लूट-डकैती, स्कैम और फिल्में / जयप्रकाश चौकसे

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लूट-डकैती, स्कैम और फिल्में
प्रकाशन तिथि : 18 जनवरी 2022


गौरतलब है कि महामारी के बदलते हुए स्वरूप से त्रस्त आम आदमी को इस बात की सतही जानकारी ही है कि बैंकों में भी धोखाघड़ी के प्रकरण फैल रहे हैं। मतलब बैंकों को चूना लगाने का काम दशकों से चल रहा है। गौरतलब है कि बैंक से ऋण लेने के लिए व्यक्ति को कोई संपत्ति कोलेटरल गारंटी के तौर पर देनी होती है। ऋण लेने वाले को बैंक में कोई इमारत या जमीन के मालिकाना हक के दस्तावेज गिरवी रखकर बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया को पूरा करना होता है। कई मामलों में बैंक के पैसे डूबने पर ज्ञात होता है कि कोई इमारत वहां थी ही नहीं, जिनके दस्तावेज ऋण लेने वाले ने बैंक में जमा किए थे। सहकारिता के आदर्श पर भी बैंकिंग का काम किया जाता है।

शाश्वत नियम यह है कि सोने के मूल्य के बराबर कागजी मुद्रा बनाई जाती है। अमेरिका का फोर्ट नॉक्स ऐसा ही स्थान है, जहां सबसे अधिक सोना सुरक्षित रखा गया है। व्यवस्था ने अनेक नियम बनाए हैं कि बैंक फ्रॉड में आम आदमी का धन डूबे नहीं उसे नुकसान न हो। गोया की बैंक लूटने के प्रकरण पर भी अनेक फिल्में बनी हैं और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी फिल्मों में भी इस विषय को कई फिल्मी पटकथाओं में लिया गया है। रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा, इलियाना डिक्रूज द्वारा अभिनीत अनुराग बसु के निर्देशन में बनी फिल्म ‘बर्फी’ में भी इस विषय को मजेदार ढंग से लिया गया है। फिल्म में रणबीर कपूर अभिनीत पात्र अपने बीमार पिता के इलाज के लिए पैसों की जरूरत होने पर कई तरह की कोशिशें करता है, ताकि उसे अपने पिता का उपचार करा सके और फिल्म का घटनाक्रम आगे बढ़ता है। अमिताभ बच्चन, परेश रावल अभिनीत फिल्म ‘आंखें’ में बैंक डकैती की योजना बनाने वाले सदस्य पूरी तैयारी करते हैं और रोमांचक अंदाज में इस डकैती को अंजाम दिया जाता है। योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि बैंक लूट में शामिल सदस्य दृष्टिहीन हैं। फिल्म में परेश रावल के अलावा, सुष्मिता सेन, अर्जुन रामपाल और अक्षय कुमार ने भी मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं।

फिल्म ‘बंटी और बबली’ में रानी मुखर्जी और अभिषेक बच्चन ने अभिनय किया था। ‘बोनी एंड क्लाएड’ नामक अमेरिकन फिल्म से इसकी प्रेरणा ली गई थी, उस फिल्म में पात्र केवल अपने उबाऊ जीवन से तंग आकर मात्र रोमांच के लिए बैंक लूटते हैं। इस फिल्म की तर्ज पर हकीकत में भी एक डकैती की जा चुकी है और खास बात यह है कि सभी डकैत युवा, संपन्न घरों से थे। दरअसल, जीवन में वे लोग ऊब जाते हैं जो सामान्य जीवन के कार्यों में छुपे हुए रोमांच को पहचान नहीं पाते। जबकि देखा जाए तो नहाने से लेकर भोजन करने जैसे रोजमर्रा के कार्यों में भी आनंद लिया जा सकता है और इन कार्यों में भी एक रोमांच खोजा जा सकता है। यही नहीं भोजन चबाने में भी आनंद है।

बहरहाल, इस तरह के रोमांचक प्रकरणों से प्रेरित ‘ग्रैंड स्लैम’ को सर्वकालिक महान फिल्म माना जाता है। फिल्म में लुटेरे एक बड़े मेले के दौरान बाकायदा अपनी एक टीम बनाते हैं और हीरों की डकैती को अंजाम देते हैं। बोनी कपूर के प्रोडक्शन में बनी अनिल कपूर और श्रीदेवी अभिनीत फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ में चलती हुई मालगाड़ी में हीरों को चुराने का सीन बहुत ही रोमांचक है। इस फिल्म को सतीश कौशिक ने निर्देशित किया था। ज्ञातव्य है कि इस दस मिनट के दृश्य के लिए एक सप्ताह तक ट्रेन का भाड़ा चुकाकर इस दृश्य को फिल्माया गया था। जेम्स बांड शृंखला में एक फिल्म का नाम था, ‘डायमंड्स आर फॉर एव्हर’ उपन्यास में तो हीरों के निर्माण की प्रक्रिया का पूरा विवरण दिया गया है, लेकिन इसे फिल्म में शामिल नहीं किया गया है। यही नहीं नागमणि किंवदंती पर जाने कितनी फिल्में और सीरियल बने हैं। जबकि हकीकत में नागमणि महज एक मिथ है।