लुका–छिपी / ख़लील जिब्रान / सुकेश साहनी

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनुवाद-सुकेश साहनी ]

आओ, हम लुका–छिपी खेलते हैं।

यदि तुम मेरे दिल में छिप जाओगे, तो तुम्हें ढूँढना मुश्किल नहीं होगा ;किन्तु यदि तुम अपने ही मुखौटे के पीछे छुप जाओगे ,तो किसी भी तुम्हें खोजना निरर्थक होगा।

-0-