वो जब याद आए बहुत याद आए / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 14 जुलाई 2020
फिल्मकार और उसके सहयोगी फिल्म के प्रथम प्रदर्शन की वर्षगांठ मनाते हैं। शांताराम की ‘दुनिया ना माने’ के प्रदर्शन को 75 वर्ष हो गए हैं। ‘आवारा’ के प्रदर्शन को 69 वर्ष,‘मुग़ल-ए-आज़म’ को 60 वर्ष और ‘शोले’ के प्रदर्शन को 45 वर्ष हो चुके हैं। फिल्म के कलाकार व लेखक यादों के गलियारों में चहल कदमी करते हैं। ‘शोले’ के एक दृश्य में अनिच्छुक जय, बसंती की मौसी से अपने मित्र के लिए रिश्ता मांगने जाता है। मित्र की ब्याज स्तुति करते हुए कहता है, मित्र में कोई दुर्गुण नहीं है। जुए में जीत जाता है, तो शराब पी लेता है। कहते हैं कि जावेद अख्तर ने सलीम से प्रार्थना की थी कि वे उनका रिश्ता लेकर हनी ईरानी की मां के पास जाएं और सलीम ने कुछ इसी अंदाज में मित्र का गुणगान किया था।
लेखक अपनी प्रिय पुस्तक के प्रकाशन व प्रेरणा स्रोतों को भी याद करते हैं। वे अपने नापसंद परिचितोंं को खलनायक के पात्र में ढालते हैं। बदला यूं भी लिया जाता है। संभव है कि गुरु दत्त की पत्नी गीता दत्त बुर्का पहनकर ‘कागज के फूल’ देखने गई हों? इसी तरह नरगिस ने ‘मेरा नाम जोकर’ देखी होगी? फणीश्वर नाथ रेणु ने ‘तीसरी कसम’ कई बार देखी और शैलेंद्र को याद किया। सलमान खान अपनी अंतरंग मित्र सोमी अली से संपर्क में हैं। आज वे ऐश्वर्या बच्चन के स्वस्थ होने की प्रार्थना भी करते होंगे। कुछ फिल्मी गीतों में पहली मुलाकात को खूब याद किया गया है, जैसे साहिर रचित ‘जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात, एक अनजान हसीना से मुलाकात की रात।’
प्राय: मनुष्य अपने बनाए पहले घर की याद करता है। महानगर में लोग वो फुटपाथ नहीं भूलते, जिस पर उन्होंने बसेरा किया था। जेबकतरा भी अपने चुराए, पहले बटुए की स्मृति संजोए रखता है। कुछ लोग अपने तलाक की वर्षगांठ मनाते हैं। विवाह पूर्व दूल्हा अपने कंवारेपन की विदाई पार्टी करता है। युद्ध समाप्ति का दिन भी याद किया जाता है व आगे युद्ध न होने की प्रार्थना की जाती है।
अक्सर लोग अपनी मूर्खता को याद नहीं रखते। पहली बेवकूफी की वर्षगांठ कोई नहीं मनाता। कहते हैं कि कातिल वारदात की जगह पुनः एक बार जरूर जाता है। चतुर जासूस इसी मौके को तलाशता है। अपराध की स्मृति में भी अपराध होते हैं। क्या अपराध का चस्का लगता है? कौन अपनी ली हुई पहली रिश्वत याद करता है? रिश्वत एक खुजली जैसी हो जाती है।
कुछ लोग अपनी ईमेल आईडी में अपने जन्म वर्ष शामिल करते हैं। महिलाएं यह नहीं करतीं। वे जानती हैं कि जीवन के बैंक में यौवन के डिपॉजिट पर ध्यान आकर्षण का ब्याज मिलता है। मेकअप सरकारी सड़क मरम्मत जैसा है, जितनी करो उतनी उखड़ती है। मंत्री सड़क मरम्मत वाले विभाग के लिए मरे जाते हैं।
हसरत जयपुरी ने अपनी प्रेमिका को लिखे खत की स्मृति में लोकप्रिय गीत रचा-‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर के तुम नाराज ना होना’। शैलेंद्र ने पहला गीत ‘बरसात’ के लिए लिखा और कालांतर में अपने बंगले का नाम रिमझिम रखा। ‘काला बाजार’ के लिए उन्होंने गीत लिखा ‘रिमझिम के तराने लेके आई बरसात याद आई किसी से वो पहली मुलाकात।’ रिमझिम पर मालिकाना हक के लिए उनके वारिस कोर्ट पहुंचे। संभवत: बंगला जर्जर हो चुका होगा, उसकी खुदाई करें, तो कुछ गीत मिलेंगे। ज्ञातव्य है कि गुरुदत्त की ‘साहब बीवी और गुलाम’ के पहले दृश्य में जमीदार की हवेली की खुदाई में छोटी बहू का कंकाल मिलता है। पूंजीवादी इमारतें तो कंकाल की बुनियाद पर ही बनती है। कंकाल के डीएनए में असमानता व शोषण ही मिलता है।
गालिब की एक रचना का यह आशय है की आराधना के लिए एक माला घुमाई जाती है, जिसमें सौ मनके होते हैं, पर एक को गिनती में शुमार नहीं करते। कुछ यादें ऐसे मनके जैसी होती हैं। असफल फिल्मों के प्रदर्शन को कभी याद नहीं रखा जाता। स्मृति के जुगनू की मदद से स्याह रात में भी रास्ता खोज लिया जाता है।