व्यंग्य बाण / मनोज चौहान

Gadya Kosh से
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रविवार का दिन था और हमेशा की तरह ही भागूमल नाई की दुकान पर आज भीड़ थीl सब लोग जल्दी-2 बाल कटवाकर घर के दुसरे काम निपटाना चाहते थेl भागूमल नाई अपनी वाक् पटुता के लिए पूरे इलाके में मशहूर थाl जो भी उसकी हजामत वाली कुर्सी पर बैठता था वह उसका अपनी रोचक बातों से मनोरंजन किया करता थाl इस पेशे में वाक् कौशल तो आ ही जाता हैl कहावत भी है कि मोहल्ले में कोई बात फैलानी हो तो हजाम को बता दोl दुसरे दिन वह बात पूरे मोहल्ले में फ़ैल चुकी होगीl वैसे भी हजाम तो पूरे मोहल्ले का खबरी होता ही हैl

मियां सपडू जैसे ही बाल कटवाने बैठा तो भागूमल नाई ने आदतन बातों की झड़ी लगा दीl भागूमल बोल्या "मियां जी आपने सुना कि मसेहडुओं के लड़के की सरकारी नौकरी लग गई, लड़का वैसे भी काफी मेहनती हैl चलो अच्छा हो गया, मेहनत का फल तो मीठा ही होता हैl ये सुनकर मियां तपाक से बोल उठा "अरे भाई भागूमल–इसमें मेहनत वाली कौन-सी बात है? वह कोटे से लगा होगाl मियां जी–कैसे कोटे की बात कर रहे हो? कोटा तो तब होता जब उसे बिना किसी पढाई, ट्रेनिंग, टेस्ट या साक्षात्कार के नौकरी मिल जातीl लेकिन वह तो इन सब चीजों से होकर निकला है, भागूमल ने समझाते हुए कहाl

मियां ने भौहें तानते हुए कहा "फिर भी यार, आरक्षण में कुछ छूट तो मिल ही जाती हैl" नहीं मियां जी, उस लड़के ने तो सामान्य श्रेणी से टेस्ट पास किया हैl उन लोगों को तो वैसे भी कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति हेतु आरक्षित श्रेणी में डाल रखा है, वर्ना आप तो जानते ही हैं कि वे तो मूलतः क्षत्रिय हैं और सुकेत के राजा के यहाँ उनकी कितनी धाक थीl क्या आपको नहीं पता कि अपने स्वाभिमान की लड़ाई वे लोग आज भी न्यायालय में लड़ रहे हैं? हां ठीक है-ठीक हैl जल्दी बाल काट, घर में कुछ ज़रूरी काम हैl इतना बोलकर मियां सपडू खामोश हो गयाl उसका आरक्षण का व्यंग्य बाण व्यर्थ होकर उसी के पास लौट आया थाl भागूमल नाई ने उसे आड़े हाथों ले लिया थाl उसकी कैंची अब मियां सपडू के बालों पर पहले से तेज चल रही थीl