वज्रपात / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तूफान-भरा दिन था। एक ईसाई बिशप अपने चर्च में बैठा था। एक गैर-ईसाई औरत अन्दर आई और उसके सामने खड़ी होकर कहने लगी, "मैं ईसाई नहीं हूँ। क्या नर्क की आग से बचने का कोई उपाय मेरे लिए भी है?"

बिशप ने औरत को देखा और बोला, "नहीं, मुक्ति केवल उन्हीं को मिलेगी जिन्होंने ईसाई-धर्म को अपनाया है।"

जैसे ही उसने यह कहा, आसमान में जोरों से बिजली कड़की और चर्च आग की लपटों में घिर गया।

शहर के लोग दौड़े चले आए। उन्होंने औरत को तो बचा लिया; लेकिन बिशप को आग लील चुकी थी।