विश्व फुटबॉल कप में जॉन अब्राहम / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
विश्व फुटबॉल कप में जॉन अब्राहम
प्रकाशन तिथि : 16 मई 2014


जॉन अब्राहम को बारह जूून से ब्राजील में होने वाले फुटबॉल वल्र्ड कप के कमेंटेटर के रूप में आमंत्रित किया गया है। जो देश फुटबॉल विश्व में सबसे पिछड़ा हुआ है उस देश के एक अभिनेता को उसके फुटबॉल के लिए जुनून और जानकारी के कारण यह विरल गौरव प्राप्त हुआ है। टेलीविजन पर फुटबॉल का आंखों देखा हाल दुनिया के सभी देशों में प्रसारित किया जाएगा और इसकी तुलना में क्रिकेट प्रसारण के दर्शक संभवत: एक प्रतिशत हैं। फुटबॉल खिलाडिय़ों को सारे खेलों के सितारा खिलाडिय़ों के जमा जोड़ मेहनताने से अधिक धन मिलता है। दर्जनों फुटबॉल खिलाड़ी अरबपति हैं और एक सफल फुटबॉल खिलाड़ी की आय सचिन तेंदुलकर और महेंद्र सिंह धोनी के जमा जोड़ से अधिक होती है। यह संभव है कि विश्व फुटबॉल संगठन यह चाहता हो कि दुनिया की दूसरे नंबर की आबादी वाले देश में फुटबॉल की लोकप्रियता बढ़े ताकि उसके विश्व दर्शक संख्या में इजाफा हो, इसलिए उन्होंने एक लोकप्रिय फिल्म सितारे को चुना है जो खेल का जानकार भी है।

यह पद शाहरुख खान या सलमान खान को नहीं दिया जा सकता था। इस क्षेत्र में जॉन अब्राहम से पीछे केवल रनबीर कपूर हैं जिन्होंने हाल ही में मुंबई की फुटबॉल टीम में पूंजी निवेश किया है और भारत में क्रिकेट आईपीएल नुमा फुटबॉल स्पर्धा होने जा रही है जिसमें एक टीम जॉन अब्राहम ने भी ली है। सितारों में सलमान खान भी फुटबॉल खेलना पसंद करते हैं जबकि उनके पिता और भाई क्रिकेट प्रेमी है परंतु वे अपने इस शौक को जुनून के स्तर पर नहीं ले जा सकते। समय का अभाव है।

फुटबॉल बड़ा व्यवसाय है और इसका संगठन इसे सुचारू रूप से संचालित करता है जबकि भारतीय क्रिकेट संघ में भ्रष्टाचार है और सामंतवादी ढंग से चलाया जाता है। मैंने सन् '83' या '84' में मध्यप्रदेश क्रिकेट संगठन का सदस्य बनने के लिए आवेदन पत्र के साथ निर्धारित रकम 1500 रुपए का चेक भेजा था जिसे संगठन ने कैश किया और कोई बीस वर्ष बाद मुझे 1500 रुपए का उनका चेक भेजा इस खेद पत्र के साथ कि आप सदस्य बनने के लिए अयोग्य हैं जबकि अपने छात्र जीवन में मैंने सागर विश्वविद्यालय की टीम की ओर से खेला है और बुरहानपुर की ताप्ती मिल की टीम में अंतर मिल प्रतिस्पर्धा सवैतनिक खिलाड़ी की तरह खेली है। जब मैंने उनका चेक लौटाया और विलंब से आवेदन खारिज करने के खिलाफ अपील की तो लंबे समय बाद 1500 रुपए का ड्राफ्ट भेजा गया। यह बात छोटी है परंतु यह संगठन ऐसे ही चलता है। इसके अखिल भारतीय शिखर अधिकारी और उनके प्रिय पर आरोप हैं परंतु वे डटे हैं। यह आज के काल खंड की विशेषता है कि किसी भी खेल, सितारा या नेता का प्रचार व्यावसायिक रूप से न हो और वह खेल के व्यावसायिक स्वरूप का अंग नहीं बने। जैसे ही बाजार और विज्ञापन की शक्तियां फुटबॉल या कबड्डी की ओर अपनी निगाहे करम नहीं करेंगी तो वह पनप नहीं सकता। संभवत: मोक्ष का मार्ग भी इसी राह से गुजरता है। प्रकाशन की दुनिया में भी सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बाकायदा योजनाबद्ध ढंग से गढ़ी जाती है, असेम्बली लाइन की तरह।

भारत जैसे गरीब देश में फुटबॉल और कबड्डी लघुतम खर्च से खेले जाते हैं और क्रिकेट जैसे महंगे खेल का बोलबाला है और इसी तर्ज पर आज मल्टीप्लेक्स का महंगा टिकिट खरीदा जाता है और एकल सिनेमा के सस्ते टिकिट कम बिकते हैं, हवाई जहाज में क्लब क्लास जिस हवाई सेवा में नहीं हो उसे घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। स्पष्ट है कि शाइनिंग इंडिया के सीमित लोग ही असीमित भारत पर भारी पड़ते हैं। कुछ समय पूर्व ही फुटबॉल पचास से अस्सी रुपए तक मिलता रहा है और हाल में फैशनेबल बाजार ने एक दो रंग उसमें डालकर उसे पांच सौ में बेचना शुरू किया है कि एक गरीब तो कैसे खरीद पाएगा, परे हट अब यह व्यवसाय होने वाला है। बच्चों के बस्तों की कीमत आकाश छू रही है और फैशनेबल शिक्षा संस्थानों में बिगड़े हुए उच्च मध्यम वर्ग के बच्चे उसका मखौल उड़ाते हैं जो सस्ता एवं मजबूत बस्ता लाता है। हजारों रुपए फीस लेने वाले पांच सितारा स्कूल अपने बच्चों को साफ पानी उपलब्ध नहीं कराते, इसलिए स्कूल वॉटर बैग का धंधा पनप रहा है। सारांश यह कि कोई भी चीज बाजार के दायरे से बाहर नहीं है। इसी तरह सेना से अधिक वेतन कॉरपोरेट देता है तो टेक्नोक्रेट सेना की नौकरी नहीं करते। देश की सुरक्षा दूसरे दर्जे के दिमागों के अधीन है।

बहरहाल जॉन अब्राहम सबसे कम बयान देने वाले खामोश किस्म के सितारे हैं और उनकीसोच तथा कार्य में सामंजस्य है अर्थात ऊर्जा का अपव्यय नहीं होता। वे एक ऐतिहासिक फुटबॉल मैच कथा पर फिल्म बना रहे हैं, गामा पहलवान पर बायोपिक बना रहे हैं। उनकी 'विकी डोनर' और 'मद्रास कैफे' अद्भुत और मौलि फिल्में हैं। आज भी वे क्रिसमस के दिन अपने पुराने रहवासी मोहल्ले में जाकर पुराने मित्रों के साथ समय बिताते हैं। प्राय: सच्चे जीवन मूल्य आपके पूरे व्यक्तित्व में समाए होते हैं। जब भी आप जीवन में ऐसा व्यक्ति देखें जो दान धर्म की बात करता है और जीवन के एक क्षेत्र में उजला दिखता है तो समझ लीजिए वह उस क्षेत्र में अभिनय करके अपनी समग्र बुराई की रात में टॉर्च से रोशनी डाल रहा है।