वीरू देवगन को आदरांजलि / जयप्रकाश चौकसे

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वीरू देवगन को आदरांजलि
प्रकाशन तिथि : 29 मई 2019


अजय देवगन के पिता वीरू देवगन का 27 मई को निधन हो गया। सिनेमा में मारधाड़ के दृश्य संयोजन का महत्व प्रेम दृश्यों की शूटिंग करने से अधिक है, क्योंकि प्रेम दृश्य तो आंखों के मिलने से अभिव्यक्त किया जा सकता है और प्रतीक स्वरूप दो फूलों के आपस में टकराने के शॉट द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। एम्स्टर्डम में फूलों की क्यारियों के बीच से दौड़ते हुए प्रेमियों के लिए मोशन शॉट द्वारा भी अभिव्यक्त हो सकता है। पलकों का झपकना और दुपट्‌टे को सहेजना भी प्रेम अभिव्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। मारधाड़ के दृश्य के लिए सेट पर तोड़े जा सकने वाले मटकों की कतार लगानी होती है तथा कुछ खोमचों को पलट देना भी दिखाया जाता है। नायक और खलनायक के बीच मारधाड़ के दृश्यों में आम आदमी की छोटी दुकानें और खोमचों का नाश हो जाता है। प्रेम और युद्ध कहीं भी हो, किसी के बीच भी हो, नुकसान आम आदमी ही भुगतता है। पूरी पृथ्वी आम आदमी की धुरी पर ही घूम रही है। इसी तरह सारे मौसम भी साधन-संपन्न व्यक्ति को लाभ पहुंचाते हैं। साधनहीन तो ग्रीष्म में झुलसता है, शीत में ठिठुरता है और वर्षा में भीगकर ज्वरग्रस्त हो जाता है।

मारधाड़ के दृश्य में किसी शीशे का टूट जाना अवश्य दिखाया जाता है। लड़ते-भिड़ते पात्र शीशे की दीवार पर जा गिरते हैं। दरअसल, मारधाड़ के दृश्य में उपयोग किए जाने वाला शीशा एक कोमल कपड़ा होता है। उससे टकराने पर व्यक्ति को खरोंच भी नहीं लगती परंतु वह तड़क जाता है। वह कमोबेश कलफ दिए गए कपड़े की तरह होता है।

अजय देवगन अपने पिता वीरू देवगन के आदर्श का निर्वाह करते हैं। देवगन परिवार के विराट बंगले में ही सारा कुनबा रहता है। अजय ने अपने रिश्तेदारों को अपनी निर्माण संस्था में विभिन्न काम सौंपे हैं। अजय देवगन से अधिक श्रेय उनकी पत्नी काजोल को है, जो सुपर सितारा होते हुए भी कुनबे के आम सदस्य की तरह उसी बंगले में रहती हैं। अजय देवगन ने ही रोहित शेट्‌टी को अवसर दिए। रोहित शेट्‌टी बड़े व्यावहारिक इंसान हैं। उन्होंने शाहरुख खान के साथ 'चेन्नई एक्सप्रेस' बनाई है और रणवीर सिंह के साथ 'सिंबा' बनाई है। अजय देवगन ने कभी एतराज नहीं किया। वे अपनी टीम के हर सदस्य को पूरी व्यक्तिगत स्वतंत्रता देते हैं।

राज कपूर की फिल्मों में मारधाड़ के दृश्य नहीं होते थे परंतु 'प्रेमरोग' के क्लाइमैक्स में कुछ मारधाड़ थी। उन्होंने वीरू देवगन को फिल्म दिखाई। आरके स्टूडियो में एक छोटा सिनेमाघर था। फिल्म दिखाने के बाद उन्होंने वीरू देवगन को विस्तार से बताया कि वे क्लाइमैक्स में क्या चाहते हैं। इसके पश्चात राज कपूर के लोनी स्थित फार्म हाउस में 'प्रेमरोग' के सेट्स वीरू देवगन को दिखाए गए। उन्होंने वीरू देवगन को स्वतंत्रता दी कि वे मारधाड़ के दृश्य रचें।

ज्ञातव्य है कि मारधाड़ के दृश्य रचने वाला न केवल शॉट्स लेता है वरन् उनका संपादन भी करता है। वीरू देवगन शूटिंग करते रहे और राज कपूर सेट पर नहीं आए। उन्हें वीरू देवगन पर इतना विश्वास था। मारधाड़ की शूटिंग के अंतिम दिन राज कपूर सेट पर आए। क्लाइमैक्स में छोटे सामंतवादी भाई की मृत्यु हो जाती है। इसी भाई की विधवा बेटी की व्यथा-कथा है फिल्म। राज कपूर ने केवल एक शॉट ही लिया। शम्मी कपूर बड़े भाई की भूमिका कर रहे थे। राज कपूर ने यह शॉट लिया कि बड़ा भाई अपने छोटे भाई की मृत देह के पास जाकर उसकी खुली आंखों को बंद करते हुए कहता है, 'समय रहते ये आंखें खुल जातीं तो इतनी हिंसा नहीं होती'। यह राज कपूर स्पर्श उनकी फिल्मों को अन्य फिल्मों से अलग एक धड़कन देता है। मृत देह में वे श्वांस दे सकते थे।

बहरहाल, राज कपूर ने 'हिना' के चार गीत रिकॉर्ड किए थे। पटकथा पर काम किया था परंतु शूटिंग के पूर्व ही उनकी मृत्यु हो गई। उनके पुत्र इलाहाबाद में अस्थि विसर्जन के लिए गए और केदारनाथ भी गए। हर जगह आम लोगों की भीड़ ने नारे लगाए कि उन्हें 'हिना' बनानी चाहिए। इस तरह जनमत की इच्छा के कारण 'हिना' बनाई गई।

इस फिल्म के क्लाइमैक्स में रस्सी का पुल पार करने के दृश्य के लिए उन्हें सलाह दी गई कि विदेशी विशेषज्ञ को आमंत्रित करें परंतु रणधीर कपूर ने वीरू देवगन को ही आमंत्रित किया। फिल्म के मारधाड़ के दृश्य वीरू देवगन ने ही शूट किए। 'शोले' के एक्शन दृश्य के लिए विदेश से लोग आए थे परंतु ट्रेन डकैती के 'शोले' के दृश्य से कहीं बेहतर है दिलीप कुमार की 'गंगा जमना' का ट्रेन डकैती दृश्य और इसे भारतीय तकनीशियनों ने ही शूट किया था। दरअसल, विदेश से विशेषज्ञ आमंत्रित करने में कोई बुराई नहीं है, परंतु देश में मौजूद प्रतिभा को अवसर दिया जाना चाहिए। फिल्म निर्माण क्षेत्र में पूरब-पश्चिम का कोई छद्‌म युद्ध नहीं लड़ा जाता।