वर्ष अंत के जश्न और सूरज की गठरी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :31 दिसम्बर 2015
हर क्षेत्र में निराशावादी वर्ष और हमारे पैदाइशी आशावादी होने के कारण शुभ नव-वर्ष के बीच ढहती दीवार-सा लड़खड़ा रहा है वर्ष का अंतिम दिन अब चंद घंटों का मेहमान है। आज उत्सवप्रेमी भारत के अनेक नगरों में रातभर गीत-संगीत और नृत्य होंगे। पूरे वर्ष में सबसे अधिक शराब बिक्री की नशीली रात में सबसे अधिक जश्न मुंबई में मनाया जाता है। गेटवे ऑफ इंडिया के सामने ताजमहल होटल रोशनी का द्वीप नज़र आता है। ठीक उसके सामने रोशनी से स्नान करते पानी के जहाज चलायमान द्वीप लगते हैं। मुुंबई में लगभग तीन-चौथाई आबादी सड़कों पर नाचती-गाती है। इस रात मकानों के लगभग खाली होने के बावजूद कोई चोरी नहीं होती, क्योंकि चोर भी उत्सव में शामिल रहते हैं। गोवा में उत्सव की परंपरा तो पुर्तगाली लोगों ने डाली है परंतु अब सारे देश में सैलानी आते हैं, क्योंकि विदेशी पर्यटक महिलाएं समुद्र तट पर अनावृत जिस्मों की लहरों की तरह लगती हैं और इस यथार्थ को सेंसर मुखिया पहलाज निहलानी भी काट नहीं सकते। सेंसर का उद्देश्य ही है कि सरस कल्पना के दृश्य काटें और उससे कहीं अधिक साहसी यथार्थ को नज़रअंदाज कर दें।
कहावत है कि घोड़े के पिछाड़ी नहीं खड़े रहना और एक प्राणी विशेष के अगाड़ी नहीं खड़े होना चाहिए, क्योंकि दुलत्ती पड़ने का भय होता है। गुजरते वर्ष ने एक दुलत्ती मारी है। हमारे महान सांसदों को मौजूदा भवन में व्यक्तिगत दफ्तर उपलब्ध नहीं कराया जा सकता और एक ही दल के दो सदस्य किसी बात पर एकमत नहीं; इसलिए नया संसद भवन बनाने पर विचार चल रहा है। टीवी पर संभावित नई पसंद की परिकल्पना भी प्रस्तुत की गई है, जिसका डिजाइन अमेरिका के रक्षा केंद्र पेंटागन से मिलता है और क्यों नहीं मिले, विगत चुनाव भी अमेरिकन प्रेसीडेंट के चुनाव की तर्ज पर ही लड़ा गया था और विश्व के प्रमुख नेता बनने का सपना कुलबुला रहा है। अमेरिका के अगले चुनाव के एक प्रत्याशी ने तो कहा है कि वे चुने गए तो मुस्लिमों को अमेरिका में प्रवेश नहीं करने देंगे। ऐसी सनक हमारे यहां भी कुलबुलाती रहती है। जब अवाम की जीवनशैली पर अमेरिकी प्रभाव है। 'पीकू' के नायक का अपच इसी के प्रतीक के रूप में हम देख चुके हैं। ज्ञातव्य है कि सांसद जो शानदार भोजन नाममात्र कीमत पर खाते हैं, उसका बाजार मूल्य 1200 रुपए आंका गया है। जिस देश में करोड़ों लोगों को पूरे जीवन में एक संपूर्ण आहार प्राप्त नहीं होता, उसके नुमाइंदे बेताज बादशाह की तरह खाते हैं। संसद में किसी भी दल की आपस में नहीं बनती परंतु सांसदों के वेतन बढ़ाने पर सभी सहमत हैं। सांसदों का वेतन प्रतिमाह कितना ही बढ़ा दें, क्या वे रिश्वत नहीं लेने की शपथ खा सकते हैं? इस प्रस्तावित नई संसद पर कितने हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे- ये आज बताना कठिन है परंतु एक मायने में यह ठीक कदम है, क्योंकि मौजूदा संसद भवन का ऐतिहासिक महत्व है, जहां महान नेता विचार-विमर्श करते थे और आज परस्पर कीचड़ उछालने वाले सांसदों का नया संसद भवन बनना चाहिए। अगर संभव हो तो इस भवन का डिजाइन दुर्योधन के उस आर्किटेक्ट सुलोचन के वंशजों से कराना चाहिए, जिसने पांडवों के लिए ज्वलनशील भवन रचा था।
जापान के साथ अनुबंध हुआ है कि मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलेगी, जो दस घंटों का फासला तीन घंटे में तय करेगी परंतु किराया पांच हजार रुपए होगा। आज 4 हजार रुपए में हवाई जहाज एक घंटे में यह फासला तय करता है। समस्त रेल अधिकारी जानते हैं कि मौजूदा ट्रेन ट्रैक पुराने हो गए हैं और उन्हें बदलना आवश्यक है वरना दुर्घटनाएं होती रहेंगी। रेल को हजारों कस्बों से जोड़ने के लिए नई ट्रेन पटरियां बिछाना आवश्यक है, लेकिन अवाम पर करों का बोझ बढ़ाकर इस प्रकार की शान-शौकत पर खर्च किया जा रहा है। जापान इस बुलेट ट्रेन में अपने निवेश का हजार गुना कमाएगा और यह पैसा भी जनता की जेब से जाएगा।
आज़ाद भारत के इतिहास में यह पहली संसद है, जो मूल मुद्दों को टालकर अनावश्यक छाया युद्ध में व्यस्त है। यह ऐसा ही है जैसे फिल्म में मूल चरित्रों से ज्यादा फुटेज फूहड़ हंसोड़ों को दिया जाए। इन हालात में नए वर्ष के सूर्योदय पर 'जिंदगी' चैनल के एक सीरियल का थीम गीत याद आता है, 'सूरज की गठरी खोली तो उसमें मिली रात रोती, पत्थर के बिस्तर पर सोए है, किसके आंख के मोती।'