वैलेंटाइन डे : मधुबाला का स्मृति दिवस / जयप्रकाश चौकसे

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वैलेंटाइन डे : मधुबाला का स्मृति दिवस
प्रकाशन तिथि : 14 फरवरी 2021


मधुबाला का जन्म 14 फरवरी 1933 को और मृत्यु 23 फरवरी 1969 को हुई। मधुबाला का निधन दिल की बीमारी ‘मशीनरी मरमर’ से हुई, जिसका शल्य क्रिया द्वारा इलाज कुछ वर्ष बाद ही किया जाने लगा। इसी तरह पृथ्वीराज कपूर की मृत्यु के कुछ महीने बाद होजकिन्स बीमारी का इलाज खोज लिया गया था। कोरोना का इलाज भी खोज लिया गया है परंतु कोरोना का एक नया स्वरूप भी सामने आ गया। मनुष्य सतत संघर्ष करता रहा है। उसकी संघर्ष की भावना अपराजेय है।

बहरहाल वर्तमान समय में मधुबाला का जिक्र इसलिए किया जा रहा है कि वह सुंदरता का मानदंड बन चुकी हैं। पाकिस्तान के सदर जुल्फिकार अली भुट्टो तीन बार केवल मधुबाला को ‘मुगल-ए-आजम’ की शूटिंग करते समय देखने आए थे। कुछ वर्ष पूर्व बनी फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ में पाकिस्तान का एक व्यक्ति कहता है कि उसके पिता भी मन ही मन मधुबाला को चाहते थे। मधुबाला केवल दिलीप कुमार को चाहती थीं। मधुबाला के पिता अत्ताउल्लाह खान भी मधुबाला का विवाह दिलीप कुमार से इस शर्त पर करना चाहते थे कि विवाह के बाद दिलीप कुमार और मधुबाला केवल उनके द्वारा निर्माण की जाने वाली फिल्मों में काम करेंगे। दिलीप कुमार अपने काम में सौदा नहीं करना चाहते थे। उस दौर में तस्कर हाजी मस्तान, मधुबाला को इतना पसंद करते था कि फिल्मों में एक जूनियर कलाकार का चेहरा कुछ हद तक मधुबाला के समान था तो उन्होंने उससे विवाह कर लिया। मिलन लूथरिया की ‘वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ में इसका संकेत दिया गया है। मधुबाला का जन्म दिल्ली में हुआ था और उनके पिता अपने नाम के साथ सरनेम ‘देहल्वी’ रखते थे। मधुबाला ने दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद तीनों के साथ अभिनय किया था। उन्होंने गुरुदत्त की हास्य प्रेम कथा ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’ में भी अभिनय किया था। फिल्म में संवाद था कि ‘वे परी हैं और हाथ लगाओगे तो उड़ जाएंगी’। मधुबाला की पहली फिल्म ‘नील कमल’ और आखिरी फिल्म ‘चालाक’ राज कपूर के साथ थी। ‘चालाक’ अधूरी ही रही।

अपने अंतिम वर्षो में मधुबाला कार्टर रोड पर अरेबियन विला नामक घर में रहती थीं। जिसकी तल मंजिल पर उन्होंने एक छोटा सा सिनेमाघर स्वयं के लिए बनाया था, जिसमें वह प्राय: महबूब खान की ‘अमर’ और के आसिफ की ‘मुगल-ए-आजम’ की चुनिंदा रीलें देखती थीं। के आसिफ ने ‘मुगल-ए-आजम’ में अनारकली के जेल के सीन में मधुबाला को असली लोहे की बनी जंजीरों से बांधा था जो अत्यंत कष्टकारक था। दिलीप कुमार और मधुबाला के संबंध बिगाड़ने का प्रयास प्रेमनाथ ने किया। जिनके साथ वह ‘बादल’ नामक फिल्म में अभिनय कर रही थीं। प्रेमनाथ ने दिलीप कुमार ने कहा कि मधुबाला उनसे प्रेम करती है। दरअसल मधुबाला को जोरदार ठहाके लगाने की आदत थी। वह बात बेबात ठहाके के लगाती थीं। ठहाकों के कारण कुछ लोगों को भरम हो जाते थे। मधुबाला अपने सौंदर्य के जादू से परिचित थीं। वह जानबूझकर लोगों को मुगालते में डालती थीं।

मधुबाला को गुजरे हुए आधी सदी हो गई परंतु दिलीप कुमार के अवचेतन में वे आज भी जीवित हैं। उनकी याददाश्त गुम हुए अरसा हो गया परंतु भूल जाने के दौर में भी मधुबाला को याद रखते हैं। अब 98 वर्ष के वय में वे मात्र कंकाल से रह गए हैं परंतु मधुबाला तो उनकी मज्जा बोन मैरो (हड्डियों में मौजूद तरल पदार्थ) में बसी है। दिल्ली में मधुबाला के पड़ोस का एक युवा उनसे एक तरफा प्रेम करता था, बाद में वह आला अफसर बना। हर 14 फरवरी को वह मधुबाला की कब्र पर फूल रखने आता रहा, उसे यकीन रहा कि उन फूलों की खुशबू मधुबाला तक पहुंचती थी। बहरहाल ‘मुगल-ए-आजम’ में मधुबाला बादशाह अकबर के दबाव में सलीम को एक फूल देती है जिसमें बेहोशी की दवा मिली हुई है। मधुबाला तो एक खुशबू है जो आज भी फिजाओं में फैली है।