विश्वंभरनाथ कौशिक / परिचय
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विश्वंभरनाथ कौशिक की रचनाएँ |
विश्वंभरनाथ शर्मा 'कौशिक'
अंबाला में सन् 1891 में जन्मे कौशिक आपका निधन 1945 ने हिन्दी, संस्कृत, उर्दू और फारसी की प्रारंभिक शिक्षा कानपुर में प्राप्त की। पहले इनकी रुचि उर्दू में अधिक थी, लेकिन 1909 से वह हिन्दी के प्रति रुझान रखने लगे। साप्ताहिक 'जीवन' में आपकी प्रारंभिक कथा-रचनाएं प्रकाशित हुईं। आपका बंगला-ज्ञान भी काफी अच्छा था। आचार्य द्विवेदी की प्रेरणा से आपने कुछ बंगला कहानियों का अनुवाद भी किया। 'सरस्वती' में सन् 1913 में आपकी कहानी 'रक्षाबंधन' प्रकाशित हुई। 'चित्रकला','मणिमाला' और 'कल्लोल' इनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। 'मां' एवं 'भिखारिणी' प्रमुख उपन्यास। प्रारंभिक पुस्तकें हैं- 'भीष्म' और 'गल्प मंदिर'। रासपुतिन की जीवनी और रूस की महारानी 'जरीना' का जीवन-चरित्र भी कौशिकजी ने लिखा। आपका निधन 1945 में हुआ।