वूफ़र / विनीत कुमार

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"निखिल! आज तू निकाल न अपनी वो क्रिएटिव वाली वूफर. इस बोर सड़ियल सी दुपहरी को अलमस्त और जूसी बनाते हैं. मैं इस आइपॉड में गाने सुनते-सुनते पक गई हूं. कान में तो ऐसा दर्द होता है अब कि पता नहीं कब कटकर गिर जाए..लेकिन तूझे तो वूफर से दिक्कत होती है. पिछली बार जब इस पर आइ वना लव यू, आइ वना फक यू बजाया था तो तूने ये कहते हुए बंद करवा दिया था कि ऐसा लगता है जैसे कोई मेरे कलेजे के उपर से कुर्ला एक्सप्रेस गुजार ले जा रहा हो. तुमने दोनों हाथ रख दिए थे कि जैसे वो कुर्ला एक्सप्रेस साथ में तुम्हारा कलेजा घसीटकर साथ न ले चला जाए... और आज ये वूफर... तू लगा न फिर ज्ञान छांटने. निकालेगा या फिर दूं दो चमाट?"

"निकालता हूं, निकालता हूं पर बताओ तो सही, आज ये वूफर क्यों?"

"अरे, तुझे पता नहीं. कान इधर ला... तेरी जो बहन है न उत्कल यूनिवर्सिटी, उसके सौजन्य से मैं मामी बननेवाली हूं...ही ही ही ही, ठी ठी ठी ठी. अब निकाल."

"देखो नीलिमा, तुझे जो मजाक करना है,कर लो लेकिन मेरी बहन पर मत आना. वो ऐसी-वैसी लड़की नहीं है. बिहारी हूं, माथा ठनक गया तो ये भी ख्याल नहीं करुंगा कि तुम मेरी कौन हो?"

"चल रने दे, मान गई कि तेरे भीतर मिथुन ग्रुप का खून दौड़ता है जो अपनी बहन के लिए कुछ भी करेगा. निकाल वूफर.."

"तुमने ऐसे सोच कैसे लिया नीलिमा? तुम्हें पता भी है कि वो अपनी क्लास में किसी लड़के से बात तक नहीं करती और उसे तुमने प्रेग्नेंट तक बना दिया, छी..."

"अरे मैंने मजाक किया था निखू. तू तो सेंटी हो गया यार. मुझे तो आज दिन तक पता ही नहीं चला कि कब तेरे भीतर एक कम्युनिस्ट का खून दौड़ता है, कब एक लिबरल का, कब एक ओपन माइंड का और कब सबके उपर से बिहारी खून दौड़ने लगता है?"

"कहना क्या चाहती हो, बिहार कन्जर्वेटिव होते हैं?"

"न, न कन्जर्वेटिव नहीं, ओपन, खूब ओपन. इतने कि गर्लफ्रैंड के साथ चाहे चार दिन-रात गुजार लें लेकिन बहन को लेकर जरा सा भी मजाक करो तो वो नहीं, उसके भीतर की हिन्दी सिनेमा की आत्मा बोलने लग जाती है. चूतिया स्साला, छोटी सी बात पर पूरा मूड ही खराब कर दिया. चल फुट यहां से... तू झूठ बोलता है कि तू जिंदगी भर मेरा साथ निभाएगा, एक बोर दुपहरी तो निभा ही नहीं सकता, जिंदगी का क्या भरोसा? सोचा था, आज तेरी वूफर पर दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे का जोर-जोर से गाना बजाउंगी. तेरे मानपुर के गमछे को सिर पर रखकर पल्लू बनाउंगी और मेंहदी लगाके रखना पर जमकर डांस करुंगी. इतनी तेज आवाज में कि तेरे पड़ोसी को लगे कि आज इन दोनों ने आप ही सगाई कर ली. मैं तो स्साले इस बात से खुश थी कि पापा मेरी फुफेरी बहन के लिए लड़का खोजते-खोजते थक गए तो कहा- बेटा, कोई नजर में लड़का हो तो खुलकर बताना, नीमा की तरह सिर्फ किताबों में आंखें फोड़ती मत रह जाना.. मैं खुश हो गई कि चलो, शौक से और खुले विचार के नाम पर न सही, मजबूरी में ही सही हमारे बाप-दादाओं का मन बदलना शुरु तो हुआ. इसी बहाने अपने प्यार की प्रस्तावना तो पापा ने ही लिख दी, बाकी चैप्टराइजेशन मां कर देगी और थीसिस हमदोनों मिलकर लिख लेंगे. लेकिन तू आदमी जो ठहरा चूतिया, अच्छे-खासे मूड को खराब करने की तूने कसम जो खा रही है."