शक्ति सामंत : संयम और संतुलन / जयप्रकाश चौकसे

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शक्ति सामंत : संयम और संतुलन

प्रकाशन तिथि : 11 अप्रैल 2009


आजादी के कुछ वर्ष पूर्व बंगाल में सामाजिक फिल्‍में बनाने वाली महान संस्‍था न्‍यू थियेटर्स के विघ्‍टन के बाद बिमल राय पहले फिल्‍मकार थे, जिन्‍होनें मुंबई का रुख किया। अमिय चक्रवर्ती, ऋषिकेश मुखर्जी, ज्ञान मुखर्जी, फणी मजुमदार और हेमन्‍त कुमार भी मुंबई आ गए। बिमल राय, ऋषिकेश मुखर्जी और अमिय चक्रवर्ती ने न्‍यू थियेटर्स की सौदेदश्‍यता मनोरंजन परम्‍परा को ही मंबई में रोपित किया, परंतु मुंबई में दशकों पूर्व से बजे शशधर मुखर्जी मसाला फिल्‍में ही बनाते रहे और शक्ति सामंत ने भी इसी मार्ग को चुना, क्‍योंकि बतौर फिल्‍म्‍कार वे अपनी सीमा को जानते थे। शक्ति सामंत 1948 में अभिनेता बनने मुबंई आए, परंतु कुछ वर्ष तक उन्‍हें मुंबई के उपनगर में प्राथमिक विद्यालय में अध्‍यापन का कार्य करना पडा। स्‍कूल के बाद फिल्‍म उद्योग के चक्‍कर लगाते हुए एक दिन ज्ञान मुखर्जी ने उन्‍हें अपना सहायक निर्देशक बनने का अवसर दिया। मेहनत और लगन ने रंग दिखाया और ‘बहू’ नाम फिल्‍म के निर्देशन का अवसर मिला, परंतु उन्‍हें सफलता मिली ‘हावडा ब्रिज’ रूपी थ्रिलर से। यह फिल्‍म बंगाल में जन्‍मे और युवा हुए व्‍यक्ति का अपने शहर को नमन नहीं था। यह तो एक मसाला फिल्‍म थी।

फिल्‍मकार शक्ति सामंत की तमाम फिल्‍मों में मधुर संगीत हमेशा रहा है। उनके द्वारा सत्‍यजीत राय की फिल्‍मों में काम करने वाली शर्मिला टैगोर को ‘कश्‍मीर की कली’ के रूप में शम्‍मी कपुर के साथ प्रस्‍तुत किया गया और सुरीले संगीत से सजी फिल्‍म को भारी सफलता मिली। शक्ति सामंत की फिल्‍म शैली में माधुर्य के साथ शोख रंग भी जुड गए। इस फिल्‍म की सफलता के बाद कश्‍मीर मसाला फिल्‍मों का इस कदर आवश्‍यक अंग बन गया कि पूरे देश के दर्शक कश्‍मीर के ‘पत्‍ता-पत्‍ता बूटा-बूटा’ से परिचित हो गए।

शक्ति सामंत और प्रमोद चक्रवर्ती की फिल्‍मों में बंगाल का कोई चिन्‍ह नहीं मिलता। शक्ति सामंत और सचिन देव बर्मन के शिखर प्रयास के कारण राजेश खन्‍ना सुपर स्‍टार हो गए। अब पूरी तरह से संपन्‍न, सफल शक्ति सामंत के मन में हूक उठी बंगाली शैली की फिल्‍म बनाने की और उन्‍होनें ‘देवदास’ से प्रेरित ‘अमर प्रेम’ बनाई, जो संगीत और आनंद बख्‍शी की गीतों के कारण सफल रही। इसी फिल्‍म में राजेश खन्‍ना ने संवाद अदायगी और हाथ-पैर संचालन की एक शैली अपनाई, जिसने प्रारंभिक सफलता के बाद उनके भीतर के कलाकार को ही खत्‍म कर दिया। शक्ति सामंत हमेशा शांत और संयमी रहते थे और फिल्‍म निर्माण में किफायत के साथ प्रभाव पैदा करने में सक्षम थे। उनके व्‍यवहार के सभी कायल थे। उनहोनें अशोक कुमार से लेकर अमिताभ बच्‍चन तक सभी सितारों के साथ काम किया। उन्‍होनें फिल्‍म क्राफ़्ट की सीमा में रहकर अच्‍छा काम किया और मुंबई में कभी बंगाली ठीया नहीं बनाकर अखिल भारतीय मनोरंजन को साधने का प्रयास किया।