शब्द / पद्मजा शर्मा
मस्तराम खान में नौकरी करता था। माँ ने नाम तो मस्तराम रखा था पर मस्त रहने का उसके पास कोई कारण नहीं था। महीने भर पहले खान मालिक की कोई अवांछनीय मांग पूरी न कर पाने के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। कुछ महीने बाद खान में प्रतिद्वंद्वियों ने ब्लास्ट करवा दिया। तीन श्रमिकों की मौत हो गयी। इन्क्वायरी चालू हो गई. फिर तो वह खान ही बंद हो गयी। वह नौकरी की तलाश में भटक रहा था। नौकरी थी कि उसकी पहुंच से दूर होती जा रही थी। वह धीरे-धीरे खुद से दूर होता जा रहा था।
घर में एक छोटा भतीजा था। जिससे थोड़ा बहुत बोल-बतला लेता था। माँ, बेटे का हाल देखकर दुखी थी। बहन पहले की तरह खुलकर बात नहीं कर पाती थी। पिता सदा की तरह उसकी ओर से उदासीन थे। तीखी जबान वाली भाभी उसे देखते ही मुंह फेर लेती थी और जाने क्या-क्या बकती रहती थी। घर में घर जैसा माहौल नहीं। मन में मन जैसा माहौल नहीं। बाहर भी सब कुछ, बाहर जैसा। सदा साथ रहने वाले दोस्त भी 'कल मिलते हैं' कहकर कन्नी काट जाते। उसके भीतर की घुटन अपने चरम पर थी। रविवार का दिन था। वह भतीजे के साथ बैठा हंस रहा था कि तभी भाभी ने कहा-'मेरे बच्चे पर तो रहम करो देवर जी. क्या इसे भी अपनी तरह निठल्ला, निकम्मा बनते हुए देखना चाहते हो? पढऩे दो इसे। इस उमर में भाई पर आश्रित हो। नौकरी न मिले तो क्या नागादड़ी में पानी की तो कमी नहीं है। डूबकर मर जाओ.'
'भाभी के ऐसे ताने वह कई बार सुन चुका था। आदत हो गयी थी, सुनने की। सदा वह हंसकर टाल देता था पर अबके जाने क्या हुआ घर से निकल गया। यह कह कर कि' अब मैं नहीं, मेरी लाश ही आएगी। 'इधर माँ-फूट-फूट कर रोने लगी। बहू से कह रही थी-' बहू, ऐसे अशुभ शब्द जबान पर नहीं लाते। कहते हैं पूरे दिन में बोला कोई एक शब्द सच हो जाता है। '
दिन बीता। रात बीती। अगला दिन आया। पर मस्तराम लौटकर नहीं आया। शाम तक उसकी लाश आई. घर में कोहराम मच गया। नाते रिश्तेदार, मित्र, परिचित, अड़ौस-पड़ौस वाले सब एकत्र हो गए. किसी को समझ नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे, क्या, क्यों हो गया। सब के चेहरों पर अजीब-सा खौफ, दर्द और प्रश्न थे। माँ बेहोश थी। पिता जड़ सरीखे हो गए. बहन काठ की हो गई. भाभी भी लोक दिखावे में रो रही थी। तभी अपनी माँ को रोते हुए देखकर मस्तराम का भतीजा चीखा-'माँ, चाचा तुम्हारी वजह से मर गए. कल तुम्हीं ने कहा था नागादड़ी में डूबकर मर क्यों नहीं जाते। तुम्हारा कहा सच हो गया। मैं बड़ा हो जाऊँ, नौकरी न मिले तो क्या मेरे साथ भी ऐसा ही व्यवहार करोगी तुम? तुम गंदी माँ हो।'
सुनकर सब हक्के बक्के रह गए।