शब्दों की उड़ान : एक दृष्टि / ज्योत्स्ना शर्मा

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हरियाणा प्रदेश के स्वर्ण-जयंती वर्ष में 'हरियाणा साहित्य अकादमी' द्वारा साहित्य की विविध विधाओं पर तीन दिवसीय युवा लेखन कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। साथ-साथ शिविर में उपस्थित विद्यार्थियों की सुविधा के लिए सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में 'शब्दों की उड़ान' पुस्तक वितरित करने का प्रशंसनीय कार्य भी किया।

पुस्तक में हिन्दी की विविध विधाओं पर विद्वान् लेखकों के १५ सारगर्भित आलेख हैं जो लेखन में रुचि रखने वाले रचनाकारों का पदे-पदे मार्गदर्शन करने में समर्थ हैं। 'सर्जनात्मक लेखन की भाषा' आलेख में प्रो।राजेन्द्र गौतम ने विषयानुकूल भाषा चयन, शब्दों के सहज एवं समुचित प्रयोग, शब्द निर्माण तथा प्रसंगवश शब्द शक्तियों का भी सम्यक विवेचन किया है। उन्हीं के दूसरे आलेख 'गीत की रचना प्रक्रिया' में गीत और नवगीत की संरचना पर प्रकाश डाला गया है। 'हिंदी उपन्यास और उसकी विकास-यात्रा' डॉ। शशिभूषण सिंहल का उपन्यास विषयक तथ्यों को उजागर करता आलेख है। उपन्यास के रूप, भाव, भाषा, वर्ण्य-विषय, पात्रों के साथ विविध प्रकार के उपन्यासों, प्रमुख उपन्यासकारों पर भी चर्चा की गई है। निबंध के स्वरूप, वर्ण्य-विषय, भाषा एवं वर्ग विभाजन पर प्रो। लालचन्द गुप्त का सारगर्भित आलेख 'निबंध' बहुत ज्ञानवर्धक तथ्य उपलब्ध कराता है।

नाटक सम्बंधी अवधारणा, इतिहास, संस्कृत नाटक, एकांकी, लघु नाटक से नाटक के विस्तार और उसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए 'नाटक के आयाम' आलेख में कँवल नयन कपूर ने रंग मंच की उपादेयता भी सिद्ध की है। कहानी-लेखन पर उर्मि कृष्ण का 'कैसे लिखें कहानी' आलेख है। जिसमें लेखिका ने कहानी-लेखन और उसके मुख्य तत्त्व–अध्ययन, सजगता, चिंतन, निरीक्षण के साथ-साथ कहानी के विषय, चरित्र, शिल्प, संवेदना, शैली, वार्तालाप, लम्बाई, नई कहानी, आंचलिक कहानी आदि कई महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की है। 'लघुकथा' आलेख में डॉ। अशोक भाटिया ने लघुकथा की परिभाषा, बोध कथाओं, लोक कथाओं, नीति कथाओं से लघुकथा के भिन्न स्वरूप, रचना-प्रक्रिया, लघुकथा की विकास यात्रा का वर्णन करते हुए कतिपय प्रमुख लघुकथाकारों का उल्लेख किया है।

'गद्य की विभिन्न विधाएँ' आलेख में रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ने आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, यात्रा-संस्मरण, पुस्तक–समीक्षा, डायरी-लेखन, साक्षात्कार, परिचर्चा, फीचर, रिपोर्ट / प्रतिवेदन / रपट जैसी विधाओं पर सम्यक विवेचन प्रस्तुत किया है। इन्हीं के दूसरे आलेख–'छंद विधान और उसका महत्त्व' में छंद की उपादेयता, आधार तथा वर्गीकरण पर प्रकाश डाला गया है। दोनों ही आलेखों में वर्ण्य-विषय को परिभाषा और उदाहरण के माध्यम से बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है। बाल साहित्य पर पंकज चतुर्वेदी का'इक्कीसवीं सदी में हिन्दी बाल-साहित्य' आलेख है। आलेख में बाल-साहित्य लेखन की आवश्यक्ता, लेखन का इतिहास, वर्त्तमान स्थिति और उसके स्वास्थ्य-सुधार हेतु कतिपय बिन्दुओं पर विचार किया गया है। 'हिंदी में दोहा लेखन' में हरेराम समीप दोहे की परिभाषा, प्रकार के साथ अर्थ गौरव, लालित्य, प्रभाव और जन-मानस से उसके जुड़ाव की चर्चा करते हैं। आलेख में दोहे की विकास यात्रा, उसके अद्यतन स्वरुप, वर्ण्य-विषयों की विविधता तथा नियामक तत्त्वों का उल्लेख किया गया है। 'सांगों में रागनी-गायन की परम्परा' डॉ. पूर्णचन्द शर्मा का आलेख सांग अथवा स्वांग से तात्पर्य एवं उसका लोकरंजनकारी स्वरुप, उत्पत्ति, राग-रागिनियों तथा उनके वर्ण्य-विषयों की विविधता पर प्रकाश डालता है।

ग़ज़ल के उद्भव एवं विकास–अरबी से फारसी, फारसी से उर्दू-हिंदी तक ग़ज़ल के तेवर और कलेवर पर विशद चर्चा करता है डॉ। श्याम सखा 'श्याम' का आलेख 'ग़ज़ल-कुछ बुनियादी बातें'। लेखक ने काफिया, रदीफ़, बह्र, वज्न आदि पारिभाषिक शब्दों, ग़ज़ल के भाव एवं कला पक्ष पर पर्याप्त कहा है।

'व्यंग्य लेखन: एक कला'–डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल का आलेख व्यंग्य लेखन में प्रयुक्त भाषा, संवाद, प्रतीक, अलंकार, यथार्थता, सांकेतिकता और तटस्थता का उल्लेख करते हुए व्यंग्य लेखन-क्यों, कहाँ और कैसे का सम्यक विवेचन करता है। डॉ. सुभाष रस्तोगी का आलेख–'कविता की रचना-प्रक्रिया' कविता के स्वरूप-आज और कल, विस्तार और रचना-प्रक्रिया पर प्रकाश डालता सारगर्भित आलेख है।

अस्तु, हिन्दी साहित्य की प्रायः सभी प्रमुख विधाओं पर आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराती पुस्तक की उपादेयता यूँ तो लेखन की ओर उन्मुख नए रचनाकारों के लिए अधिक है। कार्यशाला में जिन विविध बिन्दुओं पर चर्चा की गई उन्हें पुस्तक के रूप में सहेजकर उपलब्ध कराना अकादमी की बेहद प्रशंसनीय पहल है; निःसंदेह कार्यशाला में उपस्थित विद्यार्थियों को अपने इस कार्य से अकादमी ने उपकृत किया है। तथापि कहूँगी कि अन्य सहृदयों के लिए भी इसका महत्त्व ज़रा भी कम नहीं है; दुर्गम वन की अपेक्षा सुनियोजित सजाई वाटिका में विहार सभी के लिए सुगम होता ही है।

पुस्तक: शब्दों की उड़ान, मुख्य सम्पादक: कुमुद बंसल, प्रधान सम्पादक: धीरा खंडेलवाल प्रकाशन: 2016, प्रकाशक: हरियाणा साहित्य अकादमी, आई.पी.16, सेक्टर-14, पंचकूला 134113 (हरियाणा)