वहाँ और यहाँ / कांग्रेस-तब और अब / सहजानन्द सरस्वती
सोवियत रूस को जारशाही से वैसी ही आजादी 1917 के मार्च में मिली थी जैसी हमें 1947 के अगस्त में प्राय: तीस साल बाद ब्रिटिश साम्राज्यशाही से मिली मानी जाती है। मगर क्या उसके साथ हमारी कोई तुलना है ? रूस के बारे में महामना लेनिन ने अपने ' अप्रैलवाले मंतव्यों ' में लिखा है कि ' दुनिया के मुल्कों में रूस सबसे अधिक स्वतंत्र है। रूसी जनता की हिंसा लापता है और यहाँ की जनता आँख मूँद कर रूसी सरकार में , जो पूँजीपतियों की है , विश्वास करती है। ' भारत तो संसार में आज सबसे कम स्वतंत्र है। उसकी जुबान और लेखनी पर जंजीरें जकड़ी हैं। जनता की हिंसा भी जोरों से जारी है , चाहे अमन कानून के नाम पर शासकों के द्वारा या चोर-लुटेरों के द्वारा। यहाँ नेहरू सरकार बेशक पूँजीपतियों की है और अभी तक शायद जनता का इसमें विश्वास भी है। मगर वह आँख मूँद कर तो नहीं ही है। उसकी जड़ हिल चुकी है और जनता ने खुले और छिपकर इस सरकार को कोसना-लथाड़ना शुरू कर दिया है! वर्तमान शासक यह जान भी गए हैं।