शंकर रजनीकांत की जुगलबंदी / जयप्रकाश चौकसे

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शंकर रजनीकांत की जुगलबंदी
प्रकाशन तिथि :27 दिसम्बर 2016


दक्षिण के फिल्मकार शंकर अपनी सफल फिल्म 'रोबो' के भाग-2 की पटकथा लिखने के बाद आमिर खान से मिले। वे उन्हें अनुबंधित करना चाहते थे। आमिर खान ने पटकथा पढ़ी और उन्हें लगा कि यह फिल्म आय के नए कीर्तिमान बना सकती है। पटकथा के हर दृश्य में वे स्वयं को उस पात्र के रूप में कल्पना में देखते तो प्राय: रजनीकांत की छवि उनके मन में उभरती थी। स्वयं रजनीकांत ने आमिर खान से अनुरोध किया कि वे भूमिका स्वीकार कर लें। उस पटकथा में एक ही व्यक्ति के दो स्वरूपों की कथा थी गोयाकि नायक में खलनायक छिपा है। दरअसल हर मनुष्य के हृदय में अच्छाई और बुराई की जंग लगातार चलती रहती है। व्यक्ति अपनी सुविधानुसार अच्छाई और बुराई को स्वीकार करता है। कोई भी व्यक्ति पूरी तरह अच्छा या बुरा नहीं होता। हर व्यक्ति अपनी अच्छी छवि ही प्रस्तुत करता है। अंग्रेजी में अरसे पहले एक उपन्यास लिखा गया है। 'जेकिल एंड हाइड', जो व्यक्ति के दोनों स्वरूप प्रस्तुत करता है। एक दौर में दिलीप कुमार ने पटकथा लिखी थी, जिसमें नायक बैंक में मैनेजर हैं और रात में उसी बैंक में चोरी करता है।

महान पेंटर माइकल एंजिलो ने कई वर्ष परिश्रम करके 'द लास्ट सपर' पेंटिंग बनाई और शैतान के लिए एक मॉडल का चुनाव किया। कुछ वर्ष बाद उनके अनजाने ही उन्होंने उसी व्यक्ति का चुनाव क्राइस्ट को पेंट करने के लिए चुना परंतु वह व्यक्ति इस अंतराल में एक गुनाह करके जेल में सजा काट चुका था और शायद पश्चाताप ने उसकी सारी मलीनता दूर कर दी थी। हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को अंग्रेज देशद्रोही मानते थे, हम उन्हें देशप्रेमी मानते हैं। मनुष्य और जीवन, परिभाषाओं एवं पूर्वनिर्मित ढांचों के बाहर काम करता है। बहरहाल, शंकर की पटकथा में नायक की छवि विराट है परंतु एक भाग में वह मात्र छह इंच का लघु मानव भी है। कुछ वर्ष पूर्व कमल हासन ने भी बौने की भूमिका अभिनीत की थी। शंकर के उपन्यास 'चौरंगी' में भी एक बौना पात्र है। ज्ञातव्य है कि दशकों पूर्व एक अंग्रेजी टीवी सीरीज का नाम था 'हनी आई श्रंक किड्स'। इसमें बच्चे इतने बौने हो जाते हैं कि हाथ बरतन धोने के सिंक में उनके बह जाने का भय होता है। इन तमाम फिल्मों और किताबों में यही रेखांकित किया जाता है कि प्रकृति प्रदत्त ऊंचाई या ठिगनेपन से ही संतोष करना चाहिए, क्योंकि इनसे बचने का कोई उपाय नहीं है। महिलाओं के लिए बनाए ऊंची एड़ी के सैंडिल पहनने से होने वाली हानियों की बात भी सामने गई है। शंकर की फिल्म में नायक को पांच चरित्र-चित्रण निभाने हैं। अब इस फिल्म में रजनीकांत ही नायक की भूमिका अभिनीत कर रहे हैं परंतु पांचवीं भूमिका के लिए अक्षय कुमार को अनुबंधित किया गया है। शंकर को अपने ही क्षेत्र में अब 'बाहुबली' से आगे निकलने की महत्वाकांक्षा है। 'बाहुबली' के राजामौली लगातार दस सफल फिल्में दे चुके हैं। शंकर शिखर सिंहासन से अपदस्थ किए जा चुके हैं। और इस फिल्म के द्वारा वे अपना स्थान पुन: प्राप्त करना चाहते हैं। मुंबई के रीढ़हीन फिल्मकार सितारों की चापलूसी करते हैं परंतु दक्षिण में फिल्मकार को प्रसन्न करने के लिए सितारे उनके घर के चक्कर लगाते हैं।

आमिर खान दक्षिण के फिल्मकारों की प्रतिभा और अपार साधनों से परिचित हैं परंतु उनके अस्वीकार करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि शंकर की फिल्म को बहुत अधिक समय देना पड़ता। पचास पार आमिर की अपनी योजनाएं भी हैं। बहरहाल अक्षय कुमार भी अपने फिल्मकार को सीमित समय ही देते हैं परंतु शंकर की फिल्म उन्हें खान सितारों से बाजी मारने का अवसर देती है। अब उनकी पत्नी ट्विंकल खन्ना भी निर्माण क्षेत्र कूद रही हैं। ज्ञातव्य है कि ट्विंकल खन्ना 'बॉबी' के लिए प्रसिद्ध डिम्पल राजेश खन्ना की सुपुत्री हैं। फिल्म जगत के अांगन में ही पली-बढ़ी हैं। वे अपने पिता राजेश खन्ना का बायोपिक भी बना सकती हैं। राजेश खन्ना का धूमकेतु की तरह उदय हुआ था और सफलता की पारी सीमित रही। 'जंजीर' में अमिताभ बच्चन की आक्रोश की छवि ने राजेश खन्ना को पस्त कर दिया। फिल्मों से परे समाज में भी अब कोई आक्रोश की मुद्रा में नहीं है। यहां तक कि अनियोजित मुद्रा परिवर्तन से होने वाले अपार कष्ट भोग रहा अवाम भी खामोश ही है। भीतर उबर रहा ज्वालामुखी कभी अवश्य फटेगा।

यह फल्मकार शंकर का आत्मविश्वास है कि वे अपनी सफल फिल्म 'रोबो' के अगले भाग को '2.0' के नाम से प्रदर्शित करने जा रहे हैं। आज 'अम्मा' के निधन के बाद रजनीकांत राजनीति में प्रवेश करें तो वे दक्षिण भारत द्वारा पूरे भारत की राजनीति में तूफान ला सकते हैं। अगर वे अपना दल गठित करें तो बिना विरोध के चुनाव जीत सकते हैं। रजनीकांत पर राजनीति में आने का दबाव बनाया जा रहा है। उनका अपना मिजाज सबसे जुदा है। वे प्रतिवर्ष एक माह की छुट्‌टी लेकर एक छोटा-सा थैला लेकर विदेश जाते हैं और आम आदमी की तरह मीलों पैदल चलते हैं। अपनी छुट्‌टी के अंतिम सप्ताह में वे कैसीनों में जमकर जुआ खेलते हैं और मुकद्‌दर के सिकंदर को वहां भी लाभ प्राप्त होता है, जिसे वे वहां के संघर्षरत तमिलभाषी लोगों में बांट देते हैं। रजनीकांत हर तरह से एक विलक्षण व्यक्ति हैं। उन जैसे व्यक्ति का राजनीति में आना देश के लिए लाभप्रद होगा।