लोमड़ी / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
सूर्योदय के समय अपनी परछाई देखकर लोमड़ी ने कहा, "आज लंच में मैं ऊँट को खाऊँगी।"
सुबह का सारा समय उसने ऊँट की तलाश में गुजार दिया।
फिर दोपहर को अपनी परछाई देखकर उसने कहा, "एक चूहा ही काफी होगा।"