फैसला ऐखनी करी ला। हम्में रहबौ तॉ ठीक नै तॉ माय कॉ घरोॅ सें बाहर करै लॉ पड़तौ।" कोय ठीक्के कहने छै कि तिरिया चरित्र आगु जबॉ भगवाने हारलोॅ छै तॉ नरी लोगो रोॅ की बिसात। कनियैनी रूपो रोॅ माया आगु बेटा हारी कॉ माय कॉ घरोॅ सें बाहर करै ला तैयार भै गलै। बाह रे कलियुगी बेटा।
भोरेॅ जबॉ माय नै है सुनलकै कि आय हमरो बेटा ने हमरा घरोॅ सें निकाली देतो तॉ माय नै कानलै नै हहरलै आरोॅ बेटा से बोललै-"कि बेटा की सुनै छिहौ कि तोहें हमरा आय घरोॅ सें निकाली कॉ जंगल मेंछोड़ी ऐभौ। कोय बात नै छै। तोहें वहा करो जेकरा सें तोरा शान्ति मिल्हौ। हमरा की। हमरोॅ तॉ चला-चली रोॅ बेला आवी रहलोॅ छै। हमरा बस सावा सेर लडडु लानी कॉ कुतवा साथे जंगल पहुंचाय आवो। भगवाने तोरोॅ रक्षा करौ।" यै पर बेटा कुछछु नै बोली कॉ सावा सेर लडडु लानी कॉ माय कॉ देलकै आरोॅ कुतवा साथे दोनों कॉ जंगल मेंछोड़ी ऐलै।
जंगल में एक टा टूटलों-फूटलोॅ पुरानो झोपड़ी छेलै। कुतभाय ने बूढ़ी माय कॉ हौ झोपड़ी में पहुंचैने छेलै। रात होलै। राती रोॅ अंधकारोॅ में जंगली हिंसक पशु-पक्षियों रोॅ आबाज राती कॉ आरोॅ भयानक बनाय छेलै। कुत्ता रोॅ काम छेलै झोपड़ी रोॅ सुरक्षा आरोॅ बूढ़ी माय रोॅ काम छेलै शिव गुरू, शिव गुरु रोॅ जाप करना। हौ सावा सेर लडडु सें एक लडडु कॉ रोज सुबह-शाम शिव गुरु कॉ भोग लगाना आरोॅ हौ एक लडडु सें आधो आपने खाना आरोॅ आधो कुत्ता कॉ खिलाना। है क्रम जब तक लडडु रहै तब तक चलते रहलै। आबेॅ दिन-रात जय शिव गुरू, जय शिव गुरु रोॅ अखण्ड जाप होय लागलै।
है कठोर जाप रोॅ बल पर आवेॅ शिव जी रोॅ सिंहासन डोलै लागलै। है देखी कॉ पार्वती मैया शिव जी सें बोललै-"नाथ! एक दुःखयारी भक्तिन तोरोॅ जीवन भर नाम रोॅ जाप करी कॉ विपत्ति में पड़ली छै आरोॅ तोहें चैन से डमरू बजाय रहलो छियै। कहीं एन्हौ नै हुए कि आपने नामोॅ रोॅ विश्वास नरी लोगों सें उठी जाय। आपने कैन्हें नी हो भक्तिन रोॅ दुःख हरै छियै।" शान्त देवी, शान्त! शिव जी बोललो रहै-"देवी, सब मनुज आपनोॅ हिस्सा रोॅ कर्म-धर्म करी रहलो छै। हौ कर्म रूपी धर्म में जब तक कोनोॅ आवलम्बन रहै छै तॉ हौ कर्म देर से फलै-फूलै छै। देवी! तोरा याद होतौ कि कौरव रोॅ सभा में द्रोपदी रोॅ चीरहरण रोॅ वक्ती में जब तक द्रोपदी आपनोॅ लाज बचाय लेली आपने सें बचाव रोॅ प्रयत्न करै छेलै आरोॅ साड़ी रोॅ कोंची कॉ हाथों सें नै छोडै छेलै तबतक हुनका भगवानोॅ कहाँ मदद करने छेलै। जबॉ हारी कॉ हौ आवलम्बन रूपी हाथों सें साड़ी रोॅ कोंची कॉ छोड़लकै है कही कॉ कि आवॉ हमरोॅ लाज भगवान तोरे हाथों में छौ, तॉ देखलौ देवी! हुनको लाज बचलै की नै।" बूढ़ी माय