विधि-विशेषज्ञ / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

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सदियों पहले एक राजा था। वह बहुत बुद्धिमान था। उसने अपने अधीनों को अनुशासित रखने के लिए कुछ नियम बनाने की पहल की।

उसने राज्य के एक हजार कबीलों के एक हजार चतुर लोगों को नियम तैयार करने के लिए बुलाया।

सब काम पर लग गए।

जब एक हजार नियम भोजपत्रों पर लिख गए, तो उन्हें राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने उन्हें पढ़ा। यह जानकर कि उसके राज्य में हजार तरह के अपराध हैं, उसकी आत्मा रो पड़ी।

फिर उसने अपने मुंशी को बुलाया। मुस्कराते हुए उसने नियम बोलने शुरू किए। उसकी ओर से लिखवाए गए नियम केवल सात थे।

एक हजार चतुर इस पर नाराज हो गए और अपने लिखे नियमों की प्रतियाँ लेकर कबीलों को वापस चले गए। हर कबीला अपने चतुर कबीलाई द्वारा तय नियमों के आधार पर ही चलता था। इसलिए आज की तारीख तक भी वे उन एक हजार नियमों पर ही चलते हैं।

यह एक महान देश है क्योंकि इसमें एक हजार जेलें हैं। सभी जेलें उन हजार नियमों को तोड़ने वाले स्त्री-पुरुषों से भरी पड़ी हैं।

यह बेशक एक महान देश है क्योंकि इसमें उन एक हजार नियम-निर्माताओं तथा सिर्फ एक बुद्धिमान राजा के वंशज रहते हैं।