वह पहला आदमी / प्रभा खेतान / पृष्ठ 1
प्रसिद्ध कृतियों की समीक्षा
अल्बेयर कामू : वह पहला आदमी -
विश्व चिंतन सीरीज के तहत ही सरस्वती विहार, नई दिल्ली से सन् १९९३ में प्रभा खेतान की यह पुस्तक प्रकाशित हुई। १९५७ के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित व 'द रिबेल`, 'द स्टें्रजर`, 'मिथ आफ सिसिफस` 'प्लेग` व 'ल प्रीमियर होमे` जैसी विश्व प्रसिद्ध कृतियों के रचनाकार पर पुस्तक में पूरा प्रकाश डाला गया है। मात्र ४६ वर्ष जीए फ्रांसीसी विद्वान अल्बेयर कामू का प्रभा ने बेहतरीन मूल्यांकन किया है। वह पहला आदमी, जटिल होते संबंध, घर में किताब का सवाल, बीमार मेधावी, अशांत वैवाहिक संबंध, शिक्षा एवं विचार भूमि, यथार्थ से संवाद की स्थापना, जुझारू तेवर और राजनीति, सृजन है या फिर नहीं है, संघर्षों से गुजरते हुए, युद्ध, निरस्त्रीकरण और कामू, गालीमार हाउस के लेखक, विद्रोह का स्वर और आदमी की स्वतंत्रता, जगत : साझे की जिंदगी, व्यक्ति की सत्ता के लेखक व मानवीय चेतना का चितेरा शीर्षकों से प्रभा ने अल्बेयर कामू के जीवन व चिंतन का विशद् मूल्यांकन और प्रकटीकरण किया है। कामू को पढ़ने और समझने के लिए यह कृति महत्त्वपूर्ण है।