रोॅ भी विपत्ति दूर होतै। समय बलवान होय छै। " आवॉ बूढ़ी माय रोॅ सब लडडु खतम होलो रहै। आवॉ निराधार शिव गुरु रोॅ योग साधना चली रहलो रहै। हेकरोॅ नतीजा ई भेलै कि शिव जी कॉ आवी कॉ बूढ़ी माय कॉ दर्शन दै कॉ सब विपत्ति दूर करी कॉ हौ जंगलै में झोपड़ी रोॅ जघ्घा पर ही पाँच सितारा नांकी घोॅर राते-रात विश्वकर्मा भगवान सें बनवाय कॉ दैल पड़लै। है विपत्ति हरै में शिव जी सें बेसी खुशी मैया पार्वती जी कॉ रहै। कैन्हे कि हुनी नारी जे रहै।
आवॉ बुढ़ी माय रोॅ सभ्भे दुःख दूर होलो रहै। हौ महलोॅ में नौकर-चाकर सें भरलोॅ आरोॅ सुख-सुविधा सें तृप्त रोॅ बीचों में जय-जय शिव गुरू, जय-जय शिव गुरु रोॅ जाप एखनियो भी हुनी करै छेलै। मतुर एतना बड़ो हबेलीनुमा घरोॅ में की कोय एकल्लो रही कॉ आपनोॅ जीवन बिताय लॉ पारे। हिन्हें कै दिनों से बूढ़ी माय कॉ बेटा-पुतोहु रोॅ याद आवी रहलो रहै। आवॉ हुन्ने अचानक बेटा कॉ भी माय रोॅ याद आवी रहलो रहै। बेटा माय का देखै लेली तड़पे लागलै आरो आपनी कनियैनी सें बोललै-"हम्में आय माय कॉ देखी आवै छियौ। तोंही माय कॉ बनवास दिलैने छौ।" है सुनी केॅ कनियैन बोललो रहै-"आवेॅ माय कॉ तोहे की देखबौ। आवेॅ तोरोॅ माय की जिन्दा छौ। हुनका तॉ बाघ सिघें मारी कॉ कब्बे खाय गेलो होतौ।" यै पर कनियैनी सें गोस्सा करी कॉ हौ बाहर निकली गेलै। जोन ठियाँ वै माय कॉ छोड़ी कॉ ऐलो छेलै, हौ ठियां होकरा देखी कॉ दिकासो छुटी गेलै। हौ ठियां वै देखलकै कि झोपड़ी रोॅ जघ्घा पर बड़का महल बनलो रहै। नौकर-चाकर सहित दरबान हिन्हें-हुन्हें घुमी कॉ महल रोॅ चौकसी करी रहलो रहै। है सब देखी कॉ होकरोॅ बुक फाटी गेलै आरोॅ माय गे, माय गे कहीं कॉ हक्क्न करी कॉ कानै लागलै। होकरोॅ है रं कानबो सुनी कॉ दरबाने होकरा सेॅ कानै रोॅ कारण पुछलकै। सब कारण जानी कॉ दरबाने होकरा से कहलकै कि तोहे यहाँ बैठो, हम्में भीतर जाय कॉ बुढ़ी माय सें पुछी कॉ आवै छियौ। दरबाने बूढ़ी माय कॉ होकरोॅ बतैलको सब बात कॉ सुनाय कॉ हे गे माय, हे गे माय कानै कॉ बातों कॉ भी बतैते बुढ़ी माय कानते दौड़ी कॉ आवी कॉ बेटा का देखतै होकरो गल्ला सें लिपटी गेलै। बेटा कानी कॉ माय सें बोललो रहै-माय, हमरा सें बड़का भारी पाप होय गेलो छै। हम्मी नी तोरा जंगल में पहुचैने छेलियौ। हमरा नरकौ में नै बासो मिलतॉ। हमरा माफ करी देॅ।
