विनोद मेहरा के प्रेम-पत्र / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
विनोद मेहरा के प्रेम-पत्र
प्रकाशन तिथि : 27 अक्टूबर 2014


फिल्म उद्योग में एक्शन फिल्मों से अधिक प्रेम कहानियां बनी हैं। उनकी असफलता का आैसत भी एक्शन फिल्मों से अधिक है। इसके साथ ही फिल्म वालों के बीच अनेक प्रेम-कहानियां पनपी हैं आैर उनकी असफलता का प्रतिशत भी अधिक है। सारे खूबसूरत सितारों ने कम से कम एक अदद असफल प्रेम तो किया है। उनके बीच प्रेम से अधिक प्रेम का स्वांग हुआ है, क्योंकि अभिनय के लिए लगाया गया मेकअप धीरे-धीरे त्वचा की सरहद पार करके उनके लहू आैर विचार में शामिल हो जाता है। वे स्वयं ही नहीं समझ पाते कि कहां अभिनय खत्म होता है आैर कहां वे यथार्थ के धरातल पर आते हैं। देव आनंद जितने वर्ष विवाहित रहे हैं, उससे कही अधिक वर्ष अपनी पत्नी से दूर रहे हैं। उनके बीच तलाक नहीं हुआ परंतु दूरी भी कभी घटी नहीं।

आश्चर्य होता है कि साधारण शक्लोसूरत वाले अभिनेता विनोद मेहरा जिनकी स्क्रीन छवि एक सामान्य पड़ोसी व्यक्ति की रही आैर वे कभी सुपर सितारा हैसियत नहीं पा सके, परंतु 1971 से 1990 तक उन्नीस वर्षों में उन्होंने सौ फिल्मों में अभिनय किया आैर बाल कलाकार के रूप में भी वे 'नरसी भगत' 'शारदा' में अभिनय कर चुके थे आैर किशोर वय में "अंगुलीमाल' कर चुके थे। वे 1971 में राजकुमार, हेमा आैर राखी अभिनीत 'लाल पत्थर' में युवा नायक के रूप में प्रस्तुत हुए। उनकी मृत्यु मात्र 45 वर्ष की आयु में हुई जब वे 'गुरुदेव' नामक अपनी पहली फिल्म के निर्देशक आैर निर्माता थे। इतने कम समय में इस साधारण से दिखने वाले अभिनेता के कुछ प्रेम प्रसंग हुए आैर साढ़े तीन विवाह भी हुए। उनकी पहली पत्नी मीना ब्रोका समृद्ध परिवार से आई सुंदर स्त्री थी। तलाक के बाद उन्होंने बिंदिया गोस्वामी से विवाह किया। बिंदिया ने उनसे तलाक लेकर फिल्मकार जेपी दत्ता से विवाह किया आैर उनकी पुत्री अब एक फिल्म में नायिका के रूप में प्रस्तुत हो रही है। दत्ता की अधूरी रही फिल्म में बिंदिया नायिका थी। दत्ता ने उन्हें इतने मोहक रूप में शूट किया कि वे फिल्मकार के हृदय तक पहुंचीं। संभवत: यह गुर जेपी दत्ता ने अपने गुरु राजकपूर से सीखा हो।

विनोद मेहरा की तीसरी पत्नी किरण थीं जिन्होंने सहृदय पूंजी निवेशक भरत भाई शाह की सहायता से 'गुरुदेव' पूरी करके प्रदर्शित की। विनोद मेहरा आैर रेखा की 'घर' एक सार्थक सफल फिल्म थी। उन दिनों अफवाह थी कि दोनों ने कलकत्ता में गंधर्व विवाह किया है परंतु 2004 में दिए एक साक्षात्कार में रेखा ने इस विवाह से इंकार किया है, इसलिए इसे 'अाधा विवाह' माना जाएगा क्योंकि एक पक्ष ने स्वीकार किया था। बहरहाल गौरतलब यह है कि सामान्य से दिखने वाले विनोद मेहरा कैसे इतनी आैरतों को सम्मोहित किया? उनका एक मंत्र यह संभव है कि वे महिला के सामने स्वयं को निसहाय व्यक्ति की तरह प्रस्तुत करते हों आैर हर महिला में छुपी ममता के माध्यम से प्रेम तक पहुंचते हो। प्राय: आैरतों को सुरक्षा की आवश्यकता होती है- ऐसी लोकप्रिय धारणा है। अत: जब कोई पुरुष स्त्री से रक्षा आैर प्रश्रय की प्रार्थना करता हो ताे स्त्री में छुपा पुरुष जाग जाता है क्योंकि स्त्रियों को कमतर आंकने के साथ ही पुरुष ने उसे मनोवैज्ञानिक तौर पर यह मानने के लिए बाध्य कर दिया है आैर वह मानने भी लगी है जबकि प्रकृति ने उसे पुरुष से अधिक शक्तिशाली बनाया है।

उनका दूसरा तरीका संभवत: यह था कि वे स्वयं को पत्नी पीड़ित बताते थे आैर कुछ ऐसी निरीहता से प्रस्तुत होते कि उन्हें प्रेम करना महिला को आवश्यक लगता था। उसे आभास होता मानो वह किसी अन्याय की क्षतिपूर्ति कर रही है। उनके तीसरे 'मंत्र' को समझने हमें अंग्रेजी भाषा के प्रथम कवि चौसर की alt147केंटरबरी टेल्सalt148 की एक कथा सहायता कर सकती है। एक खूबसूरत साहसी युवा सैनिक से अनजाने में एक कत्ल हो जाता है आैर राजा को न्याय करते हुए उसे मृत्युदंड देना है परंतु रानी को इस साहसी के इस तरह दंडित होने का दु:ख है। अत: वह वर्ष में एक दिन न्याय करने के अपने अधिकार का प्रयोग करके उसे एक वर्ष का समय देती है कि वह रानी द्वारा पूछे प्रश्न का वह उत्तर लाए जो रानी ने सीलबद्ध करके राजा को सौंपा है क्योंकि उस प्रश्न के कई उत्तर हो सकते हैं।

रानी को अपेक्षा थी कि यह सैनिक लौटेगा ही नहीं आैर यही वे चाहती थीं परंतु सैनिक लौटा आैर उसने कहा कि रानी के प्रश्न का उत्तरयह है कि महिला को सबसे अधिक पसंद अपने रूप की प्रशंसा सुनना लगता है। सही उत्तर के कारण सैनिक के प्राण बच गए परंतु वह जोर-जोर से रोने लगा आैर अपने लिए प्राणदंड मांगने लगा। पूछे जाने पर उसने स्पष्ट किया कि शहर की सीमा पर एक अत्यंत कुरूप आैर बूढ़ी भिखारन ने उसे यह रानी के मन पसंद उत्तर इस शर्त पर बताया है कि वह राजा के दंड से बचने पर उससे विवाह करेगा। वह बूढ़ी कुरूप भिखारन दरबार पहुंच जाती है आैर सैनिक वादा पूरे करे, इसकी मांग करती है। बहरहाल इस खता का अंत सुखद है कि रोते-रोते शादी करने वाले सैनिक को मधुरात्रि में अपनी कुरूप पत्नी का सानिध्य मिलते ही वह सुंदर स्त्री में बदल जाती है। वह एक शापित अप्सरा थी। बहरहाल प्रेम के रसायन का कोई मंत्र नहीं होता।