वसंत / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हजार साल पहले मेरे पड़ोसी ने मुझसे कहा - "मुझे ज़िन्दगी से नफरत है क्योंकि पीड़ा के अलावा इसमें कुछ नहीं है।"

और कल, मैं जब कब्रिस्तान की ओर से गुजर रहा था, मैंने देखा - जिन्दगी उसकी कब्र पर लहलहा रही थी।