है सुनथै माय बोललो रहै कि "बेटा यै में तोरा सिनी कॉ कोनोॅ दोष नै छौ। तोरा सिनी तॉ सिरिफ माध्यम बनलो छेलौ। तोहे की है रामायण रोॅ कथा नै सुनने छौ कि जबे दाय मंथरा आरोॅ राजा दशरथ रोॅ छोटकी रानी केकयी साथे मिली कॉ राम कॉ चौदह बरर्षो बनवास रोॅ माध्यम बनलो रहै, तबॉ नी बनांे में खरदूषण, मारीच, कुम्भकर्ण, रावण नांकी राक्षसोॅ रोॅ नाश होलोॅ रहै। तोहे अपराध भावोॅ संे ग्रसित नै हुओ चलोॅ घरोॅ रोॅ भीतर चलोॅ।" बेटा रोॅ पुछलॉ पर माय ने कथा कॉ विस्तार सें सुनाय कॉ बेटा से कहलकै-"बेटा रे हम्में चाहै छियौ कि तोरा दोनों यांही आबी का आराम से रहै। आय तक तोहें सिनी जीवन कॉ बड्डी दुःख धरकनोॅ सें काटने छौ, भगवानोॅ सें देलो एतना धन सम्पत्ति केॅ भोगतै।" है सुनि कॉ बेटा बोललो रहै-ठीक्के कहै छै माय। है बोली कॉ बेटा घोॅर आवै लेली तैयार होलै। आवै वक्ती कत्ते नी गहना, जेबर खाय रोॅ सामान दै कॉ बेटा कॉ विदा करलकै।
बेटा सब समान लैके घोॅर ऐलै। कनियैनी है सामानोॅ बारे में पति से पुछलकै। सब कथा रोॅ बुतान्त होकरा सुनैतै कनियैन खुश नै होलै, मतुर लालच आरोॅ इष्या रोॅ आग में जलै लागलै। पति ने होकरा खुब्बे है कहीं कॉ समझैलकै कि माय रोॅ बाद है सभ्भे सम्पत्ति तॉ हमरे सिनी कॉ नी होतै। हमरा दोनों चलो वांही जाय कॉ सुख से रहभो, याँही की राखलो छै। मतुर कहै छै नी "आवै काल विनाशे बुद्धि।" पति रोॅ समझैला पर होकरा कोय असर नै पड़लै। हौ कॉनी-कपसी कॉ पति सें बोललो रहै-"तोहे हमरा माय नांकी ही सावा सेर लडडु दै कॉ आरोॅ वहा रं एक कुत्ता लै कॉ वहीं जंगलो में एक टा झोपड़ी बनाय कॉ पहंुचाय आवो। हमरोॅ भगवाने वहाँ रं पचमहला घोॅर बनाय देतै।" है बातो पर हौ निबुद्धि पर पति हाँसी कॉ फेरू होकरा खुब्बे अच्छा-खराब समझैलकै। यै बात पर समझना तॉ दूर हौ घरोॅ में ढूकी कॉ खटवास लै लेलकै। आवॉ पति हारी कॉ सब सामान लै कॉ कनियैनी कॉ वहाँ जंगलों में छोड़ी ऐलै। पति तॉ होकरोॅ परिणाम जानतै छेलै। मतुर होनी का के रोकैलॉ पारै छै।
दोसरोॅ दिन जबॉ कनियैनी रोॅ खैरियत लेली हौ जंगलोॅ रोॅ वहा जघ्घा पर गेलै तॉ वहॉ केकरोॅ नै देखलकै, मतुर देखलकै है कि झोपड़ी गिरलो छेलै आरोॅ होकरोॅ साड़ी अंगिया साथे खुन रोॅ धब्बा आरोॅ हड्डी रोॅ एक ढेरी छेलै। हौ कानते-कपसते माय कॉ जाय कॉ सब बात सुनैलकै। है सुनी कॉ माय बोललो रहै-"करमो रोॅ गति केॅ जानै छै रे बेटा।" मतुर हम्में है जानी कॉ कहैछियौ कि तोहे फेरू सें संसार बसाय कॉ याँही रहै। हम्में तोरो गुरु बनी कॉ शिव गुरु रोॅ दीक्षा तोरो शुद्धिकरण रोॅ बाद दै छियौ। शिव गुरु बड़ा दयालु छै। तोरोॅ उद्धार ज़रूरे होतै। " बादो में बेटा कॉ दीक्षा देतै माय कुछछु दिनों रोॅ बाद गोलोकवासी होय गेलै आरोॅ बेटा शिव गुरू, शिव गुरु रोॅ जाप करते सुख सें जीवन बिताय लागलै।
यहीं पर कोय कहने रहै-
लालच बुरी बलाय हो भैया
लालच बुरी बलाय।
नै चेतवे तॉ हे हो भैया
जैभे तोहें बिलाय हो भैया
जैभे तोहें बिलाय।