लोकगीत / रंजन
लोकगीत
अंग जनपद के लोकगीतोॅ के प्रमुख विशेषता छै एकरा में निहित मिठास। छंद के स्थानोॅ पर एकरोॅ लय में, अद्भुत मिठास आरो संवेदना भरलोॅ छै जेकरोॅ आनंद पढ़ला में नै, सुनला में आवै छै।
अंग-महाजनपदोॅ में, विभिन्न संस्कार, ऋतु, आरो अलग-अलग पव-त्यौहारोॅ के अवसरोॅ पर गीत गैलोॅ जाय छै। यहाँ के रहैवाला, चाहे खेतो में काम करै कि घरोॅ में, परिश्रम करै वक्तीं गीत गाय करी केॅ आपनोॅ थकान-दूर करै छै। अंग-जनपदोॅ में गीत आरो संगीत ऐन्हों रचलोॅ-बसलोॅ छै कि आनंद में, दुख में, जन्म में आरो मरला में, बर बीमारी में, शादी आरो बीहा में खेल आरो क्रीड़ा में-मतलब कि जनम सें मरण तक के प्रत्येक चरण, प्रत्येक घड़ी गीतोॅ के माध्यम सें आपनोॅ विभिन्न वेदना, संवेदना, हँसी आरो खुशी क अभिव्यक्त करतैं रहै छै। यही लेली हमरोॅ जीवन में आरो लोक साहित्य में एकरोॅ स्थान सर्वोपरी छै।
अंगिका लोकगीत के श्रेणीबद्ध करलोॅ जाए तेॅ हेकरोॅ निम्न-विभाजन हुवेॅ पारै-
+संस्कार गीत
सोहर, खेलावन, मुंडन, जनेऊ, विवाह, कोहबर, बेटी-विदाई, समुझवनी, गौना आरिन गीत।
+ऋतु-गीत
फगुआ, चैता, कजली, हिंडोला, चतुर्मासा, बारहमासा आरिन
+व्यवसाय-गीत
रोपनी, कोल्हू, जँतसार, मल्लाह आरिन के गीत
+जाति-सम्बधी गीत
अहेरी, दुसाध, चमार, कहार, धोबी आरिन के गीत
+परब-त्यौहार केरोॅ गीत
तीज, जितिया, बिहुला विषहरी, छठ के गीत
+भजन
शीतलामाय, प्रभाती, निरगुन, ग्राम देवता आरो पूजा केरोॅ गीत
+लीला
झूमर, झूलन आरिन
+बिरहा
जोग-टोना आरो मान केरोॅ गीत
+विशिष्ट गीत
चिड़िया के गीत, पानी माँगै के गीत
+लोरी
जैसें 'आरे आवोॅ, वारे आवोॅ' , 'घुघुआ-माना' आदि।
+बाल-क्रीड़ा
औका बौका, तीन-तड़ौका, कबड्डी, पहाड़ा के गीत आरिन ।