विवेक / हेमन्त शेष

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वह एक होम्योपैथ थे और कवितायेँ भी लिखते थे - पर बेहद बुरी! हिन्दी में बीस और अंग्रेज़ी में उनके सत्रह संग्रह प्रकाशित हुए, जो उन्होंने खुद के पैसों से छपवाए. जब वह दुनिया छोड़ कर गए तो लोगों ने कहा – “सतीश जी बड़े अच्छे होम्योपैथ थे!”