विवाह और तलाक : इतालवी शैली / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :18 दिसम्बर 2017
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने इटली में विवाह किया। यह संभव है कि उन्हें अपनी किसी यात्रा में इटली में ही यह अहसास हुआ हो कि वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं। कभी-कभी पहली नज़र में प्रेम हो जाता है। अपराध की प्रथम रिपोर्ट एफआईआर को भी अदालतें महत्व देती हैं। प्रेम की दुनिया में आंख मिलते ही प्रेम हो जाने का भी बहुत महत्व है। प्रेम और अपराध इस तरह जोड़े भी गए हैं। अनुष्का शर्मा ने विराट को क्रिकेट खेलते देखा और विराट ने अनुष्का की फिल्में देखीं। वे अपने काम को समर्पित लोग हैं। एक-दूसरे के काम को आदर देने की प्रक्रिया में उन्हें प्रेम हुआ। इटली की प्रसिद्ध सितारा सोफिया लारेन और निर्माता कार्लो पोन्टी को भी प्रेम हुआ। कार्लो पोन्टी तलाकशुदा व्यक्ति थे, अत: उन्होंने सोफिया लारेन से मैक्सिको में विवाह किया जिसे इटली में अमान्य कर दिया गया। कुछ समय बाद दोनों ने इटली में दूसरी बार विवाह किया, जिसे मान्यता मिली। विवाह और तलाक की अजीबोगरीब रीतियों और नियमों का मखौल उड़ाने के लिए निर्माता कार्लो पोन्टी ने सोफिया लारेन अभिनीत हास्य-व्यंग्य फिल्में 'मैरिज इटैलियन स्टाइल' और 'डिवोर्स इटैलियन स्टाइल' नामक फिल्में बनाईं।
उनकी तलाक केन्द्रित फिल्म में गर्भवती स्त्री का तलाक नहीं हो सकता। एक फिल्म में तलाक टालने के लिए स्त्री बार-बार गर्भवती होती है। शिशु के जन्म के चालीस दिन तक महिला को पुलिस गिरफ्तार भी नहीं कर सकती, भले ही उस पर आरोप लगा हो। नायिका जेल जाने से बचने के लिए चालीस दिन के भीतर ही गर्भवती हो जाती है। इस तरह वह आधा दर्जन बच्चों को जन्म देती है। एक हास्य दृश्य में तीसवें दिन ही वह पति से झगड़ने लगती है कि इस बार वह अभी तक गर्भवती क्यों नहीं हुई?
इसी तरह इस्लाम को मानने वाले पति को पहली बार तलाक बोलने के एक माह पश्चात ही तलाक शब्द दूसरी बार बोलना होता है और इसी तरह फिर तीस दिन बाद तीसरी बार तलाक शब्द उच्चारित करना होता है। इस तरह तलाक प्रक्रिया को पूरा होने में दो माह का समय लगता है और इन दो महीनों में एक साथ रहते हुए हमबिस्तर हो जाने पर तलाक प्रक्रिया रद्द हो जाती है। इस प्रक्रिया में रिश्ते पर विचार करने का बहुत अवसर है परंतु इस नियम का गलत अर्थ निकालते हुए तलाक तीन बार एक ही सांस में बोला गया, यहां तक कि टेलीफोन पर भी तीन बार तलाक बोला जाने लगा। नियम को सही ढंग से परिभाषित नहीं कर पाने के कारण प्रथा ही बदनाम हो गई। हर धर्म को अलग ढंग से परिभाषित किया जाता रहा है।
इस्लाम में आक्रोश में दिए गए तलाक के बाद उसी स्त्री से दूसरी बार विवाह नहीं किया जा सकता। दंड का प्रारूप यह है कि उस स्त्री को अन्य व्यक्ति से विवाह करके तलाक लेने के बाद ही वह अपने प्रथम पति से दोबारा विवाह कर सकती है। इसी विषय पर केरल के मोहम्मद भाई नामक फिल्मकार ने 'लुबना' नामक फिल्म हिन्दुस्तानी भाषा में बनाई थी। इस फिल्म में एक दृश्य में तलाक देने वाला पति अपनी पत्नी से दूसरी बार विवाह करना चाहता है तो उसके लिए वह एक गरीब व्यक्ति को धन देता है कि वह उसकी तलाकशुदा स्त्री से विवाह करके उसे तलाक दे दे ताकि वह उससे पुन: विवाह कर सके। सुहागरात को यह किराये का दूसरा पति अपनी पत्नी से दूरी बनाए हुए है तो उसे स्मरण कराया जाता है कि विवाह प्रक्रिया की संपूर्णता पति-पत्नी के हमबिस्तर होने से जुड़ी है।
किराये का पति कहता है कि इस कमरे में कोई तीसरा मौजूद नहीं है, अत: कोई कुछ नहीं जान पाएगा तब उसकी विवाहिता कहती है कि अल्लाह तो सब जगह मौजूद है, वह तो देख ही रहा है। सारांश यह है कि अलग रीतयां हैं, अलग-अलग ढंग से रीतियों को परिभाषित किया गया है। ये सारी कवायदें मनुष्य की स्वतंत्रता पर प्रहार हैं और स्वयं का विवेक निर्णायक सिद्ध नहीं हो पाए इसका जुगाड़ मात्र है।
बहरहाल कार्लो पोन्टी को यह दु:ख था कि उनकी पत्नी सोफिया लारेन को सभी सुंदर और सेक्सी मानते हैं परंतु कुशल अभिनेत्री नहीं मानते। उन्होंने अलबर्तो मोराविया के लोकप्रिय उपन्यास 'टू वीमेन' से प्रेरित फिल्म बनाई और सिद्ध किया कि सोफिया लारेन महान अभिनेत्री भी हैं।
प्रेम और फिल्म निर्माण इस तरह भी जुड़ जाते हैं। फिल्म बनाना प्रेम-पत्र लिखने की तरह है। याद आता है हसरत जयपुरी का गीत 'ये मेरा प्रेम-पत्र पढ़कर तुम नाराज न होना, कि तुम मेरी जिंदगी हो, कि तुम मेरी बंदगी हो'। ज्ञातव्य है कि हसरत साहब ने यह प्रेम-पत्र अपनी प्रेमिका को लिखा था। दरअसल हमें जीना ही चाहिए इस तरह जैसे जीवन ही प्रेम-पत्र है।